मेरा नाम अमन है और मैं पुणे का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 22 वर्ष है और मेरे पापा ने हमारे घर की स्थिति को पूरी तरीके से खराब कर दिया है क्योंकि उन्हीं की वजह से हमारे घर की स्थिति अब बहुत ज्यादा बुरी हो चुकी है। हमारे पास दो वक्त की रोटी खाने के लिए भी पैसे नहीं है। वह हमारी अब किसी भी प्रकार से सहायता नहीं करते हैं क्योंकि उनका किसी दूसरी महिला के साथ संबंध है। जिसके चलते वह ना तो घर आते हैं और ना ही हमें पैसे भेजते हैं।
उन्होंने मुझे ज्यादा नहीं पढाया है, इस वजह से मैं कुछ काम भी नहीं कर पा रहा हूं और ना ही मुझे कोई काम पर रखने को तैयार है। हमें तो दो वक्त की रोटी खाने के लिए भी बड़ी परेशानियो का सामना करना पड़ रहा है परंतु मेरी मां हमेशा मुझे सांत्वना देती रहती है और कहती है कि तुम चिंता मत करो, कुछ ना कुछ अच्छा जरूर हो जाएगा। मैं भी इसी आस में जी रहा हूं कि कभी तो कुछ अच्छा होगा इसलिए मैं संघर्ष कर रहा हूं और कहीं ना कहीं मैं भी अंदर से बहुत टूट चुका हूं। मुझे भी अब बहुत परेशानी होने लगी है मैं अपने पापा को इसके लिए जिम्मेदार ठहराता हूं। मुझ पर मेरी बहनों की शादी की जिम्मेदारियां भी है और उन्होंने हमारे घर से पूरी तरीके से रिश्ता ही तोड़ लिया है और कहीं ना कहीं मुझे अब उन पर बहुत ही ज्यादा गुस्सा भी आता है।
मेरी मां भी बहुत टेंशन में रहती है और वह कहती है कि तुम अपने बारे में सोचो, मेरा तो जीवन कट ही चुका है लेकिन मुझे फिर भी अपनी माँ की बहुत चिंता होती है। वह हमारा इतना ध्यान रखती है उसके बावजूद भी हम उनके लिए कुछ नहीं कर पा रहे है और कहीं न कहीं मैं बहुत ही ज्यादा टेंशन में समय बिता रहा हूं। मैंने अपने पापा से इस बारे में बात भी की थी और उन्हें अपने घर की स्थिति बताई थी तो वह कहने लगे कि मुझे अब तुमसे कोई भी संबंध नहीं रखना है और तुम आज के बाद कभी मुझसे मिलना भी मत।
जब उन्होंने यह बात कही तो मुझे बहुत बुरा लगा और मैं अपने आप पर बहुत ही तरस खाने लगा क्योंकि मुझे अपने आप पर ही दया आ रही थी। मेरे ऊपर ही अब सारी जिम्मेदारियां बढ़ चुकी थी और मैंने आज तक कभी भी कुछ ऐसा नहीं किया था जिससे मैं अपने जीवन में कुछ अच्छा कर पाऊं लेकिन कहीं ना कहीं मेरी मां को मुझ पर पूरा भरोसा था और वह कहती थी कि तुम अपने जीवन में कुछ ना कुछ अच्छा कर लोगे, तुम उसकी चिंता मत करो। जब मेरी मां मुझसे ऐसा कहती तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता था और मैं भी अपनी मां को सांत्वना देता रहता था।
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एक दिन मेरी मां अपने कमरे में बैठी हुई थी और मैं भी उनके पास जाकर बैठ गया। वो कहने लगी कि जब तुम्हारे पापा से मेरी पहली मुलाकात हुई थी तो उनके साथ मैं कितना अच्छा समय बिताया करती थी और हम लोग जब पहले साथ में रहते थे तो वह मुझसे बहुत प्रेम करते थे। वह उस समय मुझे अपने साथ घुमाने भी ले जाते थे परंतु धीरे-धीरे पता नहीं क्या हुआ कि उनका मन ही पूर्ण तरीके से बदल गया। यह कहते हुए माँ की आंखों से आंसू निकल पड़े। जब उनकी आंखों से आंसू निकले तो मुझसे उनके आंसू देखे नहीं जा रहे थे और मैंने उनके आंसू को पोंछते हुए उन्हें कहा कि तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो, मैं कुछ ना कुछ अच्छा कर लूंगा। अब मैं काम की तलाश में जाने लगा।
जब मैं बाहर गया तो मुझे छोटा-मोटा काम मिल जाता और मैं उसी से अपने घर का गुजारा चला रहा था। हमारे लिए खाने के लिए कुछ ना कुछ बंदोबस्त हो जाता जिससे मेरे घर का गुजारा चल जाया करता था और मेरी बहन भी बहुत खुश होती थी। मेरी मां कहती थी कि तुम कितनी मेहनत करने लगे हो, तुम अब बड़े हो चुके हो। धीरे धीरे ऐसे ही समय बीतता गया और अब मैं एक अच्छी जगह पर काम कर रहा था।
उसी दौरान मेरी मुलाकात एक लड़की से हुई। उसका नाम रोशनी था। हम दोनों के बीच अब बातें हुआ करती थी और मैं उससे फोन पर भी बात किया करता था। जब मैं उससे फोन पर बात करता तो वह मुझसे बहुत ही अच्छे से बात किया करती थी और जिस दिन उसे मेरे घर की स्थिति का पता चला, उस दिन से वह और ज़्यादा मेरी तरफ आकर्षित हो गई और कहने लगी कि तुम कितना संघर्ष कर रहे हो। मैंने उसे अपने बारे में सब कुछ बता दिया था लेकिन मुझे नहीं पता था कि रोशनी एक बहुत ही बड़े घर की लड़की है।
जब मैं उसके घर पर गया तो मैं उसके घर को देखकर दंग रह गया। वह किसी हवेली से कम नहीं थी और मैंने कहा कि तुम तो बहुत ही बड़े घर में रहती हो। वो कहने लगी कि मैं घर की इकलौती हूं और मैं अपने पर बहुत खर्चा करती हूं। अब हम दोनों बैठकर बातें कर रहे थे और वह मुझे कहने लगी कि तुम्हें यदि कोई गेम खेलना है तो तुम मेरे लैपटॉप में गेम खेल लो। मैंने उसे कहा कि नहीं मुझे गेम खेलना पसंद नहीं है। थोड़ी देर बाद वह मुझे अपने रूम में ले गई जब वह अपने रूम में ले गई तो वह अपने कपड़े मुझे दिखाने लगी उन्ही कपड़ों के बीच में मुझे उसकी पैंटी भी दिख गई। मैंने जब उसे अपने हाथ में लिया तो वह हंसने लगी और कहने लगी तुम्हें यह क्या कर रहे हो। मैंने उसे कहा कि मुझे तुम्हारी पैंटी को बहुत ही अच्छी लग रही है।
वह कहने लगी कि मैं तुम्हें अपनी पैंटी दिखाती हूं उसने अपने कपड़े ऊपर करते हुए अपनी पैंटी मुझे दिखाई। उसने नेट वाली पैंटी पहनी हुई थी और वह उसकी चूतड़ों के अंदर घुसी हुई थी। उसकी चूतडे गोरी गोरी थी और मैंने उस पर जैसे ही हाथ लगाए तो वह उत्तेजित हो गई। मैंने उसकी पैंटी को नीचे करते हुए उसकी योनि को चाटना शुरू कर दिया। मैं उसकी योनि को बहुत ही अच्छे से चाट रहा था जिससे कि उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी। वह मुझसे कहने लगी कि मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है तुम मेरी चूत के अंदर अपने लंड को डाल दो। मैंने उसे कहा तुम पूरे कपड़े खोल दो अब उसने अपने पूरे कपड़े खोलते हुए मैने उसे बिस्तर पर लेटा दिया वह बिस्तर बहुत ही मुलायम लग रहा था।
मैंने रोशनी के स्तनों को चूसना शुरू कर दिया और काफी देर तक उसके स्तनों का मैं रसपान कर रहा था जिससे कि वह बहुत ही ज्यादा खुश हो रही थी वह पूरी उत्तेजना में आ चुकी थी। उसकी योनि से बहुत ज्यादा पानी निकलने लगा मैंने जब अपने लंड को उसकी योनि सटाया तो वह बहुत चिपचिपी हो गई थी। जैसे ही मैंने अपने लंड को अंदर डाला तो उसकी सील टूट गई। मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के दे रहा था मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा कर दिया और उसे बड़े अच्छे से चोदने लगा। वह बहुत ही खुश हो रही थी जब मैं उसे झटके दे रहा था वह मेरा पूरा साथ दे रही थी। जब मैं उसके मुंह में देखता तो वह अपने मुंह से तेज तेज आवाज निकल रही थी और अपनी मादक आवाज से वह मुझे अपनी तरफ आकर्षित करती। अब मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के रहा था मैंने उसकी चूत से अपने लंड को बाहर निकालते हुए उसे उल्टा लेटा दिया।
मैंने जैसे ही उसकी योनि में अपने लंड को डाला तो वह मचलने लगी। वह अपनी चूतड़ों को ऊपर की तरफ उठाने लगी मैं उसे तेज झटके मार कर दोबारा से नीचे दबा देता। वह बहुत ही ज्यादा तेजी से अपने चूतड़ों को ऊपर कर रही थी मैं भी उसे बड़ी तेजी से धक्का देकर नीचे की तरफ कर देता। उसकी उत्तेजना भी अब चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी और मुझे भी बहुत ही अच्छा लग रहा था जब मैं उसके बड़ी बड़ी गांड को अपने लंड से झटके दे रहा था। कुछ देर बाद उसकी चूत से कुछ ज्यादा ही गर्मी बाहर निकलने लगी और मेरा लंड उसे बर्दाश्त नहीं कर पाया और मेरा वीर्य पतन हो गया। जब मेरा वीर्य पतन हुआ तो मुझे बहुत ही अच्छा महसूस हुआ और रोशनी भी मुझसे बहुत खुश हो गई। वह मुझे कहने लगी कि मैं तुमसे शादी करना चाहती हूं। मैंने उसे कहा कि तुम मुझसे क्यों शादी करना चाहती हो वह कहने लगी कि बस ऐसे ही मुझे तुम पसंद आ गए मुझे तुमसे ही शादी करनी है। मुझे भी रोशनी बहुत पसंद थी इसलिए हम दोनों ने शादी कर ली और उसके बाद मेरी स्थिति ही बदल चुकी है अब मैं एक अच्छा जीवन यापन कर रहा हूं। मेरी मां भी बहुत खुश है वह भी हमारे साथ ही रहती है और मैं अपने जीवन से बहुत ही खुश हूं।