बहन के बेटे को सेक्स ज्ञान • Kamukta Sex Stories

बहन के बेटे को सेक्स ज्ञान

नमस्कार दोस्तों मै सलोनी आज आपके सामने एक कहानी लेकर हाजिर हूं। यह कहानी मेरी और मेरे बहन के बेटे की है। इस कहानी में पढिए किस तरह से मैने अपनी हवस की प्यास को बुझाने के लिए अपनी बहन के बेटे का इस्तेमाल किया। मैने उसे चुत चुदाई का ज्ञान देकर उससे अपनी चुत चुदवाई। वो पढने के लिए मेरे घर पर रहता था, मैने अपनी प्यास के लिए उसे चुदाई के लिए पूर्ण रूप से तैयार कर दिया। और फिर उसी के लंड से अपनी चुत की प्यास मिटाई।

मेरी बहन मुझसे काफी छोटी है, तो जब मेरे बच्चे बडे हो गए। तब मेरी बहन की शादी हुई। उसके बच्चे होने तक मेरे बच्चों को पढने के लिए बाहर भेज दिया था। मेरी बहन गांव में रहती है, वो अपने बच्चों को अच्छे से पढाना चाहती थी, इसलिए उसने बारहवी के बाद मुझसे कहा कि, उसके बेटे को मै अपने पास रख लूं।

मुझे कुछ दिक्कत नही थी, तो मैंने भी मना नही किया। वैसे भी पूरे घर मे मै और मेरे पती दोनों ही रहते थे, तो पूरा घर सुनसान लगता था। मुझे लगा उसके आने से घर मे थोडी रौनक आ जायेगी, तो मैने उसे अपने यहां बुला लिया।

उसका नाम रोहन है, और वो बचपन से ही गांव में रहा है। इस वजह से उसका शरीर भी गठीला है, शुरू में तो मुझे उसको लेकर मन मे कोई गलत खयाल नही आया था, लेकिन एक दिन हुआ ही ऐसा, जिसके बाद मे मै उसके लंड के सपने देखने लगी थी।

एक दिन सुबह सुबह मै रोहन को उठाने के लिए उसके कमरे में गई, तो रोहन एक चादर ओढकर सो रहा था। मैने उसे नींद से जगाने के लिए उसकी चादर खींच दी, तो चादर के नीचे वो पूरा नंगा होकर सो रहा था। चादर तो उसने बस नाममात्र ओढकर रखी थी।

उसकी चादर हटाते ही मुझे उसके लंड के भी दर्शन हो गए, जिसे देखकर मै हैरान रह गई। उसका लंड बहुत मोटा था, मेरे पती के लंड से भी थोडा और मोटा होगा, और लंबाई में भी अच्छा था। जिसकी वजह से मेरे मन मे उसे लेकर तरह तरह के खयाल आने लगे थे। फिलहाल मैने अपने मन के खयालों को खयालों में ही रखते हुए उसे जगाया।

रोहन ने उठते ही अपने आप को देखा, और जल्दी से मेरे हाथ से चादर छीनकर अपने आप को ढकने लगा। तो मैंने उसे कह दिया, “मैने तो सब देख लिया है, अब मुझसे इतना क्या शरमा रहा है। जल्दी से उठ जा और फ्रेश होकर खाने आ जाना।”

वो बस हां हां करता रहा गया, मैने भी उसे छोडकर बाहर आ गई। और अपने कामों में लग गई। लेकिन बार बार मुझे वही उसका लंड याद आ रहा था। मेरा मन करने लगा कि, बस एक बार इस तगडे नौजवान लंड को अपनी चुत के अंदर ले लूं। लेकिन यह सब कैसे होगा, वो मेरी बहन का बेटा था।

खैर अब मुझे कुछ भी करके किसी भी हालत में उससे अपनी चुत का भरता बनाना ही था। मैने मन मे ठान लिया था कि, इसे तो मै अपने वश में करके ही रहूंगी। उसी दिन से मैने घर मे ब्रा पहनना छोड दिया, ताकि जब भी मै झुक जाऊं, रोहन को मेरे चूचियों के दीदार हो सके।

रोहन पूरा देसी लडका था, तो उसे अपने वश में करने में मुझे ज्यादा समय नही लगना चाहिए था। बस मुझे इंतजार था तो सही समय का। और भगवान ने मेरी बात सुन ली, मेरे पती को उनके ऑफिस के काम से चार दिनों के लिए बाहर जाना था। तो अब सीजर दिन के लिए पूरे घर मे मै और रोहन ही रहने वाले थे।

मेरे पती सुबह सुबह उठकर चले गए, उनके जाते ही मै अपने कमरे में गई, और अच्छे से नहा-धोकर तैयार हो गई। नहाते समय मैने अपनी चुत भी साफ कर दी, वहां से सारे बाल हटा दिए। और फिर एक सेक्सी नाइटी जो कि लगभग पारदर्शी थी, पहनकर मै रोहन को उठाने के लिए उसके कमरे में गई। वो आज भी बस एक चादर ओढकर ही सो रहा था।

मै मन मे प्रार्थना करने लगी कि, इसने आज भी अंदर कुछ नही पहना हो, तो मजा आ जायेगा। मैने यही सोचते हुए उसके ऊपर से चादर खींच दी, और सच मे उसने आज भी अंदर कुछ नही पहना था। मेरे तो मन की तमन्ना ही पूरी हो गई। मै अब आराम से उसके लंड को निहारने लगी थी।

उसके लंड का टोपा सुर्ख लाल था, और टोपे से उसकी चमडी पीछे जा चुकी थी, उसके लंड को देखकर लगता था कि, इसने तो चुदाई की हुई है। फिर मैंने अपना एक हाथ उसके लंड पर रखा, और दूसरे हाथ से उसे जगाने लगी।

उसे जगाने पर वो उठा, लेकिन उसने आज अपने आप को ढकने की कोई कोशिश नही की। बल्कि वो भी आराम से उठकर मेरी तरफ देख रहा था। फिर उसने अपनी नजर मेरे बदन पर घुमाई तो उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई।

फिर वो उठते हुए मुझे बोला, “मौसी यह तो गलत बात है, आपने तो मेरा सब कुछ देख लिया, लेकिन मैने तो आपको अब तक अच्छी तरह से देखा भी नही।”

मै भी अनजान बनते हुए उससे बोली, “रोज ही तो तू मुझे देखता है, और अब क्या देखना बाकी है।”

तो वो हंस दिया और बोला, “आपने मुझे बिना कपडों के देख लिया है, तो मुझे भी आपको बिना कपड़ों के देखना है।”

उसके इतना सीधे तरीके से कहने पर मै क्या करूं, मुझे समझ नही आ रहा था। तो मै बस चुप रही, फिर रोहन खुद ही मेरी तरफ बढने लगा।

आगे बढकर उसने मुझे पकडकर वहीं पास में बिस्तर पर बिठा दिया। बिस्तर पर बैठते ही उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया, और अब जोर से हग करने लगा। इससे मेरी चुचियां उसकी छाती में गडने लगी थी। मै भी मन ही मन यही चाहती थी, तो मैंने भी उसे रोकना ठीक नही समझा।

वह मस्त होकर अब मेरे पूरे बदन का जायजा ले रहा था।
फिर उसने मेरे आगे आते हुए मेरे गालों पर एप्ने होंठ रखकर चूमने लगा। मेरे गालों से होते हुए वो धीरे धीरे होठों पर भी आ गया। जैसे ही उसने मेरे होठों पर चूमना शुरू कर दिया, वैसे ही उसका एक हाथ मेरी दाईं चूची पर आ गया।

वो चूमने के साथ साथ मेरी चुचियां भी मसलने लगा। लेकिन वो बहुत ही बेदर्दी के साथ मेरी चुचियां मसलते जा रहा था। उसको मुझ पर थोडा सा भी रहम नही आ रहा था। मुझे बहुत दर्द होने लगा तो मैने उससे कहा, “आराम से कर, मै कहीं भागे थोडी जा रही हूं। इतने जोर से मसल रहा है, कि अब दर्द होने लगा है।”

जैसे ही मैने यह कहा, उसने अपने हाथ मेरे उरोजों से निकाल लिए, और अब अपना मुंह मेरी नाइटी के ऊपर से ही चूचियों पर लगा दिया। और कुछ इस तरह से वो मेरी चुचियां चूसने लगा जैसे अभी उनमें से दूध ही निकल आएगा।

वो तो वैसे भी पहले से ही नंगा था, अब उसका लंड एप्ने पूरे जोश में आ चुका था। मैने पहली बार उसके लंड को हाथ लगाकर देखा। फिर उसे धीरे से सहलाकर मुठियाने लगी। अब उसको भी मजा आने लगा था, तप मैने अपनी नाइटी निकाल दी, और अपनी एक चूची को पकडकर उसके मुंह मे ठूंस दिया।

मैने बस अपनी एक ही चूची को ब्रा से बाहर निकाला था, तो उसने मेरे ब्रा को भी निकालकर अलग कर दिया। मैने भी उसका साथ देते हुए नीचे मुंह ले जाकर उसके लंड को चूम लिया। फिर उसने मेरे मुंह मे अपना लंड डालकर मेरे मुंह को चोदने लगा।

कुछ देर ऐसे ही करने के बाद उसने मुझे सीधी लिटाया और बिस्तर पर मेरी कमर के नीचे एक तकिया रख दिया। फिर उसने मेरी पैंटी को भी एक झटके में ही मेरे शरीर से अलग करते हुए निकाल दिया।

अब हम दोनों ही एक दूसरे के सामने नंगे थे, शायद उससे अपने आप को रोक पाना असंभव था। तो उसने जल्द से एप्ने लंड को पकडकर मेरी चुत पर रख दिया। फिर मैने उसके लंड को सही जगह पर रखकर नीचे से अपनी कमर उचका दी। पहले ही झटके में उसका आधा लंड मेरी चुत निगल चुकी थी।

उसने भी अब बिना रुके धक्के लगाना शुरू कर दिया जिस वजह से हमारी धकमपेल चुदाई शुरू हो गई। वुसने बस दो-तीन ही धक्के मारे थे, कि वो झड गया। उसे इतना भी नही समझ आया कि वो अपना वीर्य कहाँ पर निकाले, और इसी चक्कर मे उसने मेरी चुत में ही अपना वीर्य गिरा दिया।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी, हमे कमेंट करके बताइए। धन्यवाद।