फर्स्ट नाईट सेक्स मैंने लाइव देखा अपने भाई और उनकी नई नवेली दुल्हन का! मैंने पहले ही खिड़की से अंदर का लाइन नजारा देखने का इंतजाम कर लिया था.
दोस्तो, मैं अनुराग आपको अपनी ताई के लड़के की शादी में मोहिनी भाभी की सुहागरात की सेक्स कहानी सुना रहा था.
पिछले भाग
भैया भाभी की पहली रात की तैयारी
में अब तक आपने पढ़ा था कि भैया भाभी की सुहागरात से पहले महिला संगीत का आयोजन किया गया था.
भैया ने कुछ ज्यादा ही दारू पी ली थी.
अब आगे फर्स्ट नाईट सेक्स का आँखों देखा हाल:
मेरी ताईजी के घर में कोई लड़की या महिला नहीं थी, इसलिए ज्यादातर इंतजाम मेरे ही जिम्मे था.
हम सभी वापिस घर आ गए थे.
भैया की सुहागरात के लिए ऊपर एक कमरे का इंतजाम किया गया था. कमरे की सजावट का जिम्मा भी मुझे ही मिला था.
मैंने भैया के कमरे को सजाने के लिए बाहर से 2-3 फूल डेकोरेटर्स को बुलवाया था और हिमानी भी मेरे इस काम मुझे सलाह दे रही थी.
चूंकि हिमानी का घर ताई जी के घर के पास ही था इसलिए रात में भी वो भी ताई जी के घर पर ही रहने वाली थी.
मैं मजाक मजाक में हिमानी को चिढ़ा रहा था.
मैंने हिमानी के कान में बोला- जानेमन, काश इस बिस्तर पर इन गुलाब के फूलों के बीच मैं तुम्हारी चुदाई कर लेता.
हिमानी हंसती हुई- हां हां, हंस लो … कल रात की चुदाई से अभी तक मुझे दर्द हो रहा है.
मैं- अच्छा जी, मेरी जान, बताना किधर दर्द हो रहा है.
वो मुक्का तानती हुई बोली- साले मार दूंगी.
मुझे हिमानी को चिढ़ाने में बहुत मजा आ रहा था.
मैंने भैया के कमरे की बहुत ही बढ़िया सजावट करवाई थी, गुलाब की फूलों की मालाओं से कमरे को इतनी बढ़िया तरीके से सजाया था कि कमरे से बस गुलाब की महक ही आ रही थी.
गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों को बेड के चारों ओर बड़े ही खास अंदाज से लगाया गया था.
मैंने बड़ी ही चालाकी से रात के लिए इस कमरे में कोने में एक खिड़की को गुलाब के फूलों से ढक कर खुला छोड़ दिया था जिससे रात को मैं भैया और भाभी की सुहागरात के दर्शन कर सकूँ.
सारे कार्यक्रम खत्म हो गए थे, लगभग सभी मेहमान भी वापिस चले गए थे.
घर में मैं और हिमानी ही थे.
ताई जी और 1-2 महिलाएं बाकी रह गयी थीं.
मैं और हिमानी मोहिनी भाभी को उनके कमरे में ले गए और भैया बाहर अपने दोस्तों के साथ बातचीत में व्यस्त थे.
मैं हंसते हुए भाभी से बोला- मोहिनी भाभी, आज रात तैयार रहना, आज की रात आपके साथ क्या-क्या करेंगे भैया, पता तो है न?
मेरे साथ हिमानी भी थी, वो बोली- अनुराग तुम भी न क्या क्या बातें करते हो. भाभी को सब मालूम होगा.
मैंने कहा- यार इसमें क्या शर्माने की बात है. वो तो आज भाभी की सुहागरात है ही!
फिर मैंने धीरे से हिमानी के कान में कहा- हमने अपनी तो कल रात मना ली, अब भाभी की बारी है.
वो भी हंसने लगी.
भैया भी अब आ गए थे.
मैंने भैया को कमरे में अन्दर किया और कमरा बंद करके, उन दोनों गुडलक बोला और नीचे आ गया था.
भैया का कमरा ऊपर वाले भाग में था और बाहर एक बरामदा था जो खाली था.
मैंने भी भैया और भाभी के सुहागरात की पिक्चर देखने की पूरी तैयारी कर रखी थी.
मैं नीचे आ गया और मेरे साथ हिमानी भी थी.
हिमानी की मम्मी भी नीचे ही बैठी थीं … उसके आते ही वो हिमानी को अपने साथ ले गईं.
मैं ही अकेला बचा था.
बाकी सभी 2 दिनों से जगे होने के कारण थकान से सो रहे थे … या सभी सोने की तैयारी में थे.
मैं सोच रहा था कि आज भी हिमानी की चुत चुदाई का मजा ले लूंगा. मगर वो अपनी मम्मी के साथ चली गई.
तो मैं नीचे ही बिस्तर पर लेट गया और सोने का बहाना करने लगा.
थोड़ी देर बाद जब देखा कि सभी सो गए हैं तो मैं धीरे से उठा और ऊपर भैया और भाभी के कमरे के बाहर आकर उस खिड़की पर खड़ा होकर अन्दर झांकने लगा.
मैंने देखा भैया एक-एक करके भाभी के कपड़े उतार रहे थे.
भाभी अब केवल लाल रंग पैंटी और ब्रा में थीं.
भैया भाभी के होंठों को चूस रहे थे, कभी उनके गले को, कभी उनके मस्तक को बार बार चूस रहे थे.
अब उन्होंने भाभी की लाल रंग की ब्रा को भी उनके शरीर से अलग कर दिया था.
भाभी के चूचे एकदम तने हुए थे, एकदम सा पतला शरीर, चूतड़ थोड़े से भारी थे.
भैया ने भाभी के वस्त्रविहीन जिस्म को अपनी जिह्वा से चाटना शुरू कर दिया.
जैसे ही वो उनके जिस्म को ऊपर नीचे से अपनी जिह्वा से चाटते, भाभी के जिस्म से सिहरन की लहरें उठनी शुरू हो जाती थीं.
उसके मुँह से आनन्द भरी सिसकारियों का निकलना शुरू हो गया था.
जैसे ही भैया ने अपनी जीभ से मोहिनी भाभी के दाएं निप्पल को चुभलाना चालू किया, वैसे ही उसकी सिसकारियां और ज्यादा निकलने लगीं- आह … उह … उउउउ … आह!
भैया जैसे जैसे भाभी के चूचों को दबा रहे थे, चूस रहे थे … वैसे ही भाभी की सिसकारियां निकलने की गति बढ़ती जा रही थी.
भाभी के दोनों चूचों को भैया मदमस्त तरीके से चूस रहे थे.
मोहिनी भाभी का चेहरा बता रहा था कि उनकी काम वासना भी बढ़ती जा रही थी.
वो भी अब आनन्द लेने लगी थीं और जोर जोर से सिसकारियां ले रही थीं.
‘उह … आह …’ की आवाजें अब और जोर-जोर से आने लगी थीं.
भाभी का चेहरा सुर्ख लाल होता जा रहा था और उनके हाथ अब भैया के लिंग को टटोलने लगे.
पायजामे के ऊपर से ही उन्होंने भैया के लिंग को सख्त तरीके से पकड़ लिया और पायजामे के ऊपर से ही ऊपर नीचे करने लगीं.
भैया भी भाभी के इस प्रकार लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करने से अचानक घबरा गए.
वो बोले- जानू आराम से … क्या कर रही हो.
मुझे ये सब देखने में ऊपर से बड़ा ही मजा आ रहा था.
रह रहकर मेरा तम्बू भी बार खड़ा हो रहा था. अब मुझे भैया से ज्यादा भाभी अधिक सेक्सी लग रही थीं.
भैया ने अपना पाजामा उतारा और अपने जॉकी को नीचे कर दिया.
फिर अपने पप्पू को आजाद कर दिया.
भैया का पप्पू कुल मिलाकर बहुत ज्यादा बड़ा नहीं था पर फिर भी भाभी पर सेक्स का खुमार चढ़ा हुआ था.
उन्होंने तुरन्त उसे अपने मुँह के अन्दर डाल लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं.
भाभी की गतिविधियों से लग रहा था कि शायद भाभी पहले से ही लंड से खेलने की आदी थीं.
भैया की सुहागरात में मैंने यह तो नोटिस कर ही लिया था कि मोहिनी भाभी ने जरूर लंड की सवारी पहले ही कर चुकी थीं.
मैं मन ही मन सोच कर खुश हो रहा था कि चलो मोहिनी भाभी को सैट करने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी.
मोहनी भाभी भैया के लिंगमुण्ड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूस रही थीं और अब भैया को चेहरा देखने लायक था.
भाभी भैया के लंड को ऐसे चूस रही थीं, जैसे कोई कुल्फी का स्वाद ले रही हों.
भैया के चेहरे की भावभंगिमा से लग रहा था कि अगर उन्होंने मोहिनी भाभी को अभी नहीं रोका, तो वो उनके मुँह में ही में झड़ जाएंगे.
तो भैया ने भाभी को रोका और अपना एक हाथ भाभी की लाल पैंटी के अन्दर डाल दिया.
वो अपने हाथ से भाभी की चूत को जांच रहे थे.
भैया ने भाभी की पैंटी के मध्य भाग में उनकी चूत के ऊपर अपने हाथ टिका दिया था. भाभी की धधकती हुई चूत की आंच को वो महसूस कर रहे थे.
भाभी की लाल रंग की पैंटी के ऊपर ही उनकी चुत की दरार से निकले कामरस की बाढ़ के निशान साफ साफ दिखाई दे रहे थे.
भैया ने उनकी पैंटी के ऊपर से अपनी उंगलियों से छेड़खानी शुरू कर दी और ऊपर से ही चुत के भगनासा को सहलाने लगे, अपना हाथ धीरे-धीरे भाभी की पैंटी की इलास्टिक के नीचे से उसके अन्दर ले गए.
चुत के कामरस में लिथड़ी हुई उंगलियां भैया ने भाभी की चुत के दरार पर टिका दीं.
उधर भाभी फिर से अपने दाएं हाथ से भैया के लिंगमुण्ड को नीबू की तरह निचोड़ने के लिए तैयार थीं और जबरदस्त तरीके से ऊपर नीचे कर रही थीं.
भैया ने अब धीरे से अपनी एक उंगली को भाभी की चुत की दरार के बीच में हल्का सा अन्दर किया तो भाभी एकदम चौंक उठीं और उन्होंने अचानक से भैया के लंड को छोड़ दिया.
भाभी एकदम से उचक गईं और जोर की आवाज के साथ भैया से बोलीं- आंह ऐसे ही मेरी जान … ऐसे ही … और अन्दर दो ना.
भैया ने भाभी की लाल पैंटी को उनकी चूत से हटाकर अलग कर दिया और अपना लंड भाभी के चूत के मुहाने रखकर आराम आराम से चूत में डालने लगे.
अपने लंड को उनकी चूत में धीरे-धीरे से अन्दर बाहर करने लगे.
भाभी अब आंह भरने लगीं- आंह और जोर जोर से मर गयी … फट गयी … आह … जानू … ये क्या किया … अंह फाड़ दी मेरी चूत … सी … अनु … फाड़ दी तुमने … आंह आज मेरी चूत फट गई.
अश्रुओं की थोड़ी सी धारा भाभी की आंखों से निकल गई.
वो अपने दोनों हाथों को इस प्रकार से पटकती हुई छटपटाने लगीं जैसे कोई मछली बिन पानी के तड़फ रही हो.
दोस्तो, चुदाई का भी क्या मजेदार अनुभव होता है, लिखा ही नहीं जा सकता है.
मैं खिड़की पर खड़ा था और अपने लंड को हाथ में लेकर ऊपर नीचे करने लगा था.
अब धीरे धीरे से भैया ने अपने लिंग को अन्दर बाहर करना प्रारम्भ कर दिया.
कुछ देर बाद भाभी की जान में जान आई.
भैया ने भाभी का एक मीठा सा चुंबन लिया, फिर उनकी कमर को थोड़ा ऊपर किया.
लंड थोड़ा सा चुत से बाहर आया, मगर अगले ही पल एक जोर के झटके के साथ दुबारा भाभी की बच्चेदानी से जा टकराया.
धीरे धीरे ऐसा करने से भाभी का जिस्म भी अपने होश में आने लगा था.
उनके मुँह से अभी भी सीत्कारों की एक लहर सी आ रही थी- आंह … उन्ह … सी … मेरी जान!
अब भैया धीरे धीरे से अपने लंड को चुत के अन्दर बाहर करने लगे.
भाभी को भी आनन्द आने लगा था. वो भी अपनी चुत को ऊपर नीचे मटकाने लगी थीं.
पर भैया तो 2-4 धक्कों में ही बेहाल हो गए. वो एक झटके के साथ भाभी की चूत में ही झड़ गए थे.
भाभी अभी भी बेहाल थीं; उनकी कामाग्नि तो अब और ज्यादा बढ़ती जा रही थी.
पर भैया ने भाभी के शरीर को बहुत जोर से पकड़ लिया था और हांफते हुए भाभी के ऊपर गिर गए.
मैं खिड़की से भैया और भाभी की सुहागरात का मजा ले रहा था परन्तु मुझे उम्मीद नहीं थी कि भैया इतनी जल्दी शहीद हो जाएंगे.
भाभी अभी और कुछ देर तक लंड को अपनी चूत में भोगना चाहती थीं पर अचानक से भैया के इस प्रकार से झड़ जाने से वो कुछ खुश नहीं थीं.
उनकी तड़प अधूरी रह गयी थी.
जब स्त्री फर्स्ट नाईट सेक्स में चरम सुख का आनन्द ना ले पाए, तो उसे मजा नहीं आता.
जैसा मैंने महसूस किया, भाभी की तड़प अभी बाकी थी.
भैया भाभी के बराबर में ही लेट गए और थोड़ी देर में ही उनकी आंख लग गयी और वो सो गए.
भाभी ऐसी ही बैठी रहीं और वो भी थोड़ी देर में वहीं पर लेटकर सो गयी थीं.
ये सीन मुझे बड़ा ही सुखद लग रहा था.
मोहनी भाभी की चुत मेरे लिए एक आसान सा लक्ष्य दिख रहा था.
मैं सामने पड़ी नंगी मोहिनी भाभी की मदमस्त जवानी को देख कर लंड की मुठ मारी और खिड़की से हट गया.
फ्रेंड्स, आपको यह फर्स्ट नाईट सेक्स की कहानी कैसी लगी, अवश्य बताइएगा. मैं आपकी मेल का इंतजार बेसब्री से करूंगा.