वासना भरी भाभी की चूत की चुदाई • Kamukta Sex Stories

वासना भरी भाभी की चूत की चुदाई

दोस्तो, कैसे हो आप सब? मेरे ख्याल से सब ठीक चल रहा होगा. लंड वालों को चूत और चूत वालियों को लंड भी बराबर मिल रहे होंगे.
मैं रूतुल, सूरत से हूँ.

कुछ दिन पहले हमारे शहर में सीएनजी वालों ने रेट की माँगों को लेकर हड़ताल कर दी थी. यह उसी दिन की बात है. मैं सुबह के करीब 10.30 बजे अपनी बाइक लेकर एक काम से निकला. दिल्ली गेट से होते हुए रिंग रोड पर पहुंचा. हड़ताल के कारण रोड बिल्कुल खाली थी. मैं भी अपनी बाइक बिल्कुल ही धीमे चला रहा था.

अचानक मुझे रोड की साइड में एक लेडी दिखाई दी जो अपने कंधे पर दो बैग लेकर साइड में चली जा रही थी. गर्मी के कारण वह पसीने से भीगी हुई थी. वह काफी परेशान भी लग रही थी.
मैंने अपनी बाइक उसकी बगल में रोकी और उससे कहा- मैडम, क्या मैं आपकी हेल्प कर सकता हूँ? आज ऑटो वालों की हड़ताल है. अगर आपको कहीं जाना है तो क्या मैं आपको छोड़ दूँ?

कुछ देर वह मेरे सामने ही खड़ी होकर मुझे देखती रही.

फिर मैंने कहा- कोई बात नहीं, अगर आपको मदद नहीं चाहिए तो कोई बात नहीं, मैंने तो बस ऐसे ही पूछ लिया था.
उसने कहा- नहीं, ऐसी बात नहीं है, मैं सीधी मुम्बई से आ रही हूं. मुझे कोई ऑटोवाला मिल ही नहीं रहा है आज. मुझे नहीं पता था कि आज ऑटोवालों की हड़ताल होने वाली है.

मैंने उससे पूछा- वैसे आपको जाना कहां है?
उसने बता दिया कि वह कहां जा रही है. लेकिन जिस जगह के बारे में उसने बताया वह वहां से काफी दूर थी तो मैंने उससे पूछ लिया कि क्या वह वहाँ तक ऐसे ही चल कर जाएगी.
मेरे इस सवाल पर वह थोड़ी सी मुस्कराई और बोली- क्या आप मुझे वहाँ तक ड्रॉप कर सकते हैं?
मैंने कहा- मैं भी तो उसी तरफ ही जा रहा हूँ।

यह सुनकर वह मेरी बाइक की तरफ बढ़ी और मेरी बाइक के पीछे बैठ गई. हम चल पड़े और रास्ते में एक-दूसरे के बारे में बातें करते हुए जा रहे थे. फिर उसने मुझे एक दुकान का नाम बताया और कहा कि क्या मैं उसको वहाँ से ले जा सकता हूँ।
वह बोली- मुझे वहाँ से कुछ सामान खरीदना है क्योंकि घर पर इस वक्त कुछ खाने के लिए भी नहीं होगा.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, मैं आपको वहां पर छोड़ देता हूँ।

उसके बाद मैंने उसको वहाँ उस दुकान पर ले जाकर छोड़ दिया। उसने बाइक से नीचे उतर कर मुझे थैंक्स बोला और फिर मेरा नम्बर मांगने लगी.
मैंने कहा- आप मेरा नम्बर लेकर क्या करोगी?
उसने कहा- आपने मेरी हेल्प की, आप मुझे बहुत अच्छे इन्सान लगे. क्या हम दोस्त नहीं बन सकते हैं?

मैंने उसको अपना नम्बर दे दिया लेकिन चलने से पहले मैंने उससे पूछा कि आप रहती कहां पर हो?
तो उसने बताया कि वह सामने वाले अपार्टमेंट में ही रहती है.
मैंने कहा- तो सामान लेकर आपको जाना भी तो पड़ेगा.
उसने कहा- यहाँ से तो मैं खुद ही चली जाऊंगी.

मैंने उसको बाय बोला और मैं वहां से चला गया. उसने मुझे फिर से थैंक्स बोला और मैं वहाँ से अपने काम के लिए निकल गया. मुझे अपना काम खत्म करने में करीब 1.30 घंटे का वक्त लग गया. जब मैं काम कर रहा था तो मेरे पास एक लोकल नम्बर से ही फोन आया.
मैंने हैल्लो किया और पूछा- कौन?
वहाँ से आवाज़ आई- सोचो कौन!
मैंने कहा- मुझे नहीं पता आप कौन हैं.

फिर उसने कहा- अरे अभी तो हम मिले थे और इतनी जल्दी भूल भी गए?
मैंने कहा- सॉरी, मेरे दिमाग से ही निकल गया.
मैंने उससे पूछा- आप अच्छी तरह घर तो पहुंच गई थी न?
तो उसने बताया कि वह आराम से घर पहुंच गई थी.

फिर उसने मुझसे पूछा- ये बताओ तुम अभी कहां पर हो?
मैंने कहा- मैं तो अभी काम कर रहा हूँ।
उसने कहा- तो एक काम करो, कि मेरे घर पर आ आजो, हम साथ में बैठकर कॉफी पीते हैं और इस बहाने मैं तुम्हारा शुक्रिया अदा भी कर दूंगी.
मैंने कहा- सॉरी, अभी तो मैंने लंच भी नहीं किया है.
वह बोली- तो कॉफी कैंसल, तुम मेरे घर पर लंच ही कर लेना. वैसे मैं खाना अच्छा बनाती हूँ।

तो मैंने उससे पूछ लिया- आप किसी को भी ऐसे पहली मुलाकात में ही अपने घर पर बुला लेती हो क्या?
वह बोली- लेकिन कुछ लोग ऐसे भी तो होते हैं जिनसे एक बार मिलने के बाद ही ऐसा लगने लगता है कि वह हमारे बहुत पुराने दोस्त हों.
मैंने कहा- ठीक है, मैं थोड़ी देर में आता हूँ … मगर तुम्हारा फ्लैट नम्बर क्या है?

उसने मुझे अपने फ्लैट का नम्बर बता दिया और मैं काम खत्म करके उसके घर की तरफ चला गया.
मैंने उसके फ्लैट पर पहुंचकर डॉरबेल बजाई तो उसने दरवाज़ा खोला. मैंने देखा कि उसने ब्लैक रंग की साड़ी पहनी हुई थी. वह शायद अभी-अभी नहाकर आई थी और उसके बाल भी गीले ही थे. उसने साड़ी अपनी नाभि के नीचे बांधी हुई थी. मैं तो उसको देखता रह गया. वह एकदम मस्त लग रही थी. मैं सोचने लगा कि क्या यह वही लेडी है जो मुझे वहां बाहर पसीने से भीगी हुई मिली थी.

तभी उसने कहा- आओ रुतुल, अंदर आ जाओ.
हम दोनों अंदर चले गए. हम यहां-वहां की बातें करने लगे.

मैंने कहा- घर पर कोई नहीं है क्या?
वह बोली- हम सब लोग मुम्बई गए हुए थे मेरे भाई के यहाँ. उसके बाद मेरे पति वहाँ से सीधे दिल्ली चले गए काम के लिए. बच्चे अपने मामा के यहाँ पर रुक गये और मैं अकेली ही यहाँ आ गई.

फिर वह मेरे लिए पानी लेकर आई.
मैंने कहा- आप तो लंच करने के लिए कह रही थीं. क्या सिर्फ पानी ही पिलाओगी?
उसने कहा- ठीक है. हम लंच करते हैं. तुम वहां टेबल पर आ जाओ.

वाकई में उसने लंच बहुत अच्छा बनाया था. हमने साथ में लंच किया.
मैंने कहा- आप सच में खाना बहुत ही अच्छा बनाती हो.
वह बोली- मुझे ‘आप’ मत कहा करो. ऐसा लगता है जैसे मैं बुड्ढी हो गई हूँ। मुझे ‘तुम’ कहकर बुलाया करो.
मैंने कहा- ओके, तुम खाना बहुत अच्छा बनाती हो.

वह खड़ी होकर मुझे थोड़ा सा और खाना परोसने के लिए उठी और मेरी प्लेट में खाना डालने लगी तो उसका पल्लू दाल के अंदर गिर गया.
उसने कहा -शिट…

उसके बिना बाजू वाले ब्लाऊज़ में उसके बूब्स मेरे सामने ही थे. मेरा मानसिक संतुलन बिगड़ रहा था. उसके बूब्स जो उसके ब्लाउज से आधे बाहर निकलने वाले थे तो मेरी नज़र वहीं पर जाकर रुक गई.
वह भी मुझे देखने लगी. वह बोली- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं.
उसने कहा- मैं अभी चेंज करके आती हूँ।

जब वह चेंज करके आई तो उसने हल्के पिंक कलर की नाइटी पहन रखी थी जिसमें से उसके अंडरगार्मेंट्स साफ-साफ दिखाई दे रहे थे. अब तो मेरा हाल और भी बुरा होने लगा था.
हमने लंच खत्म किया और मैंने उससे कहा- ठीक है, अब मैं चलता हूँ. लंच के लिए थैंक्स. लंच बहुत ही अच्छा बना था.
उसने कहा- तुम्हें अभी कुछ काम है क्या?
मैंने कहा – नहीं.
वह बोली- तो फिर थोड़ी देर और रुक जाओ ना, मैं आइसक्रीम भी बनाकर ले आई हूँ। थोड़ी सी खाकर चले जाना.

पहले तो मैंने मना कर दिया फिर कहा- ठीक है, मैं रुक जाता हूँ।
मैं वहीं सोफे पर बैठकर टीवी देखने लगा.

उसके घर का ऐ.सी. भी ऑन था क्योंकि बाहर बहुत गर्मी पड़ रही थी. वैसे सच कहूँ तो मुझे भी बाहर इतनी गर्मी में जाने का मन नहीं हो रहा था. तभी वह कांच के दो ग्लास में आइसक्रीम लेकर आ गई.
एक ग्लास उसने मेरे हाथ में दिया और दूसरे से वह खुद खाने लगी. मैंने उससे कहा कि यह भी बहुत अच्छी है.
वह बोली- कौन?
मैंने कहा- आइसक्रीम.

वह बोली- मैं तो सोच रही थी तुम मेरे बारे में बात कर रहे हो.
मैंने कहा- तुम भी बहुत अच्छी हो.
वह पूछने लगी- तुम्हें मेरे अंदर क्या अच्छा लगता है?
उसकी यह बात सुनकर मैं मुस्कराने लगा तो वह बोली- मैं जानती हूँ तुम्हें मेरे अंदर क्या अच्छा लगता है.
मैंने कहा- क्या जानती हो तुम?
वह बोली- जब मेरी साड़ी दाल में गिर गई थी तो तुम क्या देख रहे थे. क्या तुम्हें वे अच्छे लगे?
मैंने अनजान बनते हुए कहा- क्या?
वह बोली- झूठ मत बोलो, मुझे सब पता है. तुम मेरे बूब्स देख रहे थे. क्या तुमको मेरे बूब्स अच्छे लगते हैं.

उसने फिर पूछा- क्या तुम उनको पूरा देखना चाहते हो?
मैं तो हैरान रह गया. मुझे समझ नहीं आया कि क्या कहूँ।
मैंने कहा- जब कोई सामने से दिखाएगा तो कौन गधा होगा जो नहीं देखना चाहेगा.

उसने आइसक्रीम टेबल पर रखी और अपनी नाइटी के बटन खोल कर नीचे करने लगी. उसने अपनी ब्लैक ब्रा भी निकाल दी. मैं तो उसको देखता ही रह गया कि ये क्या हो रहा है. उसका साइज़ लगभग 36 के आस-पास तो होगा ही.
वह मेरे सामने दो मज़ेदार रसीले बूब्स खोले हुए बैठी थी.
उसने कहा- अब बताओ कैसे लगते हैं तुम्हें?
मैंने कहा- ये तो कमाल के हैं … क्या मैं इनको छूकर देख सकता हूं?
वह बोली- यह भी कोई पूछने की बात है. टच करने के लिए ही तो दिखाए हैं.

मैं खड़ा होकर उसकी बगल में बैठ गया और उसके बूब्स को दबाने लगा. उसने अपनी आंखें बंद कर लीं और मुझे पागलों की तरह किस करने लगी. मैं भी उसको बांहों में लेकर किस करने लगा.
हमारी दोनों की जीभ आपस में एक होती जा रही थी. मैं उसके बूब्स को दबा रहा था और उसकी पूरी बॉडी को सहला रहा था.

धीरे-धीरे मैंने एक हाथ उसकी पैंटी के ऊपर लगाकर देखा तो वह पूरी गीली हो चुकी थी. मैंने कहा- तुम्हारी पैंटी तो गीली हो चुकी है.
वह बोली- जब से बाइक पर तुम्हारा टच हुआ है तब से मेरी चूत में खुजली हो रही है. गीली नहीं होगी तो और क्या होगा.
वह बोली- चलो अब कपड़े उतारो.
मैंने कहा- तुम खुद ही उतार लो

उसने कहा- ठीक है, मैं ही उतार देती हूँ.
उसने मेरा टी-शर्ट, पैंट और अंडरवियर सब निकाल दिया. अब मैं पूरा नंगा हो गया था. मैंने भी उसकी नाइटी और पैंटी उतार दी.

अब मैं उसे सोफे पर लेटा कर उसके बूब्स चूसने लगा था. बहुत ही मस्त बूब्स थे उसके. मैंने आइसक्रीम उठाकर उसके बूब्स पर लगा दी और उसको चाटने लगा. फिर उसकी पूरी बॉडी पर लगा दी और चाटने लगा. उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था. वह मदहोश हो रही थी. फिर मैंने उसको सोफे पर बैठा दिया और उसकी दोनों टांगें फैला कर उसकी चूत को चाटने लगा अपनी जीभ से. उसकी चूत गुलाबी थी.

वह मस्ती में होकर स्स्स्…आह्ह्ह्…करने लगी थी.
मैंने कहा- थोड़ा धीरे बोल ना जान, अगर कोई सुन लेगा तो क्या कहेगा.
उसने कहा- अगर आज पूरा ज़माना भी सुन लेगा तो कोई ग़म नहीं है। प्लीज़ रूतुल … आहह्ह … बहुत मज़ा आ रहा है. आज तक मेरी चूत किसी ने इस तरह नहीं चाटी है. अगर तुम मुझे पहले मिल गए होते तो मुझे अब तक प्यासी नहीं रहना पड़ता। आह्ह्ह … आइ लव यू …
उसने कहा- मेरा पानी निकलने वाला है रूतुल … आहाह …
ऐसा कहते हुए उसकी चूत से पानी निकलने लगा.

अब उसने मुझे सोफे पर बैठा लिया और मेरा लंड चूसने लगी. उम्म्ह… अहह… हय… याह…
मैं उसकी पीठ को सहला रहा था. साथ ही उसके बूब्स को भी दबा रहा था. अब मैंने उठाकर उसको अपनी गोद में बैठा लिया और वह मेरी गोद में बैठ गई। वह मेरे लंड पर बैठ गई और मेरा लंड उसकी चूत में चला गया. वह मेरे लंड के ऊपर बैठकर उछलने लगी. उसकी चूत से पच्च-पच्च की आवाज़ आ रही थी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
उसने कहा- चोदो मुझे!

वह मेरे लंड पर उछलते हुए मुझे किस भी करती जा रही थी. मैं भी उसको किस करता हुआ उसकी चूत में लंड को अंदर-बाहर होने दे रहा था. फिर मैंने उसे खड़ी कर दिया। उसका एक पैर सोफे पर रखा और उसको झुका कर पीछे से उसकी चूत में लंड को डाल दिया.
उसकी चूत में लंड डाल कर मैं उसे चोदने लगा. वह और ज़ोर से आवाज़ें निकालने लगी ‘आह्ह … ओह्ह्ह … कमॉन … आह्ह्ह … फक मी … आह्ह्ह …
मैंने कुछ देर उसको इसी तरह दबाकर चोदा और फिर उससे कहा- मेरा निकलने वाला है.
वह बोली- मुझे तुम्हारी क्रीम को खाने का मन है. तुम मेरे मुंह में अपनी क्रीम निकाल दो.

मैंने खड़ा होकर उसके मुंह में अपना लंड दे दिया. उसके मुंह में जाते ही लंड ने पिचकारी मारी और सारा वीर्य उसके मुंह में जाने लगा. फिर हम दोनों नंगे ही बाथरूम में जाकर नहाने लगे. नहाते हुए मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और मैंने फिर से बाथरूम में उसकी चुदाई कर डाली.

दोस्तो, आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, मुझे मेल में ज़रूर बताना. आप मेरी कहानी पर कमेंट्स के ज़रिए भी बता सकते हैं कि आपको मेरी कहानी कैसी लगी.

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