बस में मिली अप्सरा का साथ • Kamukta Sex Stories

बस में मिली अप्सरा का साथ

हाय दोस्तो मेरा नाम विजय है. मैं 32 साल का गोरखपुर का रहने वाला हू. अगर मेरी कहानी अछी लगी तो प्लीज़ मैल करिए विजयमलेसेरवांत@गमाल.कॉम पर. अब कहानी शुरू करता हू. ठंड का महीना था और मैं गोरखपुर से देल्ही जा रहा था बाय बस. बस पूरा फुल था, मेरे बगल में एक बूढ़ा आ कर बैठ गया. और कुछ देर बाद मैं सो गया. करीब तीन घंटे बाद मेरी नींद टूटी तो देखा एक बहुत खूबसूरत लेडी आकर मेरे बगल में बैठी थी.

करीब एक घंटे बाद उस लेडी को नींद आने लगी. वो बार बार अपना सर मेरे कंधे पर रख रही थी… वो एक दम मुझसे चिपक कर बैठी थी. एक तो ठंड का महीना और बगल में औरत का होना, कसम से मज़ा आ गया. उसका बदन बहुत गरम था. मुझे तो जोश चढ़ने लगा. मैं जान बुझ कर उसे अपना बॉडी टच करता रहा. बहुत गर्मी मिल रही थी. अचानक बस एक धाबे पर जा रुकी. और कुछ ही देर में वो नींद से जागी. मैं नीचे जा कर पेशाब करने लगा और फिर चाय पीने लगा. फिर एक 20 वाला अंकल चिप्स और एक बॉटल पानी लेकर अपने सीट पर बैठ गया. कुछ देर बाद उस लेडी ने कहा मुझे प्यास लगी है थोड़ा पानी मिलेगा, मैं कहा लीजिए.

मैने कहा थोड़ा चिप्स भी लीजिए पर उसने मना कर दिया. बस स्टार्ट हो गया, मैने पूछा कहा जाना है आपको, तो वो कही की लक्नोव जा रही हू मेरी बेटी से मिलने. और आप, तो मैने कहा देल्ही जा रहा हू. नौकरी के तलाश में. और उसने अपना कंबल निकाल कर ओढ़ ली. बातें करते करते वो सो गयी. और मैं भी सो गया. करीब 1 बज रहा था मेरी नींद टूट गयी. बस काफ़ी हिल डुल रहा था. उस लेडी का शरीर बार बार मेरे बॉडी से टच हो रहा था, और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैं एक चान्स लेने का सोचा. मैं धीरे से अपना एल्बो उसके बूब्स के पास ले गया और उसके बुब्स से टच करने का कॉसिश करने लगा. जब भी बस टर्निंग लेता, उसका शरीर मेरे एल्बो से टच होने लगा. मुझे उस्का मुलायम बुब्स अपने एल्बो में महसूस होने लगा… करीब आधे घंटे तक यह सिलसिला चलता रहा….

और मैं उसका आनंद लेने लगा. मुझे थोड़ा हिम्मत आया और मैं अपना हाथ फोल्ड कर के उसके बूब्स पर अपना हाथ धीरे धीरे फेरने लगा. मज़ा आ रहा था पर पूरा नही. क्यूंकी उसने कंबल ओढ़ रखा था. मेरा लंड एकदम टाइट हो गया था. मुझे बहुत जोश चढ़ गया था. धीरे धीरे मेरी हिम्मत और बढ़ गयी. इस बार मैने अपना एक हाथ उसके कंबल के अंदर डाल कर उसका बूब्स टच करने लगा. उसने कुछ नही कहा तो मुझे लगा शायद वो गहरी नींद में है.

और मैं अपना काम जारी रखा. अचानक बस ने झटके में ब्रेक मारी तो उसका नींद टूट गया. और मैं उसके कंधे पर अपना सिर रख कर सोने का नाटक करने लगा. उसने कुछ नही कहा और मैं भी नाटक जारी रखा. धीरे धीरे मैने अपने एल्बो का प्रेशर उसके बूब्स पर डालने लगा. थोड़ी देर बाद मैने उसके कंबल के अंदर चला गया. क्यूंकी बहुत ठंड थी और मेरे पास कंबल नही था. उसे लगा सयद मैं नींद में कंबल में घुस गया. और उसने कुछ नही कहा. और मैं अपना एल्बो वाला गेम खेलता रहा. कुछ समय बाद मुझे लगा वो सो गयी है.

और अपने हाथ से उसका बूब्स टच करने लगा. इस बार मुझे बहुत बहुत मज़ा आ रहा था. उसके बूब्स बहुत मुलायम और बहुत गरम थे. अब मुझे उसका निप्पल महसूस हुआ. उसका निप्पल टाइट हो गया था. तब मुझे लगा कही वो जाग तो नही रही. मेरी हिम्मत और बढ़ गयी मैं जान बुझ कर उसका बूब्स थोड़ा कस कर दबाने लगा. थोड़ी देर बाद उसने अपना हाथ मेरे हाथ के उपर रखा, मैं एकदम डर गया पर उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने दूसरे बूब्स पर रख दिया. अब क्या था, मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया था.

अब मैं खुल कर उसका बूब्स टच करने लगा. ऐसा लग रहा जैसे मैं स्वर्ग मे हू. और थोड़ी देर बाद लक्नोव आ गया. सुबह के 4 बज रहे थे. उसने मुझे कहा मेरा स्टेशन आ गया है. मैने पूछा क्या आप लक्नोव में रहती है तो उन्होने कहा नही, यहा मेरी बेटी हॉस्टिल में रहकर पड़ती है. और मैं होटेल जा रही हू. क्या तुम मेरे साथ होटेल चलोगे. मैने कहा मेरे पास इतना पैसा नही है. तो उसने कहा मैं हू ना. और हम बस स्टेशन पर 6 ए.एम तक रुके और फिर होटेल चले गये. क्या सुंदर रूम था. मैं पहली बार ऐसा होटेल देखा था. फिर हम फ्रेश हो गये. उसने मेरा नाम अंकित जैन के नाम से रूम बुक किया था. मैने पूछा अंकित कौन है उसने कहा, उसके हज़्बेंड का नाम है.

फिर मैने उसे कहा मेरा नाम विजय है. और आपका तो उसने कहा मेरा नाम निकिता जैन है और गोरखपुर की रहने वाली हू. फिर उसने मुझे बहो में ले लिया. मैने उसका ड्रेस धीरे धीरे निकाल कर उसके बॉडी को किस करने लगा. पहले उसके बूब्स को खूब चुसता रहा और साथ ही एक उंगली उसके बुर में डाल कर अंदर बाहर करने लगा, और धीरे धीरे यूस्क पेट से होते हुए उसके बुर तक पहुच गया. क्या खुशबू थी उसकी बुर की… एक दम चिकना बुर था उस्का.

धीरे धीरे मैं उसका बुर चूसने लगा. करीब 5 मिनिट बाद उसने कहा विजय अब इंतेज़ार नही होता डाल दो अपना लंड मेरी चुत में. और मैं धीरे से अपना लंड उनके बुर में पेल दिया. और धीरे धीरे उनको चूसने लगा… क्या गरम गरम बुर था उसका. बहुत मज़ा आ रहा था उनको चूसने में. हमारी चुदाई करीब 20 मिनिट तक चली. और हम इसी तरह छुदाई करते रहे तीन दिन तक. पोज़िशन बदल बदल कर.

फिर उसने मुझे .5000 रूपीस दिया और कहा अब तुम देल्ही जा सकते हो. अब हम दोबारा कभी नही मिलेंगे. मैने थॅंक यू कहा और वाहा से चला गया देल्ही अपने काम के तलाश में. अगर मेरी कहानी अछी लगी तो प्लीज़ मुझे मैल करे. पर मुझे नौकरी की तलाश है, अगर कोई मुझे जॉब देना चाहेगा या चाहेगी प्लीज़ रिप्लाइ करिएगा. थॅंक यू फॉर रीडिंग माय स्टोरी. कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार नीचे कॉमेंट्स मे ज़रूर लिखे, ताकि हम आपके लिए रोज़ और बेहतर कामुक कहानियाँ पेश कर सके – डीके