cousin ke muh mai lund dala • Kamukta Sex Stories

कजिन के मुहं में लंड डाला

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम सूर्य है और में उत्तर प्रदेश के फैजाबाद से हूँ, में इस साईट का बहुत बड़ा फैन हूँ. में इस पर प्रकाशित होने वाली हर कहानी को पढ़ता हूँ. बहुत सी कहानियाँ पड़ने के बाद मुझे भी लगा कि मुझे भी अपनी कहानी लिखनी चाहिए. में एक 22 साल का लड़का हूँ और मेरे लंड का साईज़ 7 इंच है. में एक अच्छी बॉडी वाला लड़का हूँ, मेरी हाईट 6 फुट है.

मेरी कजिन का नाम ममता है और वो मेरी बुआ की लड़की है. उसका साईज़ 36 बूब्स, 24 कमर और 35 की गांड है, वो हमारे यहाँ रहकर पड़ाई करती थी, वो मुझसे कोई 3 या 4 साल बड़ी है, उसके दो भाई है. अब में आपको बोर ना करते हुए सीधे कहानी पर आता हूँ, बात आज से करीब 7 या 8 साल पहले की है जब में 10वीं क्लास में पढ़ता था. मुझे दोस्तों से थोड़ी बहुत सेक्स की जानकारी थी, में अक्सर ही उसके साथ चिपक कर सोता था, क्योंकि में बहुत छोटा था इसलिए वो भी बुरा नहीं मानती थी.

एक दिन में अचानक से रात में उठा तो मेरा हाथ उसके बूब्स पर था, मैंने महसूस किया कि वो रात में ब्रा नहीं पहनती थी सिर्फ़ नाइटी पहनकर सोती थी. मुझे उसके बूब्स बड़े मुलायम लगे, तो मैंने उनको धीरे-धीरे सहलाना शुरू किया और इधर मेरे लंड महाराज भी अपनी नींद से उठ रहे थे. अब लंड धीरे-धीरे उठकर पूरी तरह से खड़ा हो गया. उधर में उसके बूब्स सहला रहा था, क्या बताऊँ यार कितना मज़ा आ रहा था? में तो जन्नत में था. मैंने पहली बार किसी लड़की के बूब्स छुए थे.

फिर धीरे-धीरे में और आगे बड़ा और मैंने अपना हाथ उसकी क्लीवेज पर रखा, जिसमें से उसके आधे बूब्स बाहर नज़र आ रहे थे. अब में अपने दोनों हाथों से उसके दोनों बूब्स सहलाने लगा. मेरा दिल और आगे बढ़ने को कह रहा था, लेकिन दिमाग़ रोक रहा था कि कहीं वो उठ ना जाए और मुझे पकड़ ना ले, लेकिन कहते है ना चूत की भूख की आग लगती है तो भूत से भी डर नहीं लगता है, तो मैंने अपना हाथ उसकी नाइटी में डाल दिया और उसके बूब्स सहलाने और हल्के-हल्के दबाने लगा, क्या मस्त बूब्स थे यार उसके? बड़े मुलायम और शायद मेरे सहलाने की वजह से निपल बड़े सख्त हो गए थे.

फिर धीरे-धीरे मैंने अपना पूरा हाथ उसके शरीर पर घुमाया. क्या बताऊँ यार उसकी बॉडी की स्किन कितनी सॉफ्ट थी? फिर में हाथ फेरते हुए उसकी नाभि पर पहुँचा और वहाँ हाथ फेरने लगा. फिर थोड़ी देर के बाद में अपना हाथ उसकी पेंटी पर ले गया, उसकी पेंटी को टच करते ही मेरे शरीर में अजीब जी झंनझनाहट हुई जैसे मेरे पूरे शरीर में बिजली दौड़ गई हो. फिर मैंने यहाँ वहां टटोलना जारी रखा तो मुझे एक फूला हुआ पार्ट दिखा. में तुरंत समझ गया कि ये उसकी चूत है.

फिर मैंने उसकी पेंटी के नीचे से उंगली डालकर मैंने उसका जायजा लिया, क्या बताऊँ यार उसकी चूत पूरी आग की भट्टी लग रही थी? एक ऐसी आग जिसमें हर कोई जल जाना चाहता है. फिर ऐसा करते हुए वो रात निकल गई और उसे पता नहीं चला. फिर जब भी में उसके साथ सोता तो में यही सब करता था, लेकिन फिर जब तक वो हमारे यहाँ रही में इसके आगे नहीं बड़ पाया.

फिर उसका कॉलेज पूरा हो गया और वो अपने गावं चली गई. फिर में अकेला पड़ गया और उसको सोचकर मुठ मारने लगा, लेकिन वो मज़ा नहीं आता था. मेरे पापा चार भाई है और उनमें मेरे पापा सबसे बड़े है, मेरे बड़े अंकल की एक बेटी है, उसका नाम सौम्या है, वो मुझसे दो साल छोटी है. जब मेरी बुआ की लड़की चली गई तब मैंने सोचा क्यों ना इसी से काम चलाया जाए? फिर में उसके साथ भी वही सब करने लगा, लेकिन में उसके साथ ज़्यादा खुल नहीं पाया था.

फिर मेरे बड़ी बहन की शादी आ गई, उसमें मेरी बुआ की लड़की भी आई हुई थी. अब वो हमारे घर पर करीब दो साल के बाद आई थी, उन दो सालों में वो काफ़ी ज़्यादा बदल गई थी और उसके बूब्स और बड़े हो गए थे. लेकिन अब में 21 साल का हो गया था, तो मुझे उसके साथ सोने को नहीं मिलता था, लेकिन जब से वो आई है, उसके व्यवहार में काफ़ी बदलाव हुआ है. अब वो खुलकर मज़ाक करती और कभी-कभी तो हद ही पार कर देती थी. एक दिन वो बाथरूम में नहा रही थी, हमारा बाथरूम हमारे घर के बीचो बीच आँगन में है और ऊपर से खुला है.

मैंने डिसाइड किया कि आज इसे नंगा देखूँगा, मेरे घर की छत से बाथरूम के अंदर का पूरा दिखता है तो में छत पर चढ़ गया और छुपकर उसे नहाते हुए देखने लगा, लेकिन वो ठीक से दिख नहीं रही थी. वो बाथरूम में बैठकर नहा रही थी, उसके साथ मेरी बहन भी खड़ी थी तो में निराश हो गया, लेकिन फिर भी में देखता रहा और जब वो कपड़े पहनने के लिए उठी तो वो थोड़ा बाहर आ गई, क्योंकि अब मेरी बहन वहाँ बैठकर नहाने लगी थी.

फिर वो जैसे ही बाहर आई तो में उसे देखता ही रह गया, उसके बूब्स क्या लग रहे थे? और उसका फिगर तो कमाल का था, उसे देखकर मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया और फिर में उसे देखते हुए वहीं पर उसके नाम की मुठ मारने लगा. तभी उसने मुझे देख लिया, मेरी तो फट गई थी, अब क्या होगा? लेकिन फिर मैंने देखा कि वो छुपने या गुस्सा होने कि बजाए वो तो मुझको एक सेक्सी सी स्माइल दे रही थी. फिर में वहाँ से चला गया और दिनभर उससे बचता रहा. फिर रात को जब में घर वापस आया तो काफ़ी देर हो चुकी थी और घर की सारी औरतें पड़ोस के प्रोग्राम में गई हुई थी. फिर में खाना ख़ाकर एक कमरे में सो गया, फिर थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद मुझे नींद नहीं आ रही थी और सुबह का वही सीन मुझे याद आ रहा था. तभी थोड़ी देर के बाद वो फोन पर किसी से बात करते हुए मेरे कमरे में आई और मुझे सोता हुआ देखकर फोन पर बात करते हुए मेरे बगल में सो गई.

उसके बाद में मुझे पता चला कि वो उसका होने वाला पति था, फिर थोड़ी देर के बाद उसने फोन रख दिया. फिर वो लेटे हुए ही मेरे पास आ गई और मुझे जगाने लगी. फिर में थोड़ी देर के बाद बहाना करते हुए उठा तो उसने कहा कि तुम सुबह क्या कर रहे थे? तो मैंने बड़ी हिम्मत करके कहा आपको देख रहा था, तो मैंने सोचा यही मौका है आज जो भी ही करना है कर लो. तो उसने कहा अच्छा बहन को नंगा देखते हुए शर्म नहीं आई, तो मैंने कहा खूबसूरती से शर्माना कैसा? फिर मैंने पूछा आप गुस्सा तो नहीं हुई, फिर मुस्कुरा क्यों रही थी? तब उन्होंने मुझे बताया कि तुम मेरे साथ पहले जो करते थे मुझे सब पता है. फिर में समझ गया इसका भी मन है, फिर उसने कपड़े बदलने के लिए लाईट जलाई. फिर उसने मेरे ही सामने मेरी छोटी कजिन के स्कर्ट और टॉप पहन लिया और आकर मेरे पास सो गई. फिर मैंने देर किए बिना ही उसके बूब्स दबाना और किसिंग करना शुरू कर दिया. तभी उसके मंगेतर का फिर से फ़ोन आ गया, लेकिन में रुका नहीं और में उसे चूमता रहा और उसके बूब्स दबाता रहा.

फिर थोड़ी देर के बाद मैंने उसके पूरे कपड़े उतार दिए और ब्रा खोल दी. फिर में उसके निपल चूसने लगा वो, अया आह्ह्ह्ह करने लगी थी. उसके पति ने पूछा क्या कर रही हो? तो उसने कहा आपसे बात करके उत्तेजित हो गई तो अपने बूब्स दबा रही हूँ. इधर में उसकी पेंटी उतार चुका था और उसकी चूत में उंगली कर रहा था और वो मेरा लंड सहला रही थी. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. ऐसे ही काफ़ी देर तक करने के बाद वो झड़ गई और फिर में उसे उसके मुँह को चोदने लगा. वो बहुत अच्छा लंड चूसती है. फिर थोड़ी देर तक चोदने के बाद में उसके बूब्स चोदने लगा. फिर थोड़ी देर के बाद में भी झड़ गया, उसके बाद वो जब तक हमारे घर पर रही हम मौका मिलते ही शुरू हो जाते थे, लेकिन अब वो चली गई है. अब तो बस उसके नाम की मुठ मारकर काम चलाता हूँ.