देसी गाँव की चुदाई की कहानी मेरे मामा के घर की है. मैं वहां रहने गया तो मेरे मामा की जवान लड़की को मैंने नंगी देखा. मेरा मन उसकी चुदाई का हो गया.
नमस्ते मित्रो, मैंने अन्तर्वासना की बहुत सी कहानियां पढ़ी हैं.
मुझे लगता था कि कुछ कहानियां काल्पनिक हो सकती हैं लेकिन मैं भी अपनी उत्तेजना मिटाने के लिए सेक्स कहानी पढ़ता था और मुठ मारके आराम से सो जाता था.
आप लोग कहोगे कि ये आम तौर पर सबके साथ होता है.
सभी पाठक यही सोचते हैं, यही सही भी है, लेकिन मुझे सेक्स कहानी पढ़ने की इस कदर आदत हो गयी थी और लगने लगा था कि सभी लड़कियां मुझसे चुदवाना चाहती हैं.
मैं आप लोगों को बताना चाहता हूँ कि ये मेरा पहला अनुभव है, जो आपके साथ शेयर करना चाहता हूँ.
आशा है कि आप लोगों को मेरा ये किस्सा पसंद आएगा.
ये मेरे साथ सच्ची घटना घटी है जो मैं इस देसी गाँव की चुदाई की कहानी के माध्यम से दिल खोलकर बताने वाला हूँ.
पहले मैं अपने बारे में बता देता हूँ.
मेरा नाम अभी मालकर है, मेरी लंबाई पांच फिट पांच इंच है. मैं दिखने में एकदम गोरा हूँ और एकदम फिट बॉडी वाला युवा हूँ. मेरी उम्र 28 साल है.
मैं कोल्हापुर महाराष्ट्र में रहने वाला हूँ.
आप तो लोग जानते ही हैं कि कोल्हापुर के लोग कैसे होते हैं.
दिल लगाना कोल्हापुर वालों से सीखना चाहिए, हम कोल्हापुरी वायदे के एकदम पक्के होते हैं.
हम लोग ऐसे होते हैं कि भले जान चली जाए पर वादा नहीं टूटने देते हैं.
मेरी बॉडी लड़कियों को इतनी अच्छी लगती है कि मुझे एक नजर देख कर ही बांहों में लेने को मचल जाए.
मेरा लवड़ा काफी मोटा और लम्बा है. ये किसी भी चूत में जाकर उसका पानी निकाल कर ही बाहर निकलता है.
यह घटना सात साल पुरानी है.
मैं अपने मामा के गांव गया था. मेरे मामा का गांव सांगली जिले में आता है.
ये गांव बहुत छोटा है. उधर ज्यादातर लाइट नहीं रहती, बस भी सुबह और शाम दो बार ही आती है.
आप लोग कहेंगे कि मैं झूठ बोल रहा हूँ, लेकिन ये सच है.
मेरे मामा के घर में मामी मामा के साथ उनकी दो बेटियां और एक बेटा रहते हैं.
मेरे नाना नानी भी हैं.
हमारे मामा खेती का काम देखते हैं.
मामा की बड़ी बेटी का नाम राजश्री है उसकी उम्र 24 साल है. दूसरी वाली मेघा है, उसकी उम्र 22 साल है. मामा के बेटा का नाम राहुल है. उसकी उम्र 19 साल है.
बात ऐसे घटी कि मैं अपनी बारहवीं की परीक्षा खत्म करके छुट्टी मनाने मामा के घर गया था.
मामा के घर पहुंचते ही सब बहुत खुश हुए … क्योंकि मेरी सबसे जमती थी.
वैसे तो मैं हर बार छुट्टी मनाने मामा के घर जाया करता था लेकिन इस बार की छुट्टी कुछ अलग ही मजा दे गयी.
इस बार मेरी मामा की बड़ी बेटी राजश्री के साथ मेरा कुछ ही गया था.
राजश्री दिखने में साधारण है लेकिन उसकी फिगर बड़ी मस्त है.
उसके दूध देखकर तो बस चूस लेने का मन करने लगता है. उसके रसीले होंठ तो ऐसे हैं कि बस अपने होंठों में दबा कर काट खाने का मन करे.
उसकी मुस्कान किसी को भी घायल कर दे. उसकी कमर एकदम लचकदार है. पूरी फिगर कयामत है.
वो चूड़ीदार सूट में बहुत अच्छी दिखती है.
पहले मेरे मन में उसके लिए कोई गलत इरादे नहीं थे लेकिन इस बार कुछ ऐसा हुआ कि समझो गरम सेक्स कहानी बन गई.
मेरे मामा का घर पुराना है. उसमें एक हॉल, किचन और एक बेडरूम है. उनका घर एक रेल की डिब्बे की तरह है.
पहले हॉल है, बीच में बेडरूम और अंत में किचन है.
किचन के बाद बाथरूम है.
रसोई काफी हवादार रहे, इसलिए उसे पीछे बनाया गया था.
उधर की खुली हवा मुझे काफी अच्छी लगती थी.
किचन काफी बड़ा था.
जैसा कि मैंने बताया है कि मामा के गांव में ज्यादातर समय लाइट रहती ही नहीं है.
उस दिन रात के समय लाइट नहीं थी तो हम सब मिलकर गप्पें लड़ा रहे थे.
काफी देर तक लाइट नहीं आयी तो मैं किचन में सो गया.
बाकी सब लोग रूम और हॉल में सो गए.
गांव में सभी लोग सुबह जल्दी ही उठ जाते हैं, लेकिन मेरी आदत दस बजे तक उठने की थी.
मामा के घर में मेरी इस आदत के बारे में सभी को पता था तो मुझे कोई उठाता नहीं था.
चूंकि घर में अंत में बाथरूम बना था तो वहां नहा कर कपड़े बदलने के लिए रसोई में आ जाते थे.
उस दिन मेरी आदत की वजह से किसी ने मुझे नहीं उठाया.
मैं गहरी नींद में सो रहा था. मैं तीन बजे रात में सोया था.
मामी जल्दी उठकर नहाने के लिए बाथरूम में आ गईं.
फिर उन्होंने सभी नानी समेत अपनी दोनों बेटियों को उठाकर नहाने भेजा.
सभी नहाकर कपड़े बदल बदल कर जाते जा रहे थे.
उस वक्त कुछ ऐसा हुआ कि राजश्री नहाकर किचन में आयी.
वो पूरी नंगी थी.
उसने सिर्फ पैंटी पहनी थी और उसके बाल पूरे गीले थे. वो बालों को तौलिये से सुखा रही थी.
उसके बाल झटकने से अचानक से मेरे ऊपर पानी की बूंदें गिरीं जिससे मेरी नींद खुल गयी.
मेरी आंखें खुलते ही मुझे राजश्री पूरी नंगी दिखी.
मैंने झट से आंखें बंद कर लीं. मुझे इतना डर लगा कि मेरी धड़कनें बढ़ गईं.
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं.
फिर दिल नहीं माना तो मैं अपनी आंखों को जरा सा खोल कर चोरी चोरी उसको देखने लगा.
क्या अप्सरा सी लग रही थी वो … मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि राजश्री इतनी सुन्दर है.
उसके गीले बाल रेशम की तरह दिख रहे थे. उसके गाल गुलाब की तरह थे, नशीली आंखें मुझे पागल बना रही थीं.
उसका पूरा फिगर मुझे मदमस्त कर रहा था.
उठे हुए चूतड़ कसी हुई पैंटी में बड़े मस्त थे.
पतली कमर के ऊपर थिरकते मम्मे आह मेरा लंड खड़ा कर रहे थे.
उसके मम्मों के ऊपर ब्रॉउन कलर की दो चेरियां मुझे उकसा रही थीं.
मेरा लवड़ा पूरा तन कर खड़ा हो गया था. मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था.
मैं कम्बल ओढ़े हुए था तो कम्बल में ही मुठ मार रहा था.
आखिर उसने कपड़े पहन लिए और बाहर चली गयी.
उसका ध्यान मेरी तरफ एक बार भी नहीं गया.
वो तो चली गई थी लेकिन मेरा हाल एकदम बुरा कर गयी थी.
मेरी नींद ही उड़ गयी थी.
थोड़ी देर बाद में उठ गया और बाथरूम में आ गया. उधर खुल कर मुठ मारने लगा.
अपने मामा की लड़की राजश्री को याद करके मैंने लंड का पानी झाड़ दिया.
फिर मैं नहाकर बाहर आ गया. मेरा पूरा होश उड़ गया था. मुझे सिर्फ सुबह का देखा हुआ नजारा याद आ रहा था.
मामी बोल रही थी- राजश्री भैंस दुह रही है, जा उससे थोड़ा दूध ले आ.
राजश्री भैंस का दूध निकाल रही थी.
मेरे मामा ने दो भैंस भी पाली हुई थीं. जिस वजह से दूध की कोई कमी नहीं थी.
मामी की बात सुनकर मैं दूध लेने उधर गया तो देखा कि राजश्री भैंस के थन मसल कर और खींच खींच कर दूध निकाल रही थी.
मुझे ऐसा लगा कि ये लंड निचोड़ कर दूध निकाल रही हो.
मैं उसके सामने गया तो मुझे शर्म आने लगी.
वो बोली- क्या तुम दूध निकालोगे?
मुझे समझ में नहीं आया.
मैं अपने ख्यालों में था. तभी राजश्री मेरे करीब आयी और मुझे खींच कर भैंस के पास ले आई.
उसने मुझे बिठाया और मेरे पीछे आकर बैठ गयी.
मैं जरा हिचक रहा था तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर भैंस के थन पर धर दिया.
उसने दूध निकालने के लिए भैंस के थन को पकड़ने के लिए मेरे हाथ थन पर लगा दिए.
मुझसे कण्ट्रोल नहीं हुआ और मैं पीछे की तरफ हो गया.
इससे हुआ ये कि मैं राजश्री के ऊपर गिर गया.
हड़बड़ी में मैं पलट गया. मेरे हाथ एकदम से पीछे को हुए और उसके मम्मों पर जा लगे.
मैंने बड़ी जोर से उसके स्तन दबा डाले.
तभी अचानक से मैं पूरी तरह से पलटा और मेरे होंठ उसके होंठों से टकरा गए.
मेरा खड़ा लंड उसके नीचे चूत के पास टकरा गया.
ये इतनी जल्दी में हुआ कि हम दोनों को ही कुछ समझ में नहीं आया.
मैं एकदम से घबरा गया और उठ कर जल्दी से घर में आ गया. मैं बहुत डर गया था, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं.
तभी मामी बोलीं- अभी … दूध नहीं लाया?
तो पीछे से राजश्री आयी और बोली- ये लो मां, दूध.
मामी बोलीं- अभी को क्या हुआ … ये दौड़ते हुए क्यों आया और तुम इतनी गंदी क्यों हो गयी हो राजश्री?
उसने कहा- मम्मी अभी तो दूध लेने आया था … लेकिन भैंस ने लात मारी तो मैं गिर गयी और ये डर के मारे भाग आया.
मामी हंसने लगीं और बोलीं- ये आम बात है, उसमें क्या है.
फिर मामी अन्दर जाते जाते राजश्री से बोलीं- जा, अपने कपड़े बदल ले.
वो भी अन्दर आ गयी. मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है.
फिर मैंने कैसे भी करके मन को समझाया और मामा के बेटे के साथ खेत पर चला गया.
वहां मुझे थोड़ा अच्छा लगा.
कुछ समय बाद घर वापस आने के बाद मैं राजश्री के सामने जा नहीं पा रहा था.
वो मेरे सामने आती, तो मैं पलट जाता या दूसरा काम करने लगता या किसी काम की कहते हुए बाहर भाग जाता.
ऐसे करके आठ दिन निकल गए.
मैं राजश्री के साथ बात नहीं करता.
घर में ही होते हुए उससे बात नहीं करता.
इससे सबको ये समझ में आ गया कि मेरी और राजश्री में लड़ाई हुई है.
सभी राजश्री को डांटने लगे.
लेकिन मैंने मामा मामी से कहा- उसका कोई दोष नहीं है, गलती मेरी है.
मैं कुछ बोलने ही वाला था, तभी राजश्री ने कहा- मां मैंने अभी को खेल में डांट दिया था, इसलिए वो मुझसे बात नहीं कर रहा है.
मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि ये क्या कह रही है.
मैं चुप रहा.
सभी ने मुझे समझाया तो मैं बोला- ठीक है अब मैं उसके साथ बोल लेता हूँ.
अब मैंने राजश्री से बात की, फिर भी मैं उसके साथ नजर नहीं मिला पा रहा था.
इसी तरह से दो दिन और निकल गए.
मामा को किडनी में स्टोन था, जिस वजह से उस दिन मामा को बहुत दर्द हो रहा था.
डॉक्टर ने मामा को दवाई देकर आराम करने को कहा.
उस दिन खेत में पानी देना था, दिन जाने को हो गया था और पानी देना जरूरी था.
फिर मैं और मामा का लड़का जाने को तैयार हुए.
तभी मामी बोलीं- चलो मैं भी आती हूँ.
राजश्री ने कहा- नहीं मम्मी, मैं जाती हूँ तुम पापा का ख्याल रखो.
उसकी बात सुनकर मामी मान गईं.
हम तीनों रात को खेत पर आ गए.
मैंने शार्ट और टी-शर्ट पहनी थी.
मामा के लड़के ने नाईट पैंट शर्ट पहना था और राजश्री ने लहंगा चोली पहना था.
हम तीनों ने खेत पर पहुंच कर पानी छोड़ा.
सभी खेतों में पानी छोड़ने काफी समय लग गया. हम तीनों बहुत थक भी चुके थे.
सबसे ज्यादा मामा का बेटा थक गया था. उसने बेचारे ने बहुत काम किया था.
खेत में एक झोपड़ी बनी थी, उधर जा कर हम तीनों सो गए.
करीब दो बजे रात में राजश्री ने मुझे उठाया और बोली- मेरे साथ चलो, मुझे पेशाब करनी है.
बाहर अंधेरा था, किसी जानवर आदि का डर भी था. मैं टॉर्च और डंडा लेकर उसके पीछे पीछे गया.
हम दोनों खेत के दूसरी तरफ गए. दूसरे के खेत में मैं साइड में खड़ा रहा.
वो लहंगा उठा कर पेशाब करने लगी.
मेरा ध्यान उधर उधर नहीं लग रहा था बस बार बार मैं उसी को मूतते हुए देख रहा था.
वो मूत कर उठी और मेरे पास आकर बोली- क्या देख रहा था?
मैं डर गया और बोला- सॉरी.
डर के मारे मैं कांप रहा था.
वो पास आयी और बोली- इसमें क्या डरना, जवानी में ये सब होता है. मैंने तुमसे कुछ कहा क्या?
ये कह कर उसने मेरे गाल पर किस कर दिया.
मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि ये क्या हुआ.
मैं बोला- ये गलत है.
उसने बोला- साले उस दिन किचन में भी मुझे नंगी देख रहा था, तब तुझे गलत नहीं लगा.
मेरे दिमाग ने सब कुछ समझना बंद कर दिया.
मैंने उससे पूछा- तो तुम्हें पता था?
उसने हां कहा.
मैंने पूछा- फिर डांटा क्यों नहीं?
उसने बोला- मैं पहले तो गुस्सा थी लेकिन तुम बाद में मुझसे भागने लगे तो मुझे तुम पर प्यार आने लगा. फिर उस दिन तुम सच बोलने वाले थे, तब से में तुम्हारे प्यार में पड़ गयी.
ये कह कर उसने मुझे अपनी बांहों में ले लिया और बोली- मैं तुमसे प्यार करती हूँ … तुम भी आज मुझे प्यार करो.
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन मेरी भी वासना जाग उठी और मैंने उसके होंठों के ऊपर अपने होंठ रख दिए.
मैं जोर जोर से किस करने लगा.
हम दोनों का खेत में चुदाई का खेल शुरू हो गया.
मैं जोर जोर से उसके स्तन दबा रहा था और किस किए जा रहा था.
मेरा लंड तन गया था.
उसने मेरा लंड हाथ में ले लिया और सहलाने लगी.
मैं आसमान में उड़ने लगा था.
मैंने तुरंत उसके कपड़े उतार दिए.
वो सिर्फ पैंटी में रह गई थी.
उसने भी मेरे कपड़े उतार दिए.
हम इतने जल्दी में नंगे हुए थे कि हमें पता ही नहीं चला.
मैंने उसको ऊपर से नीचे तक देखा … क्या माल दिख रही थी वो!
मैंने उसके एक स्तन को चूसना शुरू कर दिया और दूध चूसते चूसते मैंने पैंटी निकाल दी.
चूत नंगी हुई तो मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी.
वो सिहर उठी और उसने मेरा लंड पकड़ लिया.
मैंने उससे कहा- मैं लेट जाता हूँ … तुम मेरे ऊपर आ जाओ.
हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.
उसने मेरा लंड थोड़ा चूसा लेकिन उसको थोड़ा नमकीन लगा तो उसने लंड मुँह से हटा दिया और उठ कर बैठ गयी.
मैं उसकी टांगें फैलाकर चूत को चूसने लगा.
वो चूत चुसवाने से पागल होने लगी और मेरा सर चूत पर दबाने लगी.
राजश्री बोल रही थी- अभी … आह आह आह और चाटो … जोर से चाटो आह मजा आ रहा है आह और जोर से … आंह जितना चाहो चाट लो … तू मुझे कहीं भी बुलाएगा तो मैं तुझसे चुदने आ जाऊंगी अभी … आह आह आह आह मैं झड़ गई … आंह.
उसका पानी निकला तो मैंने पूरा रस चाट लिया और चूत साफ़ कर दी.
वो निढाल पड़ी थी.
मैं उसे अपने ऊपर से हटा कर बगल में लिटाया और सीधा होकर उसके ऊपर चढ़ गया.
मैंने अपना तना हुआ लंड उसकी चूत पर रखा और फांकों को फैला कर जोर लगा दिया.
मेरा आधा लंड चूत में अन्दर घुस गया.
उसकी कराह निकल गई और चूत से खून निकला, मुझे भी दर्द होने लगा.
मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि साला ये क्या हुआ.
लेकिन उस वक्त मेरे ऊपर वासना चढ़ी थी तो मैं अपने होंठ उसके होंठों पर रखकर पिल पड़ा और उसे जोर जोर से चोदने लगा.
मेरा पूरा लंड घुस अन्दर गया तो वो रोने लगी.
मुझे भी दर्द हो रहा था लेकिन मैं लगा रहा.
बाद में दर्द कम हुआ और वो भी साथ देने लगी.
वो अपनी गांड उठा उठा कर अपनी चूत के अन्दर मेरा लंड लेती रही.
हमारी मादक आवाजें भी निकल रही थीं.
अंधेरे सुनसान खेत में चाँद की रोशनी में हम दोनों एकदम नंगे चुदाई का मजा ले रहे थे.
आखिर हमारी उत्तेजना चरम सीमा पर आ गई और मुझसे पहले वो स्खलित हो गई.
मैं जब झड़ने को हुआ तो मैंने लंड बाहर निकाला और उसके मम्मों पर पानी छोड़ दिया.
हम दोनों थक कर चूर हो गए थे, वैसे ही नंगे काफी देर तक यूं ही पड़े रहे.
फिर हम दोनों नंगे ही चलते अपने खेत में आ गए. उधर पानी से सब साफ किया और कपड़े पहन कर झोपड़ी में वापस आ गए.
झोपड़ी में आकर हम दोनों सो गए.
सुबह हम नौ बजे उठे और देखा तो राजश्री का भाई चला गया था.
हम दोनों ही झोपड़ी में रह गए थे.
राजश्री मुझे देख कर मुस्कुराने लगी.
मैंने झोपड़ी से बाहर निकल कर देखा, तो दूर दूर तक कोई नहीं था.
मैं वापस अन्दर आ गया और राजश्री के साथ लेट गया.
आगे क्या हुआ वो गरम सेक्स कहानी मैं अगली बार लिखूंगा.
आपको मेरी ये सच्ची देसी गाँव की चुदाई की कहानी पसंद आयी होगी. रिप्लाई जरूर देना!
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