प्रणाम दोस्तो, मेरा नाम रागिनी है, मैं अन्तर्वासना की बहुत बड़ी फैन हूँ. इसमें छपने वाली हर चुदाई की कहानी को पढ़कर मैं अपनी चूत मैं उंगली करती हूँ. अब मैं भी अपने जीजा के साथ अपनी एक मदमस्त चुदाई की कहानी लेकर आई हूं.
मैं पंजाब की रहने वाली हूँ. मेरी बड़ी बहन, जिसका नाम कामिनी है, उसकी शादी हो चुकी है. हम दोनों में उम्र का सिर्फ दो साल का अंतर है, हम दोनों बहनें बला की खूबसूरत हैं.
हम दोनों शुरू से एक दूसरे से पूरी तरह से खुली हुई हैं. दीदी के सभी आशिकों के बारे में मुझे और मेरे आशिकों के बारे दीदी को पता रहता था. दीदी भी मेरे जैसी बहुत बड़ी वाली चुदक्कड़ हैं. हम दोनों बहनें अक्सर अपने कमरे में एक दूसरी की चूत से चूत रगड़ती थीं. एक दूसरी के मम्मे दबातीं और एक दूसरे की चूत का पानी निकाल देतीं.
फिर एक दिन वो आया, जब हमारी जोड़ी टूट गई. दीदी की शादी हो गई और वो ससुराल चली गई. कुछ दिन बाद दीदी जब वापस आई तो वो मुझे अपनी सुहागरात के बारे बताने लगी. उसकी कामुक बातें सुन सुन मेरी तो चूत गीली हो गई. उसने बताया कि जीजू का औजार बहुत बड़ा और ज़बरदस्त है और वो उसको बहुत जबरदस्त तरीके से चोदते हैं.
कुछ दिन बाद दीदी अपनी ससुराल चली गई. उसके चले जाने के बाद मैं जीजू को अपनी आंखों के सामने रख चूत मसलने लगी.
कुछ महीनों बाद मुझे दीदी के घर जाने और रहने का मौका भी मिल गया. मैंने सोच रखा था कि जीजू से जरूर चुदवाऊंगी.
एक दोपहर मैंने दीदी से कहा- दीदी, मेरी चूत में बहुत खुजली मची है, मुझे एक बार जीजू का लौड़ा दिलवा दो.
पहले तो बोली कि पागल है क्या … फिर मेरे ज़ोर देने पर दीदी बोली- दिलवा तो दूँ, पर ये कैसे होगा?
मैंने कहा कि शाम को तुम शॉपिंग जाओ और मुझे घर छोड़ दो. मैं सब संभाल लूँगी.
दीदी ने वैसा ही किया और वो बाजार चली गई. उसके जाने के बाद मैंने दीदी की नाईटी पहनी और दरवाज़ा हल्का सा बन्द करके दीदी के कमरे में कंबल ओढ़ कर लेट गई. कुछ देर बाद जीजू आए. उनकी आहट सुन मेरी सांसें तेज़ हो गईं. पहले बाहर का दरवाज़ा खुला, फिर कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज आई. जीजू बोले- स्वीटहार्ट सो रही हो क्या?
मैं चुप रही, तो जीजू एकदम से बेड पर आ कूदे और कंबल के ऊपर से मुझे दबोच लिया. मैं उल्टी लेटी थी, जीजू ने बीच में हाथ घुसा मेरी कमर पर हाथ फेरने लगे और बोले- मेरी जान उठ भी जाओ ना.
उन्होंने ड्रिंक कर रखी थी, जिसकी महक मुझे आ गई थी. जीजू ने कंबल में घुस कर मुझे दबोच लिया. उनका हाथ लगते ही मेरे पूरे शरीर में सिरहन सी उठ गई. जब उनके होंठ मेरी गर्दन पर घिसे, तो मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई. मैं एकदम से उछली, मानो जैसे अनजान सी बन कर बोली- जीजू आप?
मेरी आवाज सुन जीजू सीधे हुए और झेंपते हुए बोले- रागिनी तुम! कामिनी कहाँ है?
मैंने कहा- वो बाजार गई है.
इस वक्त हम एक दूसरे के बेहद करीब थे.
जीजू बोले- मैंने सोचा कामिनी है.
मैं शर्माने की एक्टिंग करते हुए बोली- जीजू, आप भी ना आते ही सीधा अटैक मारते हो क्या?
वो बोले- हां, तेरी बहन ने जादू ही ऐसा किया है.
मैंने नशीली आंखों से उनको देखा और उनसे चिपकते हुए कहा- बहुत नॉटी हो आप …!
मैं जीजू से चिपकी तो जीजू ने भी मेरा हाथ पकड़ लिया.
मैंने क़ातिल सी नजर से उनको देखते हुए कहा- छोड़ोगे अब मुझे … या अभी भी दीदी के नशे में हो?
वो बोले- तुम्हारी आंखों में कौन सा कम नशा है … रागिनी मेरी साली साहिबा.
मैंने उठने की कोशिश करते हुए कहा- आप कुछ लोगे क्या?
वो बोले- जो मांगूंगा मिलेगा क्या?
मैंने बनते हुए कहा- हाँ … क्या बनाऊं … चाय काफी?
जीजू- अपने नशीले नैनों से दो घूँट पिला दो.
मैं शर्माने की एक्टिंग करते हुए सर झुका कर निकलने लगी. तभी जीजू ने मेरी कलाई पकड़ कर मुझे रोक लिया और अपनी तरफ खींच लिया.
मैं- उफ्फ जीजू … क्या कर रहे हो छोड़ दो ना … दीदी आ गई, तो क्या सोचेगी.
जीजू ने पीछे से मुझे अपनी जफ्फी में लिया, तो उनका खड़ा लौड़ा मेरी गांड पर घिसने लगा. उनका लंड एकदम से जाग चुका था.
मैं- नहीं जीजू … यह गलत है.
मेरे सपाट पेट पर हाथ फेरते हुए जीजू बोले- कुछ गलत नहीं है … तुमने मेरे सोया नाग उठा दिया और अब मुझे ऐसे ही छोड़ कर जाना चाहती हो.
उन्होंने मेरी गर्दन को चूम लिया. मेरे मुख से सीत्कार भरी मीठी मीठी सिसकरियां निकलने लगीं. मुझे गर्म होती देख जीजू मेरी चूची को दबाते हुए बोले- बहुत रस भर रखा है इनमें.
मैं- वाह जीजू … साली को घरवाली बनाना चाहते हो. इसमें रस नहीं, दूध भर रखा है.
जीजू- तो पिला दो न!
जीजू साली के बीच ये मजा चलने लगा. मैं जीजू के लौड़े से अपनी चूत की खुजली मिटाने की सोचने लगी थी. जीजू भी मेरी वासना को समझ गए थे. मैंने कहा- जीजू अगर दीदी आ गई तो क्या होगा?
जीजू बोले- वो कितनी देर पहले गई है?
मैंने कहा- उनको एक घंटा हो गया है.
वो बोले- अरे इतनी जल्दी वो नहीं आएगी.
यह कह कर जीजू ने मुझे ज़ोर से दबोच लिया. उनके औज़ार अब और भी बड़ा आकार ले चुका था. मुझे सीधा करते हुए उन्होंने मेरे होंठों पर होंठ रख दिये. मैंने भी उनके होंठों को होंठों में डाल जवाबी वार किया और उनसे लिपट कर उनके होंठ चूसने लगी.
जीजू ने हाथ पीछे ले जा कर मेरी गांड को थपथपाया. मेरी मीठी सीत्कार निकल गई- उफ्फ जीजू आह क्या करते हो.
उन्होंने मेरी नाईटी उठा कर कसके ऊपर से ही मेरी गांड को मसला तो मुझसे रुका नहीं गया और मैंने भी हाथ नीचे ले जाकर जीजू के लौड़े का मुआयना किया.
सच में दीदी की बात सही थी, जीजू का लौड़ा तो बहुत बड़ा था. मैंने उनके लौड़े को जैसे जैसे सहलाया, तो वो और कड़क होता गया.
मैं- उफ्फ जीजू … आपका तो सच में फौलाद जैसा है.
जीजू बोले- क्या मतलब?
मैंने कहा कि दीदी से सुहागरात के बारे पूछा था … इसलिए विश्वास नहीं हो रहा था.
यह सुनते ही जीजू ने मुझे उठाया और बेड पर पटक कर एक झटके में मेरी नाईटी उतार दी. जीजू ने काले रंग की कच्छी और ब्रा में मेरा दूध सा सफेद जिस्म देखा तो एकदम से गनगना उठे. काले रंग की ब्रा से मेरे एकदम वाईट तने हुए मम्मे ब्रा को फाड़कर बाहर आने को बेताब थे. मेरे उछलते मम्मे देख कर जीजू पागल हो गए और मेरे मम्मों पर टूट पड़े. जीजू मेरे नर्म मम्मों को अपने मुँह में भर कर काटने लगे.
मैंने भी झटका देकर जीजू को पीछे किया और उनकी शर्ट उतार फेंकी. इसके बाद बिना रुके मैंने जीजू की बेल्ट खोल का हुक खोला और उनकी पेंट को नीचे सरका दिया. बाकी का काम जीजू ने कर दिया. उन्होंने अपनी पेंट पूरी उतार कर फेंक दी. मैंने उनके अंडरवियर को नीचे सरका उनके लौड़े को पकड़ लिया. काले रंग का मोटा लंबा लौड़ा देख कर मेरी चूत में खुजली होने लगी.
जीजू मेरी चूची दबाते हुए बोले- साली भूखी रांड … खा जा मेरा लौड़ा.
मैंने उनके सुपारे को ज़ुबान से चाटते हुए कहा- हाँ जीजा जी, खा जाऊँगी आपका ये हब्शी लौड़ा …
यह कह कर मैंने जीजू का लंड अपने मुँह में भर कर चूसना चालू किया, तो जीजा जी आंखें मूंद कर लंड चुसाई का मजा लेने लगे. मैं भी जीजू के टट्टे दबाते हुए पागलों की तरह जीजू का लौड़ा चूसने लगी.
उधर से मस्त जीजू की आवाज आई- साली तू अपनी चूत तो दिखा … मैं उसको चूस लूंगा.
यह कह कर जीजी 69 में आकर मेरी चुत चाटने लगे और मैं जीजू का लौड़ा चाटने चूसने लगी.
दो मिनट लंड चूसने के बाद मैंने कहा- जीजू मैं बहुत प्यासी हूँ … चूत में खुजली हो रही है.
यह सुनते ही जीजू ने मुझे पटक कर सीधा किया और मैंने टांगें उठा उनके हब्शी लौड़े का स्वागत किया. जीजू ने चुत की फांकों पर पर लौड़ा रख कर एक करारा झटका मार दिया, तो मेरी आँखें खुली रह गईं. उनका मोटा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ मेरी चूत की गहराई नापने लगा. मैं भी हिम्मत करके गांड उठा उठा जीजू का साथ देने लगी.
तभी मेरे फ़ोन की घंटी बजी. यह दीदी की कॉल थी, इधर जीजू लौड़ा पेल रहे थे.
मैंने अपनी चूत में जीजू का लंड सटकते हुए फ़ोन उठा कर कहा- हां दीदी क्या कह रही हो … अच्छा आधे घंटे में आओगी … ठीक है … हां जीजू आ गए हैं.
यह कह कर मैंने फ़ोन बंद कर दिया. दीदी समझ गई कि मैं जीजू का लंड ले रही हूँ.
मैंने जीजू के लंड का मजा लेते हुए कहा- हां जीजा जी … ज़ोर से मारो हय साली की कुंवारी चुत को फाड़ डालो … आह उफ्फ आह …
जीजा बोले- ले मेरी साली …
वे ज़ोर ज़ोर से लंड के झटके लगाने लगे.
मैं- चोद लो जीजा जी … जल्दी से चोद लो … आधे घंटे में मेरी चूत का भोसड़ा बना दो.
जीजा ने चूत रस से भीगा लौड़ा निकाल कर मेरे मुँह में डाल दिया. कुछ पल लंड चुसवा कर जीजू ने मुझे घोड़ी बना लिया और पीछे से मेरी चूत में लंड पेल दिया. अब वे मेरे मम्मों को दबाते हुए ज़ोर ज़ोर से मेरी चुत में लंड डाल कर चोदने लगे.
मैं- हाय मार दिया जीजा जी हाय … बहुत मज़ा आ रहा है.
जीजू- ले साली ले …
इतने में मैं झड़ने लगी थी, पर जीजा जी तो उफान पर थे. उन्होंने मुझे नहीं छोड़ा.
मैं- जीजा जी, पानी अन्दर मत डालना.
जीजू मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदने लगे और जैसे ही उनका रस छूटने वाला था, उन्होंने लंड निकाल कर मेरे मुँह में दे दिया. उनके लंड की पिचकारी मेरे हलक में गिरने लगी. मैं जीजू का माल पीने लगी.
दस मिनट बाद पूरा मजा करके हम अलग हुए तो मैं शर्माने का नाटक करने लगी. जीजा जी मेरी चूची मसकते हुए बोले- तू तो बहुत बड़ा माल है … किसी दिन फुरसत में तुझे और मज़ा दूंगा. अभी तो तेरी गांड भी मारनी है.
मैंने जीजू के लौड़े को चूस कर अच्छे से साफ कर दिया और हम अलग हो कर कपड़े पहनने लगे.
तो दोस्तो, इस तरह मैंने अपने जीजू का लौड़ा दीदी की सहमति से अपनी चूत चुदाई के हासिल किया. जल्दी ही अगली कहानी में मैं लेकर आऊंगी कि कैसे जीजा जी ने मुझे एक दोस्त के फ्लैट में ले जाकर मुझे पूरी रंडी बना दिया. उन्होंने कैसे मेरी गांड मारी.
तब तक के लिए मेरी चुचियों की तरफ से आप सभी को नमस्ते.