do bachchon wali mausi ki chudai • Kamukta Sex Stories

दो बच्चों वाली मौसी को उसके घर में चोदा

इस पर मैंने कहा कि मौसी बताइए शायद मैं कुछ मदद कर सकूं तो मौसी कहा कि हठ, तू क्या करेगा तू तो अभी बच्चा है. इस पर मैंने कहा कि मौसी, मैं सिर्फ शक्ल से बच्चा हूँ लेकिन अंदर से तो मैं भी मर्द बन गया हूँ…

अन्तर्वासना के प्रिय पाठकों को इस बन्दे का प्रणाम! दोस्तों, मेरा नाम राहुल है और मैं उत्तराखंड के एक छोटे से शहर का रहने वाला हूँ. मेरा कद सामान्य और रंग गोरा है.

दोस्तों, मेरी उम्र 21 साल है. आप सब को पता ही होगा कि इस में कामवासना अपने चरम पर होती है वैसे ही मुझे भी चोदने का बहुत शौक था पर मैं थोड़ा शर्मीले किस्म का लड़का था. इसलिए घर से बाहर तो बात बनने वाली नहीं थी.

ऐसे ही कई दिन गुजर गए पर कोई माल हाथ नहीं लगा. मेरी एक मौसी थी वो भी मेरे घर से 6 किमी की दूरी पर किराये के एक घर में रहती थी. उनका रंग दूध जैसा सफेद था और उनका जिस्म भी भरा हुआ था. उनका कद सामान्य था और उम्र करीब 36 की थी.

दोस्तों, उनकी 36 की मटकती गांड और 34 के रसीले मम्मे जो भी देख ले मुठ मारे बिना रह ही न पाये. वही हाल मेरा भी था. मेरा जब भी उनके घर आना – जाना होता तो मैं मुठ मार लेता था.

मैं मौसी की नजर में सीधा – साधा लड़का था. मेरे मौसा जी घर से लगभग 40-50 किमी दूर एक पेट्रोल पंप के ढेकेदार थे. वे सुबह 9 बजे घर से निकल जाते और शाम 8 बजे तक ही घर वापस आते थे.

उनके दो बच्चे थे. एक लड़की जो 8वीं में पढ़ती थी और एक लड़का, जो 6वीं में पढ़ता था. वे दोनों पास के ही एक स्कूल में पढ़ते थे और दोपहर 3 बजे छुट्टी होने के बाद घर पहुंचते थे.

चूँकि मौसा जी सुबह जल्दी घर से निकल जाते और बच्चे भी शाम तक ही घर आते थे तो इस समय मौसी टीवी देख कर या कोई मैगज़ीन पढ़ कर अपना टाइम पास करती थी. कोई काम पड़ने पर वो मुझे बुला लिया करती थीं और मैं उनकी मटकती गांड का दर्शन करने के लिए जल्दी से पहुंच जाता था. अब तो शायद मौसी भी जानने लगी थीं कि मैं उनकी मटकती गांड और मम्मों में नज़र डालता रहता हूँ.

एक दिन की बात है. शाम को मम्मी के पास मौसी का फोन आया कि कल राहुल को भेज देना गैस भरवाने जाना है. दोस्तों, मैं ही अक्सर उनका सिलेंडर भरवाने जाता था.

अगले दिन सुबह मैं जल्दी उठ कर गैस भरवाने चल दिया. जब मैं सिलेंडर लेने पहुंचा तो मौसी घर में अकेले थीं क्योंकि मौसा जी काम पर और बच्चे स्कूल जा चुके थे. उस दिन मौसी ने हरी साड़ी और काला ब्लाउज पहन रखा था. जो उनके सफेद जिस्म में जम रही थी.

घर पहुंच कर मैंने सिलेंडर लिया और फिर गैस भरवाने चल पड़ा. जब मैं गैस भरवा के घर पहुंचा तो मौसी कपड़े धो रही थी और उनके मम्मे भी साबुन घिसने के साथ – साथ हिल रहे थे.

यह देख मेरी नज़र उनके मम्मों पर से चाह के भी नहीं हट रही थी और शायद मौसी ने भी मुझे उनके मम्मे देखते हुए देख लिया था, पर ये क्या उन्होंने तो मुझे टोका तक नहीं! अब तो मेरे मन में लड्डू फूटा और मैं समझ गया कि शायद इन्हें भी किसी तगड़े लण्ड की ज़रूरत है.

फिर कुछ देर बाद मैं उनके कमरे में जाकर टीवी देखने लगा और जब मौसी अंदर कमरे में आई तो मैंने कहा कि मौसी, अब मैं चलता हूँ तो मौसी ने कहा कि एक कॉफ़ी तो पी लो. फिर मैंने हाँ भर दी और मौसी किचन में कॉफ़ी बनाने चले गईं.

अब मैंने सोचा कि आज अच्छा मौका है अगर ठीक तरह से मान गयी तो ठीक है नहीं तो आज रेप ही कर दूंगा. यह सोच कर मैं पीछे से गया और मौसी से बातें करने लगा. बात करते – करते हमारी बातों ने एक अलग ही मोड़ ले लिया. अब मौसी मुझसे टेढ़े – मेढ़े सवाल पूछने लगी.

जब उन्होंने मुझसे पूछा कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है? तो मैंने उन्हें जवाब दिया कि आज तक आपके जैसे कोई मिली ही नहीं. इस पर मौसी ने कहा, “मेरी जैसे मतलब?” तो मैंने कहा कि आप नहीं समझोगी तो उन्होंने खा की अच्छा मैं सब समझती हूँ पर तेरे मौसा नहीं समझते हैं.

उनकी यह बात सुन कर मैंने पूछा कि क्या नहीं समझते? तो उन्होंने कहा कि वे एक औरत की ज़रूरत को नहीं समझते. फिर मैंने पूछा कि कैसी ज़रूरत मौसी तो उन्होंने कहा कि तुझे बता के भी क्या फायदा!

इस पर मैंने कहा कि मौसी बताइए शायद मैं कुछ मदद कर सकूं तो मौसी कहा कि हठ, तू क्या करेगा तू तो अभी बच्चा है. इस पर मैंने कहा कि मौसी, मैं सिर्फ शक्ल से बच्चा हूँ लेकिन अंदर से तो मैं भी मर्द बन गया हूँ.

फिर मौसी ने बात बदल दी पर अब भी मेरा मन उनको चोदने को बेताब था. तभी मैंने उनकी गांड में पीछे से हाथ रख दिया और धीरे – धीरे से सहलाने लगा. फिर मौसी ने भी कुछ नहीं कहा, इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गयी.

अब मैंने अपना हाथ को सहलाते हुए उनकी कमर तक ले गया. फिर मौसी से मुझसे छूटने की झूट – मूठ की कोशिश की पर अब मैं कहाँ छोड़ने वाला था. अब मैंने अपना शिकंजा कसते हुए. उनके होंठों को चूमना शुरू कर दिया.

अब मौसी भी मेरा साथ देने लगीं. फिर क्या था! अब हम दोनों की कामुकता बढ़ती गयी और कब मौसी के ब्लाउज, साड़ी और मेरी पैंट, कमीज़ खुल गई पता ही नहीं चला.

अब मौसी व्हाइट ब्रा और पैंटी में मेरे सामने खड़ी थी. फिर मैंने भी समय न गंवाते हुए उन छोटे कपड़ों को भी उनके शरीर से अलग कर दिया. अब तो उनके रसीले मम्मे और मटकती गांड मेरे सामने थी.

फिर मैंने जैसे ही मौसी के मम्मों को चूसना शुरू किया तो मौसी ने कहा कि सब खड़े – खड़े करोगे कि बेड में भी चलें! फिर मैंने मौसी को उठाया और बेड में पटक दिया और फिर उनके पूरे जिस्म को चाटने लगा.

मैंने उनके मम्मों को खूब चूसा और तब तक मसला जब तक उन्हें दर्द नहीं होने लगा. अब मौसी सिरकारी भरने लगीं और बोली, “अब सहन नहीं होता है, अब चोद दे राहुल मुझे, अपनी इस मौसी की चूत को फाड़ दे.” लेकिन मैं अभी उन्हें और तड़पना चाहता था.

फिर मैंने उनसे अपना लण्ड चूसने को कहा पर उनसे अब सहन नहीं हो रहा था लेकिन फिर मेरे जिद करने पर वो मान गयी और मेरे लण्ड को मुंह में ले कर चूसने लगी. आह, इतना बड़ा! आज तो मेरे भाग्य खुल गए. इतना कह कर वो लण्ड को अपने गले के अंदर तक डालने लगी.

अब मैं तो मानो जन्नत में गोते लगा रहा था. कुछ देर चूसने के बाद मैंने उनसे कहा कि मौसी अब मुझे तुम्हारी चूत चाटनी है तो उन्होंने कहा कि 69 की पोजीशन में आ जाओ. अब तो दोनों को डबल मज़ा आ रहा था.

फिर करीब 5 मिनट बाद बाद मौसी ने कहा कि चलो अब अपनी इस मौसी की चूत में डाल दो अपनी इस रॉड को. अब मैंने मौसी को सीधा लिटाया और उनकी दोनों टांगों को अपने कन्धे पर रखाने के बाद उनकी चूत में लण्ड को फिट करके एक धक्का लगाया और पूरा लण्ड एक साथ अंदर डाल दिया.

इस जोरदार झटके की वजह से मौसी के मुंह से जोर की चीख़ निकल गई और वो बोली कि निकाल साले इस लण्ड को आह मर गई. पर मैंने उनकी परवाह न करते हुए धक्के चालू रखे. कुछ धक्कों के बाद मौसी का दर्द कम होने लगा और उन्हें भी मज़ा आने लगा तो उनके मुंह से गालियों की बाढ़ सी आने लगी.

करीब 20 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद मैं और मौसी दोनों एक साथ ही झड़ गए और फिर थोड़ी देर के लिए मैं उनके ही ऊपर लेटा रहा और फिर दोनों एक साथ नहाने चले गए.

नहाने के बाद कपडे पहन कर जब मैं घर जाने लगा तो मौसी ने कहा कि फिर कब आओगे? इस पर मैंने कहा कि मौसी, जब तुम बुलाओगी बंदा हाजिर हो जायेगा और फिर होंठों को चूमते हुए मैंने विदा ली. अब जब भी हमें मौका मिलता है, हमारा मिलन होता रहता है.