दोस्त के साथ मिल कर बेटे ने मा को चोदा • Kamukta Sex Stories

दोस्त के साथ मिल कर बेटे ने मा को चोदा

हेलो दोस्तो, मैं हू राकेश. मैं लुधियाना में रहता हू. मैं एक मिड्ल क्लास फॅमिली से हू. मेरी फॅमिली में मैं, मम्मी, पापा, और एक बड़ी बेहन है. मैं 25 साल का हू, और एक प्राइवेट फर्म में जॉब करता हू. ये कहानी 5 साल पहले की है.

उस वक़्त मेरे पापा मिस्टर की जॉब करते थे. और उस वजह से उनको अलग-अलग शहरो में जाना पड़ता था. मेरी मम्मी का नाम रोशनी है. उनकी उमर उस वक़्त 44 साल की थी, और फिगर उनका 38″30″40″ का था. उनका रंग भी गोरा था, और वो बहुत अट्रॅक्टिव लगती थी. मेरी बेहन की शादी हो चुकी थी. [email protected]

मैने 1-2 बार अपनी मम्मी के बारे में सोच कर मूठ तो मारी थी, लेकिन कभी उनके साथ कुछ करने का ट्राइ नही किया. फिर एक दिन मौका खुद चल कर मेरे पास आया.

हुआ यू, की मैं अपने गली के दोस्तो के पास खड़ा था. हम काफ़ी देर खड़े बाते कर रहे थे. फिर एक-एक करके सब अपने घर चले गये, और मैं और मेरा दोस्त पंकज ही वाहा पर रह गये. तभी मेरी मम्मी बाहर आई, और मुझे बोली-

मम्मी: बेटा मैं मार्केट जेया रही हू. घर का ध्यान रखना.

ये बोल कर मम्मी चली गयी. मम्मी ने पाजामी-सूट पहना हुआ था. तभी मम्मी को जाते हुए देख कर पंकज बोला-

पंकज: क्या कमाल का जिस्म है तेरी मम्मी का. साली लंड पे चढ़ जाए, तो मज़ा ही आ जाए.

मैं: सेयेल बहनचोड़! वो मेरी मम्मी है.

पंकज: तू नही जानता, तेरी मम्मी कितनी बड़ी रंडी है.

ये सुन कर मैने उसका गला पकड़ लिया और उसको बोला-

मैं: अगर तू मेरा दोस्त ना होता, तो मैं तेरी टांगे तोड़ देता. दोबारा ऐसा बोला, तो दोस्ती भूल जौंगा मैं.

पंकज: अर्रे गुस्सा क्यू होता है. मैने कुछ देखा है, इसलिए बोल रहा हू.

मैं: क्या देखा है तूने?

तभी उसने अपनी पॉकेट से फोन निकाला, और मुझे दिखाया. मैं उसका फोन देख कर हैरान हो गया. उसमे मम्मी की नंगी फोटोस थी. मैने उससे पूछा-

मैं: ये फोटोस कहा से आई तेरे पास?

पंकज: वो जो टेलर है ना?

मैं: पिछली गली वाला?

पंकज: हा वही. उसी ने तेरी मा को चोदा है, और पिक्स क्लिक करी है. तुझे क्या लगता है, जब तेरे पापा घर पर नही होते, तो तेरी मा अपने आप को शांत कैसे करती होगी.

ये सुन कर मैं चुप हो गया. फिर पंकज बोला-

पंकज: देख अगर तू मेरा साथ दे, तो हम भी मज़ा कर सकते है.

मैं: कैसे?

पंकज: पहले तू ये बता, की छोड़ेगा अपनी मम्मी को.

मैं तोड़ा सोचने लग गया. फिर मुझे अपनी मम्मी की गांद का ध्यान आया और मैं बोला-

मैं: हा छोड़ूँगा.

पंकज: फिर मैं तुझे बताता हू, की तुझे क्या करना है. तेरे पापा तो घर नही आने वाले ना आज?

मैं: नही.

फिर उसने मुझे कहा, की मैं रात को अपने घर का मैं गाते खुला रहने डू. और अपनी मम्मी के रूम की चाबी भी अपने पास रखू, ताकि उनका रूम बाहर से भी खोला जेया सके. मैने वैसा ही किया जैसा उनसे कहा था.

फिर रात को 12 बजे वो मेरे घर में आ गया. मैं भी जागा हुआ था, और मेरी गांद फटत रही थी. पहले वो मेरे रूम में आया और बोला-

पंकज: तू रेडी है?

मैं: लगता तो है.

पंकज: आबे मौका मिले तो दर्र मत जाना.

मैं: ओक.

पंकज: चल मैं अब तेरी मम्मी के रूम में जाता हू.

फिर पंकज ने मम्मी के रूम का दरवाज़ा खोला, और चुपके से अंदर चला गया. मुझे बहुत दर्र लग रहा था. मम्मी बेड पर सोई हुई थी. उन्होने पिंक कुर्ता और ब्लॅक लेगैंग्स पहनी हुई थी. वो बिल्कुल सीधी सोई हुई थी. उनके पहाड़ जैसे बूब्स उपर उठे हुए बहुत सेक्सी लग रहे थे.

फिर पंकज मम्मी के पास गया, और सीधा उनके उपर चढ़ गया. उसने अपने हाथ और टांगे दोनो मम्मी के आस-पास रख लिए थे, और अपनी बॉडी डोर रखी थी. फिर वो धीरे नीचे हुआ, और मम्मी के गाल पे किस किया.

जब मम्मी ने कोई रिक्षन नही दिया, तो उसने मम्मी की गर्दन को किस करना शुरू कर दिया. वो मम्मी के उपर लेट गया, और उनको प्यार करने लगा. उसी वक़्त मम्मी की नींद खुल गयी, और मम्मी ने उसको धक्का मारा.

मम्मी का धक्का काफ़ी ज़ोर का था, और पंकज बेड से नीचे गिर गया. फिर मम्मी बोली-

मम्मी: हरांज़ाड़े! ये क्या कर रहा था. तुझे शरम नही आती अपने दोस्त की मा के साथ ऐसा करते हुए? साला कुत्ता कही का.

पंकज बोला: ओ रंडी! हरांज़ड़ा किसको बोल रही है. ये देख तेरे कारनामे मेरे फोन में है.

ये बोल कर पंकज ने मम्मी को उनकी पिक्स दिखा दी. पिक्स देखते ही मम्मी की बोलती बंद हो गयी. अब मम्मी चुप थी. फिर पंकज बोला-

पंकज: अगर तू चाहती है, की ये पिक्स मेरे तक ही रहे, तो मुझे खुश कर दे. नही तो ये पूरा मोहल्ला देखेगा. और उसके बाद पूरा शहर.

मम्मी: नही प्लीज़, ऐसा मत करना. तुम जो कहोगे मैं करूँगी.

पंकज खुश हो गया, और वापस मम्मी के उपर लेट गया. वो मम्मी की गर्दन को किस करने लग गया, और मम्मी दुखी थी. जब वो मम्मी के होंठो पर किस करने लगता, तो मम्मी अपना मूह साइड पर कर लेती.

फिर पंकज ने मम्मी का फेस कस्स के पकड़ा, और उनके होंठो के साथ अपने होंठ चिपका दिए. वो लगातार 10 मिनिट मम्मी के होंठ चूस्टा रहा, और उनकी जाँघो को सहलाता रहा. फाइनली मम्मी भी गरम हो गयी, और उसका साथ देने लगी.

इधर मेरा भी लंड खड़ा हो रहा था, और पाजामा फाड़ कर बाहर आ रहा था. मैं सोच रहा था, की पता नही मेरा नंबर कब आएगा. फिर पंकज ने मम्मी का शर्ट निकाल दिया, और उनकी क्लीवेज में अपना मूह घुसा लिया.

मम्मी ने आहें भरनी शुरू कर दी थी. पंकज अपनी गांद हिला रहा था, और पाजामी के उपर से मम्मी की छूट पर अपना लंड घिसा रहा था. मम्मी ने भी अपनी टांगे पूरी खोल दी थी उसके आयेज. फिर पंकज ने मम्मी की ब्रा निकाली, और उनके बूब्स चूसने लगा.

फिर मम्मी ने आहें भरते हुए बोला-

मम्मी: पंकज ये पिक्स किसी को नही दोगे ना? अब तो मैं तुम्हारी बात मान रही हू आहह.

पंकज: हा नही दूँगा, लेकिन तुझे मेरे दोस्त को भी खुश करना होगा.

मम्मी: कों सा दोस्त?

तभी पंकज ने मुझे आवाज़ दी-

पंकज: आजा मेरे यार.

और मैं अंदर चला गया. मम्मी मुझे देख कर हैरान हो गयी और गुस्से से बोली-

मम्मी: राकेश! तू इसके साथ मिलके… तुझे शरम नही आती?

पंकज: ओये! ये मेरा दोस्त है. इसको कुछ बोला ना, तो अछा नही होगा.

फिर पंकज मुझे बोला-

पंकज: देख क्या रहा है? चल चढ़ जेया इसके उपर. चिंता मॅट कर, ये कुछ नही कर सकती.

ये बोल कर पंकज साइड में हो गया. फिर मैं मम्मी के उपर आ गया, और उनके होंठ चूसने लगा. मम्मी मुझे गुस्से से देख रही थी. फिर मैने मम्मी के बूब्स ज़ोर से दबा दिए, जिससे मम्मी की आहह निकल गयी. मैं मज़े से मम्मी के निपल्स चूसने लगा.

पंकज ने मम्मी की पाजामी का नाला खोला, और उसको नीचे खींचने लगा. मैं मम्मी की लेफ्ट साइड पर आ गया, और पंकज रिघ्त साइड पर था. हम दोनो मम्मी का एक-एक बूब्स चूस रहे थे, और पंकज मम्मी की छूट भी सहला रहा था.

फिर उसने मम्मी की पनटी उतार दी. पनटी उतार कर वो मम्मी की टाँगो के बीच आ गया, और उनकी छूट चूसने लग गया. मैं मम्मी के होंठ और बूब्स चूस रहा था. 5 मिनिट उसने जीभ डाल-डाल कर मम्मी की छूट चूसी. मम्मी अब मेरे किस्सस का पूरा रेस्पॉन्स दे रही थी. फिर वो मुझे बोला-

पंकज: आजा मेरे यार, और छोड़ इसकी छूट को.

मैं: तू नही करेगा?

पंकज: तू आजा, मैं इसका मूह छोड़ूँगा पहले.

फिर मैं मम्मी की टाँगो के बीच आया, और अपना लंड उनकी छूट पर सेट किया. मैने एक ज़ोर का धक्का मारा, और मेरा लंड फिसलता हुआ मम्मी की छूट में समा गया. मम्मी की ज़ोर की आ निकली. जैसे ही मम्मी का मूह खुला, तो पंकज ने उनके मूह में लंड डाल दिया.

मैने अपने हाथ मम्मी की ब्रेस्ट पर रखे, और उसको दबाते हुए तेज़ धक्के देने लगा. मम्मी ह्म ह्म कर रही थी. पंकज मम्मी के मूह में धक्के दे रहा था. मैने मम्मी की टांगे उपर की तरफ मोड़ दी, और उनको पूरा ज़ोर लगा कर छोड़ने लगा.

क्या मज़ा आ रहा था दोस्तो, अपनी मा की छूट छोड़ने में. 10 मिनिट मैने ऐसे ही मम्मी को छोड़ा. फिर मैं उनकी छूट में ही झाड़ गया. उसके बाद पंकज ने मेरी जगह लेली, और मम्मी की छूट में लंड घुसा दिया. पंकज का लंड मुझसे बड़ा था, तो मम्मी को दर्द होने लगा.

मैने मम्मी के मूह पर थप्पड़ मारने शुरू कर दिए, और पंकज धक्के मारता रहा. मैं मम्मी के होंठ भी चूस रहा था. पंकज 15 मिनिट तक मम्मी को छोड़ता रहा. इस बीच मेरा लंड फिरसे खड़ा हो गया, और मैने लंड मम्मी के मूह में डाल दिया.

फिर पंकज मम्मी की छूट में, और मैं उनके मूह में एक साथ झाड़ गये. उसके बाद से मम्मी को चूड़ने के लिए किसी गैर मर्द के पास नही जाना पड़ा. उनके घर पर ही उनको संतुष्ट कर दिया जाने लगा. 

दोस्तो कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करना. [email protected]