दोस्त की चुदासी बहन को चोद दिया • Kamukta Sex Stories

दोस्त की चुदासी बहन को चोद दिया

यह मेरी पहली कहानी है, मैं उम्मीद करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएगी. मैं यूपी का रहने वाला हूँ. मेरा लंड 6 इंच का है और मैं 22 साल का हूँ. यह कहानी मेरी और मेरे दोस्त की बहन की है. मेरे घर और उसके घर वालों के बीच फैमिली जैसा रिश्ता है. मैं अपना और दोस्त की बहन का नाम नहीं बताऊंगा ताकि गोपनियता बनी रहे.

मेरे पड़ोस में मेरा बहुत अच्छा दोस्त है, वो मेरे से दो साल बड़ा है. उसकी बहन मेरे से एक साल बड़ी है. हम दोनों में ऐसी कोई बात नहीं थी. लेकिन वो दिखने में माल थी. उसका फिगर 34-32-34 का है. तो उसे देख कर कोई भी उसे चोदना चाहेगा.

एक बार मैं उसके घर गया, तो वो बिल्कुल अकेली थी. उस दिन उसने गाउन पहन रखा था. उसमें वो बिल्कुल कड़क माल लग रही थी. उस समय उसे कोई भी देख लेता, तो पक्का जानिये कि पटक कर उसी समय उसे चोद देता.

मैंने दोस्त के बारे में उससे पूछा भी नहीं था कि उसने मुझसे कहा- आज तेरा दोस्त नहीं है.
मैंने कहा- मैं तो अंकल से घर का सामान खरीदने आया हूँ.
अंकल घर से ही सामान बेचते हैं.

उसने कहा- मैं घर पर आज अकेली हूँ.
मैंने कहा- जब अंकल आ जाएं तो कॉल कर देना.
वो बोली- अब इतनी ठंड में तू आया है, तो बैठ ना, चाय पीकर जाना.
मैंने कहा- ठीक है, बना दे.

वो अपनी गांड हिलाते हुए चाय बनाने चली गई. तभी मैंने देखा कि उसका फोन पड़ा हुआ था, तो मैंने उठाया और खोला देखा कि वो अपने फोन में पोर्न देख रही थी. अब मेरा मन उसे चोदने का करने लगा, लेकिन मैं आगे बढ़ने में कुछ डर रहा था.

इतने में वो चाय लेकर आ गयी. उसने झुक कर मुझे चाय दी और अपने मम्मों की झलक दिखाते हुए कहा- आज ठंड बहुत ज्यादा है.
मुझे उसके इरादे कुछ गड़बड़ से लगे. पर मैंने पहले तो उसकी हरकतों को नजरअंदाज करना ठीक समझा और बस चाय का कप लेकर दूसरी तरफ देखने लगा. हालांकि मुझे वो पसंद थी लेकिन न जाने क्यों दोस्त के कारण मुझे उसके साथ ये सब सोचना ठीक नहीं लग रहा था. फिर जब उसके फोन में पोर्न चलता देखा तो मेरा मन भी कुछ विचलित सा होने लगा था.

वो चाय का कप लेकर मेरे बाजू में बैठ गई. वो फिर से बोली कि क्या तुमको ठंड नहीं लग रही है?
मैंने भी उसकी ठंड वाली बात पर हाँ में उत्तर दिया और उससे पूछा- तू मोबाइल में ज्यादा क्या देखती है?
उसको समझ आ गया या शायद वो पहले से ही मेरे लिए अपना मन बना बैठी थी.

वो सकपकाने की जगह बिंदास बोली- तूने मेरा फोन क्यों देखा?
मैंने कहा कि इधर ही पड़ा था तो बस यूं ही देख लिया.
उसने मेरी तरफ देखा और फिर कहने लगी- तूने कुछ खोला तो नहीं था न?
मैंने कहा- खोला क्या था, वो तो पहले से ही सब कुछ खुला था.
यह सुनकर वो शरमा गई.

मैंने भी न जाने किस आवेश में आकर उसकी बांह पर अपना हाथ जमा दिया. मेरा हाथ अपनी बांह पर पाते ही उसने मुझे बड़ी हसरत से देखा. जबकि मैं डर रहा था कि वो कुछ विरोध करते हुए मुझसे कहेगी.
लेकिन मेरी तरफ देख कर वो तो मुस्कुरा दी.
उसके इतना करते ही मैंने समझ लिया कि लौंडिया गरम है और आज इसकी चूत लंड लंड कर रही है.

फिर हम दोनों ने एक दूसरे के बदन को देखा. मैंने हिम्मत करके उसे किस कर दिया. उसने भी हंस कर मेरा साथ दिया, तो मेरा फिर डर खत्म हो गया. मैं उसके मम्मे दबाने लगा, उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी.

मैंने कहा- तू कह रही थी कि ठंड बहुत है लेकिन तू तो सिर्फ गाउन में है.
वो बिंदास बोली- मैं पोर्न देख कर अपनी चूत में उंगली कर रही थी, इसलिए मुझे ठंड नहीं लग रही थी.
मैंने उसकी भाषा सुनी तो समझ गया कि माँ की लौड़ी चुदासी है.

मैंने कहा- अब मैं आ गया हूँ, तुझे अपनी चूत में उंगली करने की ज़रूरत नहीं है. तेरे लिए मेरा लंड खड़ा है.
वो मेरे लंड पर हाथ फेरते हुए बोली- हाँ मेरे राजा, आज तू मुझे चोद दे.

उसके इतना कहते ही मैंने उसका गाउन निकाल दिया. वो अब मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी और उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.

फिर मैं उसे गोद में लेकर उसके कमरे में ले गया और उसकी चूत चाटने लगा. उसे मजा आने लगा. पूरे कमरे में उसकी मादक सिसकारियों की आवाज गूंज रही थी. उसके मुँह से ‘आह आआ आहह आआ आ… आआहहह आह सक माय पुसी.. उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाज़ निकल रही थी.
थोड़ी देर में वो झड़ गई और मैं उसका सारा पानी पी गया. फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए.

मेरा खड़ा और बड़ा लंड देख कर वो डर गई. वो बोली- तेरा लंड मेरे में चला जाएगा?
मैंने कहा- तू उसकी चिंता मत कर, वो मैं कर लूँगा.

मैंने उसे अपना लंड चूसने के लिए कहा, तो वो तुरंत तैयार हो गई. वो मेरा लंड बहुत अच्छी तरह से चूस रही थी.
मैंने कहा- तूने इतनी अच्छी तरह से लंड चूसना कहाँ से सीखा?
वो बोली- पोर्न देख देख कर सीखा.

इतना कहते ही हम दोनों हंस दिए. मेरे मुँह से ‘आह आआआ.. आआहहह आहह..’ की आवाज़ निकलने लगी. फिर मैं उसके मुँह में ही झड़ गया और वो मेरा सारा रस पी गई.

हम दोनों फिर फ्रैंच किस करने लगे. मैं उसके बूब्स मसलने लगा और उसकी चूची चूसने लगा. उसकी चूची से पानी सा निकल रहा था, वो मैं पी रहा था.
थोड़ी देर बाद वो बोली- अब और नहीं रहा जाता मुझसे … चोद कर तू मुझे औरत बना दे.
मैंने पूछा- अरे तेरा पहली बार है क्या?
तो बोली- हां यार, आज तक तूने मेरी तरफ कभी देखा ही नहीं.
मैंने कहा कि और दुनिया जहान के लंड क्या मुरझा गए थे?
बोली- मुझे नहीं पता … ये सब बातें तू बाद में करना, अभी पहले मेरी चूत को शांत कर.

मैंने भी देर नहीं की और उससे थोड़ा तेल माँगा. थोड़ा तेल उसकी चूत पर और थोड़ा अपने लंड पर लगाया. फिर मैं अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा और धीरे से अन्दर घुसेड़ दिया.
वो लंड घुसते ही चिल्ला पड़ी, बोली- आराम से कर … दर्द हो रहा है.

उसकी आँख से आँसू आ गए थे. मैंने उससे सॉरी कहा, फिर मैं धीरे धीरे चुदाई करने लगा. लेकिन उसे अभी भी दर्द हो रहा था और उसकी चूत में से खून भी निकल रहा था. थोड़ी देर बाद उसका दर्द खत्म हो गया और वो अपनी गांड उछाल कर मेरा साथ देने लगी. मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी.

उसके मुँह से ‘आआ… आहहहह.. आहह.. आआ.. फक मी फक मी.. मेरे राजा चोद दे मुझे.. आह… आज मैं तेरी हो गई.. आह फाड़ दे मेरी चूत को..’ आवाज निकल रही थी. वो बड़बड़ाने लगी थी.

चुदाई की रफ्तार तेज हो गई थी. वो इतना अधिक गरम थी कि दस मिनट में ही दो बार झड़ गई.
जब वो दूसरी बार झड़ी, तब मेरा भी होने वाला था. मैंने उससे पूछा- मैं अपना कहां निकालूँ?
वो बोली- बाहर निकालना.
मैंने कहा- ठीक है.

तीन चार झटकों के बाद मैंने अपना लंड बाहर निकालकर सारा पानी उसके मम्मों पर गिरा दिया और मैं उसके ऊपर लेटकर उसे किस करने लगा. अपने हाथ से उसके मम्मों को दबाने लगा.

जबरदस्त मजा आया था और थकान भी लग रही थी. फिर पता ही नहीं चला कि हम दोनों की आँख कब लग गयी.

शाम को उसने मुझे उठाया और कहा- मेरे घर वाले आते होंगे, तू जा.
मुझे अपने घर जल्दी जाने की कोई चिन्ता नहीं थी. क्योंकि मैं जब भी अपने दोस्त के घर जाता हूँ, तो अपने दोस्त के साथ बात करके देर से ही घर जाता हूँ.

हम दोनों ने कपड़े पहने, इतने में वो बोली- आज तो तूने मुझे मजा दिला दिया … मेरा कब से तुझसे चुदने का मन कर रहा था. अच्छा हुआ तू आज अकेले में मिल गया.
मैंने कहा- अब बता न कि मेरा लंड ही क्यों चाहिए था?
बोली- तू तो मेरे घर कभी भी आ सकता है और तुझ पर कोई शक भी नहीं करेगा. समझ गया?
मैंने उसे जोरदार किस किया और मम्मे मसल कर कहा हां जान समझ गया.

उसको चूम कर मैं उधर से अपने घर चला गया. अब हम दोनों को जब भी मौका मिलता है. हम दोनों चुदाई कर लेते हैं.

यह मेरी पहली सेक्स कहानी है, अगर कोई गलती लिखने में हुई हो तो मुझे माफ कर देना.

अन्तर्वासना की सभी चुदासी चूत और खुली गांड को मेरे खड़े लंड का सलाम. आप सभी को मेरी कहानी जैसी भी लगी हो, कृपया मुझे मेल करके जरूर बताएं. धन्यवाद दोस्तो!