jawan didi ki chudai kahani दोस्तों मेरा नाम अविनाश ठोके हे और मैं मुंबई से 120 मिल दूर एक विलेज से हूँ. मेरे लंड का साइज़ उतना बड़ा नहीं हे ना ही मैं दिखने में बड़ा हेंडसम हूँ. हां पर मुझे लंड के अन्दर चुदाई की खुजली होती रहती हे. और मैं अपनी बहन की चूत का बड़ा आशिक हूँ. मेरी बहन मुझसे उम्र में 4 साल बड़ी हे और बड़ी ही सेक्सी दिखती हे. वो घर में अक्सर स्कर्ट वगेरह पहन के ही घुमती हे. वो एमबीए कर के अपनी जॉब की तलाश में हे और उसके काफी सब बॉयफ्रेंड्स भी रहे हे कॉलेज के टाइम में. मुझे अपनी बहन की पेंटी सूंघने की लत लग गई थी जब मैं 18 साल का था. हमारे घर के बाथरूम में एक कौने के अन्दर मेरी मम्मी की और बहन के अंडरगारमेंट्स जैसे की ब्रा, पेंटी, वगेरह लटका होता था. वैसे तो वो लोग उसे एक दो दिन में धो देते थे. पर मैं रोज देखता था उन कपड़ो में. और अगर उसके अन्दर बहन की ब्रा या पेंटी निकल आये तो मेरी मस्ती बढ़ जाती थी.
नार्मल लंड हिलाओ और ब्रा या पेंटी के अन्दर घुसा के लंड हिलाओ! दोनों में बड़ा अंतर था. और ये तो जिसने महसूस किया हे उसी को पता चल सकता हे. और मेरी इसी पेंटी सूंघने की आदत ने मुझे बहन की चूत दिलवाई. एक दिन दोपहर का वक्त था. मैं बाथरूम में घूसा. दीदी बहार खड़ी थी उसके मुझे अंदाजा नहीं था. मैंने देखा तो उसकी ब्लेक कलर की ब्रा और पेंटी अभी उतार के रखी हुई थी. मैंने पेंटी उठा के ससूंघी तो उसमे दीदी की चूत की महक थी. मैं अक्सर रूम में मुठ मारने के लिए पेंटी ले जाता था. और आज भी वही सोच के मैंने पेंटी को जेब में डाली.
जैसे ही मैं बहार निकला मैं दीदी को देख के सन्न रह गया. वो मुझे देख के बोली, रुक तो!
मैं डर गया की आज तो गया तू!
दीदी अन्दर गई और जिसका मुझे डर था वही हुआ. उसने उनके अंडरगारमेंट्स वाली जगह पर देखा. वहां उसे अपनी पेंटी नहीं मिली. वो मेरे पास वापस आई और हाथ लम्बा कर के बोली, ला तो!
मैंने कहा क्या?
वो बोली, अविनाश शाणा मत बन मुझे और तुझे दोनों को पता हे की मैं क्या मांग रही हूँ.
अब कुछ कर भी नहीं सकते थे. मेरी चोरी पकड़ी गई थी. मैंने अपनी जेब से बहन की पेंटी निकाली और उसे दे दी. उसने कहा, मैं सोचती थी की मुझे कुछ इन्फेक्शन हुआ हे इसलिए पेंटी में सफ़ेद धब्बे और दाग बने रहते हे. अब पता चला की उसकी वजह क्या हे. आने दे मम्मी पापा को सब बात दूंगी!
मैं डर गया और दीदी के पैर पकड लिए मैंने. मैंने कहा, प्लीज़ दीदी पापा को मत कहना वो मार डालेंगे.
दीदी बोली, तेरे काम पापा को कहने लायक ही हे.
मैंने गिडगिड़ा के कहा, दीदी प्लीज़ प्लीज़ आप जैसा कहेंगी वैसा करूँगा!
वो एक मिनिट के लिए कुछ सोचने लगी और फिर बोली, देख ले फिर मुकर तो नहीं जाएगा न!
मैंने कहा, नहीं मुकरुन्गा दीदी पक्का प्रोमिस.
दीदी को देखा तो वो अपने होंठो में स्माइल को दबा रही थी. मैं कुछ समझ नहीं पाया की इसको हंसी क्यूँ आ रही हे.
वो बोली, चल मेरे कमरे में.
मुझे लगा की शायद वो कुछ काम देंगी.
कमरे में आते ही दीदी ने कहा बैठ जा पलंग पर.
मैं बैठ गया. दीदी स्टॉपर लगा के वापस आई और बोली, अपना पेनिस दिखा!!! :O
मैंने कहा क्या?
अविनाश तुमने सही सुना, दिखाओ मुझे!
मैं मन ही मन खुश हुआ, शायद दीदी भी मेरे से चुदना ही चाहती थी.
मैंने ज़िप खोली और अपने लंड को बहार निकाला. वो मेरे पास आ गई और लंड को अपने हाथ में ले के सहला दिया उसने. मेरा लंड बहन के हाथ के स्पर्श से और भी गरम हो गया. दीदी ने कहा, कब से मेरी और मम्मी की पेंटी में लंड का पानी छोड़ रहा हे तू?
मैंने कहा, मम्मी की नहीं सिर्फ आप की पेंटी में.
वो हंस के बोली, अच्छा तो सिर्फ मुझे लाइक करता हे.
फिर उसने कहा, तेरे लवडे पर कितनी झांट हे अविनाश इसे साफ़ नहीं करता कभी?
मैंने कहा करता हूँ ना.
दीदी ने कहा, मैं बना दूँ तेरी झांट?
मैंने कहा हां जरूर दीदी.
वो बोली, जा पापा के बेडरूम से किट ले आ.
मैं लंड पेंट में डाल के भागा और पापा के बेडरूम से किट ले आया. दीदी ने जिलेट की शेव क्रीम अपने हाथ में निकाली और मुझे टेबल पर बिठा के उसे लंड और बॉल्स पर लगाने लगी. देखते ही देखते झाग बन गया. फिर उसने एक रेजर निकाला. उसे धो के आई और फिर चर चर के आवाज से उसने मेरे लंड को साफ़ कर दिया.
फिर वो बोली जा धो के आ इसे.
मैंने लंड को धो लिया साबुन से. वापस आया तो मेरे चमकीले लंड को देख के दीदी बोली, अब सही लग रहा हे.
मैंने दबे हुए स्वर में कहा, दीदी आप भी दिखाओ ना!
वो बोली, रुक नाऔर फिर उसने अपनी बेल्ट, पेंट और पेंटी निकाली. दीदी की चूत एकदम क्लीन शेव्ड थी और गोरी भी. मैंने तो उसे देखता ही रह गया. मैंने आगे बढ़ा और दीदी को बोला, दीदी मैं इसे टच करूँ?
वो बोली, तेरी ही हे ले ले!
बस फिर तो क्या कहने थे. मैंने दीदी की चूत का पहला स्पर्श किया और मेरे तनबदन के अन्दर आग सुलग गई. दीदी ने कहा चाटेगा इसे?
मैं बोला हां.
वो बोली चल आजा फिर.
दीदी पलंग पर लेट गई और उसने अपनी टाँगे फैला दी. मैं नंगा हो के उसके बिच में आ बैठा. और दीदी की चूत में जबान डाल के उसे किस करने लगा. दीदी ने मुझे सही जगह दिखाई और बोली, देख अविनाश यहाँ पर दो छेद होते हे. ऊपर वाले छेद से औरत का पिशाब आता हे और निचे वाला छेद सेक्स के लिए होता हे. ऊपर वाले छेद में कोई सेन्सेशन नहीं होती हे. जो निचे का छेद हे उसे टच करने से और चाटने से औरत के अन्दर आग लगती हे.
मैंने कहा मैं भी आप के बदन में आग लगा दूंगा दीदी!
वो बोली स्टार्ट कर दे फिर!
मैंने दीदी ने जो निचे का छेद दिखाया था उसके ऊपर अपनी जबान रख दी. और जोर जोर से कुत्ते की तरह चाटने लगा.. दीदी ने कहा, ला तू अपना मुझे मुहं में दे दे. हम साथ में ओरल करेंगे क्यूंकि मम्मी पापा आते ही होंगे ऑफिस से.
मैं कहा ओके.
फिर मैंने और दीदी ने 69 पोजीशन बना ली. दीदी मेरे लंड को हिला रही थी और उसे चूस रही थी. और मैं दीदी के निचे के छेद में जबान घुसेड के चूम रहा था उसे. दीदी ने कहा ऊँगली भी डाल अन्दर.
मैंने सिर्फ हम्म्म्म कहा क्यूंकि मेरा मुहं उसकी चूत में जो था.
मैंने दीदी ने कहा था वैसे ऊँगली से भी चूत के उस छेद को हिलाना चालू कर दिया. दीदी पूरी तरह गरम हो गई थी. वो जोर से अपना माथा मेरे मुहं प्र दबा रही थी. मैंने भी ऊँगली को छेद में डाल रखी थी और ऊपर चूत की दरार को जबान से जोर जोर से चाट रहा था.
तभी दीदी के बदन में एक झटका सा लगा. वो बोली, अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह!
मुझे अपने मुहं में कुछ गर्म गर्म पानी का अहसास हुआ. मेरी बड़ी बहन ने अपना कामरस छोड़ा था. मैं सब कुछ पी गया और दीदी की चूत को फिर से चाटने लगा. अब दीदी ने भी मेरा पूरा लंड अपने मुहं में घुसेड लिया था और कस के चूस रही थी. दो मिनिट में मेरा भी काम तमाम हो गया. दीदी ने मेरा पानी नहीं पिया. वो मुहं में उसे भर के खड़ी हुई और मुहं धो के आ गई. फिर वो तोवेल से मुहं साफ़ करते हुए बोली, अविनाश तुम कपडे पहन के अपने कमरे में जाओ, शायद निचे पापा की गाडी का ही हॉर्न बजा हे.
मैंने कहा, दीदी मुझे आप के साथ सेक्स करना हे.
वो बोली, हां बाबा करेंगे लेकिन अभी तुम जाओ.
मैंने कहा मैं आप की पेंटी ले जाऊं?
वो बोली ले जा!
दोस्तों मैं अब अपनी दीदी को चोदने लगा हूँ. और उसकी एक सेक्स कहानी आप को जल्दी ही भेजूंगा.