सभी पाठकों को मेरी तरफ से नमस्कार, मेरा नाम अनिता है। आज मै आप सभी के सामने अपने जीवन मे घटित एक सच्चि घटना एक कहानी के रूप में बताने जा रही हूं। उम्मीद करती हूं, कि आप सभी इसे पसंद करोगे। इस कहानी में पढिए, कैसे मुझे मेरे जीजा जी ने मेरी शादी से पहले ही पटाकर रखा था, और वो चाहते थे कि, मेरी कोख से निकलने वाला पहला बच्चा उनका हो। तो कहानी पढिए, और जानिए कैसे मेरे और जीजा जी के बीच संबंध बन गए, और मजा लीजिए।
यह कहानी आज से चार साल पहले शुरू होती है, जब मेरी दीदी की नई नई शादी हुई थी। जीजू की नौकरी शहर में होने के कारण दीदी और जीजू एक मकान किराए पर लेकर शहर में ही रहते थे। उनका बाकी पूरा परिवार गांव में ही रहता था। दीदी की शादी के बाद से ही जीजू ने मुझ पर डोरे डालना शुरू कर दिए थे। जीजू भी अच्छे दिखते थे, हैंडसम भी थे। तो मै भी उनसे थोडा-बहुत हंसी मजाक कर लेती थी। धीरे धीरे जीजू मेरे बदन को छूने के बहाने भी ढूंढने लगे थे। मै उन्हें किसी भी चीज के लिए सीधे मना तो नही कर सकती थी, लेकिन मैने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की थी। लेकिन उनके आगे सब बेकार था।
मै आपको पहले अपने बारे में बता देती हूं। घर मे मै सबसे छोटी हूं, मेरी बहन अवंतिका जिसकी अभी नई नई शादी हुई है। उसके पती यानी मेरे जीजू का नाम सुनील है। मेरे घर मे अब मेरे अलावा मेरे मां और पापा रहते है। जीजू के घर मे वो, मेरी दीदी, उनके माता और पिता रहते थे। जीजू इकलौते थे, उनका कोई भाई-बहन नही था। इसी वजह से उनको बहुत नाजों से पाला गया था। तभी वो बहुत जिद्दी थे, जब तक अपनी जिद पूरी नही करते किसी की भी बात सुनते ही नही थे।
शादी के बाद दीदी और जीजू कुछ दिन हमारे यहां भी रुके थे, उस समय जीजू पूरा खुलकर मुझ पर लाइन मारते थे। मै कुछ बोलती तो वो बोल देते, “साली तो आधी घरवाली होती है। इस रिश्ते से तुम मेरी आधी घरवाली हो, और तेरी दीदी पूरी घरवाली।”
यह बोलते वक़्त हमेशा उनकी नजरें मेरी चूचियों पर होती थी। वो मेरी चूचियों को ऐसे घूरते थे, जैसे उन्हें अभी खा ही जायेंगे। धीरे धीरे अगले दो दिन के अंदर ही जीजू ने हिम्मत करके एक मेरे चुतडों पर हाथ मार दिया, और मुझे ऐसे जताया कि, उनको पता ही नही चला क्या हुआ। लेकिन मै तो जानती थी, जीजू को और उनकी हरकतों को, तो मै समझ गई।
अब बस दो दिन में दीदी और जीजू अपने घर के लिए निकलने वाले थे, तो दीदी को कुछ कपडे खरीद कर ले जाने थे। उस काम के लिए, दीदी और माँ बाहर गए, पापा तो अपने ऑफिस गए हुए थे। तो उस दिन मै और जीजू हम दोनों ही हमारे घर पर थे। जीजू ने इसी मौके का फायदा उठाया। मै अपने कमरे बैठी हुई थी, और अपने फोन पर यूंही कुछ कर रही थी। तभी जीजू अचानक से मेरे कमरे में आ गए। कमरे में आते ही वो मेरे बगल में मेरे बिस्तर पर बैठ गए, और मुझसे बातें करने लगे। मुझे लग ही रहा था कि, आज जीजू से बचना मुश्किल है।
तभी जीजू ने बातों बातों में मेरे पीठ पर हाथ रख दिया और धीरे धीरे मेरी पीठ को सहलाने लग गए। फिर वो पीठ से होते हुए मेरी कमर की तरफ बढने लगे थे। मैने उनका हाथ हटाना चाहा, तो उन्होंने मेरे हाथ को अपने दूसरे हाथ से पकड लिया, और उसे अपने मुंह के पास ले जाकर चुम लिया। अब इससे मै जीजू के और भी करीब जा चुकी थी। अब हम दोनों में बहुत कम दूरी बची हुई थी। जीजू ने फिर मुझे अपने और पास खींच लिया, और अपना एक हाथ से कमर से मेरे टॉप को उठाकर अपना हाथ अंदर घुसाकर मेरी कमर पर रख दिया।
मै जीजू को दूर हटाने के लिए छटपटाने लगी, लेकिन जीजू की पकड से खुद को आजाद नही कर पाई। अब मै चिल्लाने वाली थी, तभी जीजू ने पहले तो अपने हाथ से मेरे मुंह को बंद कर दिया, उसके बाद उन्होंने हाथ हटाकर मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए। अब वो मुझे अपनी बाहों में लिए हुए मेरे होठों को चूस रहे थे। साथ ही वो अब मेरे टॉप को ऊपर की ओर उठा भी रहे थे। अब धीरे धीरे मुझे भी मजा आने लगा था, तो मै भी यह सब एंजॉय कर रही थी। अब तक जीजू ने भी अपने हाथों का कमाल दिखाते हुए मेरे टॉप को मेरे चूचियों तक उठा दिया था।
मै चाहकर भी जीजू को यह सब करने से रोक नही सकती थी। तभी जीजू ने मेरे होठों से अपने होंठ हटाकर उन्हें मेरी चूचियों पर रख दिया। अब जीजू मेरी एक चूची को अपने हाथ से दबा रहे थे, तो दूसरी को मुंह मे भरकर चूस रहे थे। हालांकि उन्होंने मेरी ब्रा उतारने की कोई जल्दी नही की। अब तक तो मेरी चुत भी अपने हथियार डाल चुकी थी, और पनियाने लगी थी। जीजू अब पूरी तरह से खुलकर मेरे शरीर के साथ खेल रहे थे। तभी अचानक से वो रुक गए, और नजरें उठाकर मेरी आँखों मे देखने लगे। उनके ऐसे देखने से मै शर्मा गई, तो वो मेरे हाथ मेरे चेहरे से हटाते हुए बोले, “साली साहिबा शरमाना छोड दो, अभी तो आधा सफर भी नही हुआ। आप बस मजे लेती रहना, बाकी मै संभाल लूंगा।”
इतना कहकर जीजू ने मेरे माथे पर एक चुंबन दिया, और मेरे गालों को अपनी हथेलियों में भरकर प्यार करने लगे। तभी उन्होंने थोडा और उठते हुए मेरे टॉप को पकडकर मेरे शरीर से अलग कर दिया, टॉप उतारने में मैने भी उनकी सहायता की। उसके बाद जीजू उठकर खडे हो गए, और अपने कपडे उतारने लगे। जीजू ने अपनी चड्डी को छोडकर सारे कपडे उतार दिए और अब मेरे पास आ गए। मेरे पास आते ही उन्होंने मेरे शॉर्ट पर हमला बोल दिया। वैसे भी वो मुश्किल से मेरी जांघों तक आ रहा था, लेकिन जीजू ने उसे भी उतार कर अलग कर दिया।
अब मै जीजू के सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी पहने हुए ही थी। जीजू मुझे इस हालत में देखकर और उत्तेजित होने लगे थे। उन्होंने अपना कंट्रोल खो दिया और मुझे बेतहाशा चूमते हुए मेरे बदन को भी मसलने लग गए। तभी मैने अपने हाथ जीजू की छाती और पीठ पर घूमाने शुरू कर दिए। थोडी ही देर में जीजू ने अपनी चड्डी भी उतारकर फेंक दी, और अब वो मेरे सामने खडे होकर अपना लंड हाथ मे लेकर मेरे मुंह के सामने आ गए। मै उनका मतलब तो समझ गई, लेकिन मुझे लंड मुंह मे लेना अच्छा नही लगा, तो मैने मना कर दिया। तब तो जीजू ने कुछ नही कहा, उन्होंने मेरे पास आकर मुझ उल्टा लिटा दिया।
मेरे उल्टा होते ही वो मेरी ब्रा का हूक खोलने लगे। ब्रा का हूक खुलते ही उन्होंने झट से मेरी ब्रा को खींचकर अलग कर दिया और मेरी चूचियों में अपना मुंह घुसा दिया। अब वो बारी बारी से मेरी दोनों चुचियां चूसने लग गए थे। उन्होंने मेरी चुचियां चूसकर लाल कर दी थी। बीच बीच मे वो मेरी चूचियों पर अपने दांत भी गडा देते थे, जिस वजह से मेरे मुंह से सिसकारियां निकल रही थी। तभी उन्होंने अपने होंठ में मेरे निप्पल को पकडकर खींचना शुरू कर दिया जिसने मुझे और अधिक चुदासी बना दिया।
अब मैने भी अपना हाथ नीचे ले जाकर जीजू के लंड को पकड लिया, और उसे सहलाने लगी। तभी जीजू ने सही समय देखकर मेरी पैंटी को भी उतारकर मुझे पूर्ण रूप से नंगी कर दिया। मेरे नंगी होते ही जीजू ने अपना लंड पकडकर मेरी चुत के द्वार पर रख दिया, और हल्के से एक धक्का लगा दिया। मै कुंवारी थी, तो उनका लंड पहली बार तो फिसलकर बाहर आ गया। फिर उन्होंने अपने हाथ पर ढेर सारा थूक लेकर मेरी चुत को चिकना कर दिया और फिर अपना लंड मेरी चुत के अंदर डाल दिया।
फिर जीजू लगे मेरी धकमपेल चुदाई करने में। यह मेरी पहली चुदाई थी, तो मुझे आधे समय तक तो दर्द ही हो रहा था, और जब मजा आने लगा तब जीजू के लंड ने अपना वीर्य निकाल दिया। जीजू मुझे चोदने में इतने मस्त हो गए थे कि, उन्होंने अपना वीर्य मेरी चुत के अंदर ही डाल दिया।
तब तो हमे सब अच्छा ही लगा था, लेकिन जब मेरे पीरियड्स का समय हुआ, तब मुझे डर लगने लगा। तब जाकर पता चला कि, मेरे पेट मे बच्चा है।
यह मेरे जीवन की सच्ची कहानी है दोस्तों, अब ऐसी हालत में मुझे क्या करना चाहिए?
मुझे आपकी राय चाहिए, तो कमेंट करके बताइए। धन्यवाद।