kitchen mai kamwali ki chudai • Kamukta Sex Stories

किचन में कामवाली की चूत का रस पिया

किचन में कामवाली की चूत का किया कीमा,, मेरा नाम सादिक पटेल है। मैं 39 साल का अधेड़ उम्र का व्यक्ति का हूं। मैं मुंबई के एक पॉश इलाके में रहता हूं। मेरे घर में मेरी पत्नी और मैं ही रहते हैं। हमारा एक लड़का है जो बैंगलोर के नामी स्कूल में पढ़ता है और वहीं पर अपनी बुआ के घर पर रहता है। कई बार मेरी बीवी भी अपने हमारे लड़के से मिलने वहीं पर चली जाती है और वो कई दिनों तक रुकने के बाद वापस आती है। वैसे तो मैं इस नेचर का नहीं हूं एक दिन की घटना ने मुझे चोदू बनाकर रख दिया।
मेरी बीवी वैसे तो सेक्स में मेरा पूरा साथ देती है। हम हफ्ते में एक बार तो सेक्स कर ही लेते हैं। मैंने हर पोज़ और हर ऐंगल से अपनी बीवी की चूत मारी हुई है। और मेरे को सेक्स में एक्सपेरीमेंट करना बहुत अच्छा लगता है। इसलिए जब मेरी नई-नई शादी हुई थी तो मैं अपने बीवी के लिए अलग-अलग तरह की पैंटी और ब्रा लेकर आता था। कभी कोई डिज़ाइन तो कभी कोई रंग। मैं उसको नई-नई अंडरगारमेंट्स पहना कर चोदा करता था। वो भी मेरे इस अंदाज़ को काफी पसंद करती थी। लेकिन जैसे-जैसे उम्र ढलती गई हमारे बीच में सेक्स की गर्मी भी कम होती गई। पहले तो हम लगभग हर रोज़ ही सेक्स करते थे लेकिन आजकल तो हफ्ते या महीने में तीन बार ही हो पा रहा था।

एक बार की बात है जब मेरी बीवी हमारे बेटे से मिलने बैंगलोर गई हुई थी। मैं घर में अकेला था तो मैंने कुछ दिन के लिए खाना बनाने वाली मेड रख ली थी। क्योंकि मेरे को सबुह जल्दी ऑफिस के लिए जाना होता था इसलिए मेरे पास इतना टाइम नहीं होता था कि मैं नाश्ता भी बना लूं। और बाहर का खाना खाकर अक्सर मेरा पेट खराब हो जाता था। इसलिए जब मेरी पत्नी बैंगलोर में अपनी ननंद के घर पर गई तो उसका फोन आया कि अभी कविता(मेरी बहन) काफी बीमार है और जब तक वो ठीक नहीं हो जाती वो घर नहीं आ पाएगी। इसलिए मैंने सोचा कि बीमारी का क्या भरोसा..पता नहीं कब तक ठीक होगी।
अगर बात 5-10 दिन की होती तो मैं मैनेज कर भी लेता लेकिन मेरी बीवी ने खुद ही बोल दिया कि रामकली(हमारी कामवाली) को बोलकर मैं खाना बनाने के लिए भी एक मेड की व्यवस्था कर लूं। रामकली हमारे घर में 5 साल से काम कर रही थी। लेकिन वो सिर्फ झाडू पोछा और साफ-सफाई का काम करती थी। इसलिए मैंने उससे कहा कि वो मेरे लिए एक खाना बनाने वाली से बात कर ले। मेरे कहने पर उसने बोला कि वो जल्दी ही इंतज़ाम करवा देगी। दो दिन बाद हमारे घर में एक खाना बनाने वाली आने लगी। वो देखने में ज्यादा सुंदर नहीं थी लेकिन उसका फिगर बहुत ही मस्त था। वो जब सुबह मेरे लिए चाय नाश्ता लेकर आती तो मैं उसकी मोटी गांड और मस्त फिगर और मोटी चूचियों को देखने से खुद को रोक नहीं पाता था।लेकिन मैंने सोचा कि ज्यादा घूरना भी सही नहीं है। अगर इसको शक हो गया तो आंखें सेकने से भी हाथ धोने पड़ेंगे।

loading…
कई दिन ऐसे ही बीत गए। रविवार के दिन मेरी छुट्टी होती थी इसलिए उस दिन मैं घर पर ही रहता था। मैंने रामकली को बोल दिया को सुबह जल्दी अपना काम निपटाकर चली जाए। मैं शायद सुबह देर तक सोऊंगा । इसलिए रामकली ने कहा-ठीक है मालिक। मैं झा़ड़ू पोछा करके चली जाउंगी। फिर उसने पूछा कि माला (खाना बनाने वाली) को कितने बजे बुलाना है। मैंने कहा- उसको 10 बजे का टाइम दे दो।
वो बोली-ठीक है मैं माला को बोल दूंगी कि वो सुबह 10 बजे खाना बनाने के लिए आ जाए । मैंने सोचा कि कल तो जी भर के उसकी मदमस्त जवानी को ताड़ने का आनंद लूंगा। ये सब बातें सोचकर पहली रात को ही मेरे लंड ने उधम मचाना शुरु कर दिया था। इसलिए मेरे को रात में ही मुट्ठ मारकर उसको शांत करना पड़ा।

रात को मुट्ठ मारने के बाद मुझे नींद भी अच्छी आई लेकिन थकान भी काफी हो रही थी। इसलिए मुझे ध्यान नहीं रहा कि सुबह 10 बजे से पहले ही उठना है। क्योंकि मैं माला की जवानी का आनंद लेना चाहता था। मैं सोता ही रहा। सुबह मेरे को महसूस हुआ कि कोई हाथ मेरे कंधे को हिला रहा है। मुझे नींद में मालिक-मालिक की आवाज़ सुनाई दे रही थी। अचानक मेरी नींद टूटी और मैं उठकर बैठ गया। देखा तो माला मुझे जगा रही थी। माला ने कहा- नमस्ते मालिक, मैं आधे घंटे से आपके उठने का इंतजार कर रही थी। खाने में आज क्या बनाना है।
मैंने कहा- आज संडे है तो अपनी पसंद का कुछ बना लो।
वो बोली- मुझे बैंगन बहुत पसंद है मालिक, वो भी मसाला लगा हुआ।
मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा तो वो मुस्कुरा रही थी। मैं सोच में पड़ गया कि इसने नॉर्मली ये बात कही है या डबल मीनिंग के तौर पर।
मैंने कहा- ठीक है बैंगन ही बना लो।
वो बोली- ठीक है। कहकर वो किचन में चली गई। मैंने टाइम देखा तो सुबह के 11 बज चुके थे। मैंने आंखें मलते हुए चश्मे रिमोट को बिस्तर पर टटोला। मेरा हाथ मैगज़ीन पर जा लगा। मैंने नज़र घुमा कर देखा तो वो नंगी मैगज़ीन थी। जिसमें नंगी लड़कियों की फोटो फ्रंट पेज पर ही छपी थी। मुझे याद आया कि रात को मुट्ठ मारने के बाद मैंने वो मैगज़ीन ऐसे ही बिस्तर पर छोड़ दी। लेकिन माला भी तो कमरे में आई थी और वो मेरे को जगाने बिस्तर तक भी आई होगी। मैंने सोचा- यार…इसने तो मैगज़़ीन भी देख ली होगी।

तब मेरे दिमाग ने काम किया। मैंने सोचा शायद ये भी मेरे काम की कामवाली लग रही है।तभी वो बैंगन वाली डबल मीनिंग बात कर रही थी। मैं उसके उस मसाले वाले बैंगन का मतलब अब समझ गया था। मैं मन ही मन खुश हो गया कि यह भी चालू है। सारी मैगज़ीन देखने के बाद ही इसने मुझे उठाया है।
मैंने जल्दी से उठकर हाथ-मुंह धोया और किचन में पहुंच गया। मैंने लोअर पहन रखी थी जिसमें मैंने रात को मुट्ठ मारी थी। मेरे वीर्य ने लोअर पर नक्शा बना रखा था जो साफ-साफ दिखाई दे रहा था। जब मैं किचन में गया तो माला ने मेरी तरफ मुड़कर देखा, उसकी नज़र सीधी मेरी लोअर पर ही गई।उसने कुछ पल वहां नज़र गड़ाकर देखा और फिर खाना बनाने में लग गई। मैंने माला से कहा- चाय तैयार है क्या..
वो बोली- हां मालिक, कहकर उसने चाय गर्म करने के लिए गैस पर रख दी। मैं ऊपर शेल्फ में रखे बिस्किट उतारने लगा। ऐसा करते हुए मेरी लोअर का आगे वाला हिस्सा माला की गांड से टच हो गया। उसकी गांड पर टच होते ही मैंने महसूस किया कि उसने अपनी गांड थोड़ा पीछे की ओर मेरी लोअर की तरफ धकेल दी। जिससे उसकी मोटी गांड का दबाव मेरे लंड पर मुझे अलग से महसूस होने लगा। मेरा लौड़ा फटाफट लोअर में तनना शुरु हो गया। मैंने भी उसकी गांड पर लंड का दबाव बढ़ा दिया और उसकी गांड की दरारों के बीच में लंड को लगा दिया। वो समझ गई कि मैं गरम हो चुका हूं। माला ने अपनी पूरी गांड मेरे लंड पर धकेल दी। बदले में मैंने भी उसकी कमर को पकड़ लिया और उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसकी गांड के बीच में लंड को अंदर लगाने की कोशिश करने लगा।

मेरा लंड तो रात से ही प्यासा था। इसलिए मेरी हवस को भड़कते देर नहीं लगी। लेकिन माला उसमें घी का काम करेगी ये मैंने नहीं सोचा था। उसने गैस स्टोव बंद किया और अपना एक हाथ पीछे लाकर मेरे लंड को लोअर के ऊपर से ही सहलाने लगी। मैं थोड़ा पीछे की तरफ हट गया ताकि वो आसानी से मेरे लंड को पकड़ सके। वो भी अब मेरे लंड पर हाथ फिरा रही थी। उसे लोअर में पकड़-पकड़ कर दाएं-बाएं हिला रही थी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैं पीछे से उसके चूचियों को कमर की बगल से छेड़ रहा था।मेरा जोश बढ़ने लगा और मैंने उसके मोटी चूचियों को साड़ी के ऊपर से ही जोर से दबा दिया। उसकी सिसकारी निकल गई।
आहहहहह…. मैंने उसकी साड़ी का पल्लू का नीचे गिरा दिया और ब्लाऊज के ऊपर से उसकी चूचियों के साथ खेलने लगा। माला ने मेरे लंड को मसलना शुरु कर दिया। मैं भी सेक्स की धारा में बहने लगा। मैंने अपने एक हाथ से अपनी लोअर को अंडरवियर समेत नीचे सरका दिया और अपने लंड को आज़ाद कर दिया। लोअर ऩीचे आते ही माला ने मेरे लंड को हाथ में भर लिया औऱ वो उसके टोपे को आगे-पीछे करते हुए मुट्ठ मारने लगी।
मुझे उसके हाथ में लंड देकर बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने उसके ब्लाउज़ के हुक खोलना शुरु कर दिया और वहीं किचन में खड़े-खड़े ही उसके ब्लाउज़ को उतार दिया। ब्लाउज उतरते ही उसके चूचे हवा में झूल गए। मैंने उनके निप्पलों को टटोला और अपने अंगूठे और उंगली के बीच में लेकर मसल दिया। उसकी जोर की सिसकी निकल गई…“…….मम्मी….मम्मी……सी …..सी …….सी ……सी…..हा….. हा….. हा….. ऊऊऊ……ऊँ……….ऊँ…..उनहूँ …..उनहूँ…..” करते हुए वो मेरी तरफ पलट गई। मैंने उसकी साड़ी को उतारना शुरु कर दिया और अब वो सिर्फ पैटीकोट में रह गई। मैंने उसकी सांवली मोटी चूचियों के बीच में तन चुके निप्पलों को चूसना शुरु कर दिया। वो सी..सी करने लगी। मैंने उसके निप्पलों पर जीभ फिराना चालू रखा। और वो मेरे सिर को अपने चूचों में दबाने लगी।

उसने नीचे से मेरे लंड की मुट्ठ मारना चालू कर दिया। मैं भी पूरे जोश में आ चुका था। मैंने उसके चूचों से मुंह हटाया और उसके पैटीकोट का नाड़ा खोल दिया। उसकी जांघिया गीली हो चुकी थी। मैं उसकी जांघिया को निकलवा दिया। माला ने अपने हाथों से अपना जांघिया वहीं किचन के फर्श पर निकाल दिया। मैंने तब तक स्लैब के बर्तन एक तरफ किए और उस पर जगह बनाते हुए माला को स्लैब पर बैठा दिया। मैं उसकी चूचियों को दबाता हुआ उसकी चूत में उंगली करने लगा। वो कामुक सिसकारियां लेते हुए तड़पने लगी। “आआआअह्हह्हह……..ईईईईईईई…….ओह्ह्ह्…….आहहहहहह……म्म्म्म्म्म्….” करती हुई वो मदहोश हुई जा रही थी।

मैंने उसकी चूत में उंगली करना जारी रखा। वो एकदम से स्लैब से उतरी और अपने घुटनों के बल बैठकर मेरे लंड को अपने हाथ में लेते हुए उसे मुंह में भर लिया। वो मेरे 5 इंच के रॉड की तरह कड़े हो चुके लंड को अपने मुंह में भरकर चूसने लगी। मैंने उसके मुंह को चोदना शुरु कर दिया। अब मेरे मुंह कामुक सिसकारियां निकल रही थीँ। माला पहुंची हुई खिलाड़ी लग रही थी। उसके लंड चूसने का अंदाज़ इतना मस्त था कि मुझे लग मैं जल्दी ही झड़ जाऊंगा…इसलिए मैंने खुद पर कंट्रोल बनाए रखा। और जल्दी ही उसके मुंह से लंड निकलवा दिया।
मैंने उसको दोबारा स्लैब पर बैठा दिया और उसकी टांगों को फैला दिया। अब देर न करते हुए मैंने माला की चूत के मुंह पर लंड का सुपाड़ा रखा और एक जो़र का धक्का दे दिया। लंड सीधा माला की चूत में जा घुसा। मैंने उसकी टांगों को पकड़े रखा और स्लैब पर बैठी हुई माला की चूत में लंड अंदर बाहर करना शुरु कर दिया। वो भी सेक्स में मदमस्त हो चुकी थी। उसने मेरे कंधों को पक़ड़ लिया और मैं उसकी चूत की अच्छी तरह से मालिश करने लगा। 10 मिनट तक मैंने माला को सामने से चोदा और फिर उसको नीचे उतार लिया। अब मैंने उसे स्लैब पर घोड़ी की तरह झुका लिया और पीछे से उसकी चूत में लंड पेल दिया।

उसके हाथ मेरी गांड पर आकर लंड को उसकी चूत में अंदर तक धकेलने में मदद कर रहे थे। वो मेरे लंड से चुदकर आनंदित हो रही थी। मैंने 20 मिनट तक ऐसे ही घोड़ी बनाकर उसको चोदा। किचन में हम दोनों की कामुक सिसकियां गूंज रही थीं। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज़-तेज उसकी चूत में लंड को पेलने लगा। 2 मिनट बाद मेरे लंड ने उसकी चूत में थूकना शुरु कर दिया। और मैं 5-6 झटकों के बाद रुककर शांत हो गया। वो भी स्लैब पर बदहाल सी 2 मिनट लेटी रही। फिर उसने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा तो मैं भी मुस्कुरा दिया। इसके बाद जब तक मेरी बीवी वापस घर नहीं आई, मैंने रोज माला की चूत की रगड़ाई की। मेरे लिए यह एक अच्छा एक्सपीरियंस था।