कामुकता कहानी मामा के घर में • Kamukta Sex Stories

कामुकता कहानी मामा के घर में

नमस्कार दोस्तों आज मै आप सभी के सामने अपने जीवन की एक सच्चि घटना बताने करने जा रहा हूं। यह कहानी मेरी और मेरे मामा की बेटी की है, जानिए किस तरह से हम दोनों एक-दूसरे की तरफ आकर्षित हुए, और फिर आगे हम दोनों के बीच क्या हुआ।

कहानी शुरू करने से पहले मै आपको मेरे बारे में थोडा बता देता हूं। मेरा नाम शुभम है, मै मध्यप्रदेश का रहने वाला हूं। मेरे घर मे मै, मेरे माता-पिता और मेरा बडा भाई रहते है।

मै घर मे छोटा होने के कारण सभी मुझसे बहुत लाड-प्यार करते है। मेरा घर और मामा का घर पास में ही है, तो अक्सर मै अपने मामा के घर आता जाता रहता हूं।

मेरे मामा के घर पर नाना-नानी, मामा-मामी, और मामा की एक बेटी है, जो कि मुझसे एक साल छोटी है, इतने ही लोग रहते है।

यह कहानी तब की है, जब मै बारहवी में पढता था। ऐसे ही एक दिन मै मामा के घर गया हुआ था, तब मामा-मामी ही घर मे थे। बाकी सब कहीं बाहर गए हुए थे।

तो दोपहर में खाना खाने के बाद, मै अपने दोस्तों के साथ बाहर गया। वापस आने के बाद, मै घर मे घुसते ही एक अजीब सी आवाज मेरे कानों पर पडी।

उस आवाज से मै थोडा सतर्क हो गया। जरा ध्यान से सुनने पर पता चला यह तो मेरे मामी की आवाज थी। मैने घर के अंदर उनके कमरे की खिडकी से झांककर देखा, तो मामा जी पूरे नंगे होकर मामी जी के ऊपर आये हुए थे।

मामा जी ने मामी की साडी को उठाकर उनके पेट पर रख दिया था। मुझे तब चुदाई के बारे में कुछ पता नही था। फिर उसके अगले दिन मैने अपने एक दोस्त से इस बारे में पूछा।

उसने मुझे बताया कि, इसे चुदाई कहते है, और इसमें मर्द अपना लंड औरत की चुत में डालकर हिलाता है। उसने मुझे पूरा अच्छे से समझाया, और साथ ही कुछ वीडियो भी भेजे।

वीडियो देखने के बाद मेरे भी लंड में तनाव आने लगा था। अब तो मेरा भी मन किसी को चोदने को कर रहा था। उसके बाद फिर सब कुछ नॉर्मल चलता रहा।

कुछ दिनों बाद, मेरी मां ने मुझे बताया कि, आज मामा जी के घर पर सिर्फ दिव्या ही है, बाकी सारे घरवाले किसी रिश्तेदार की शादी में गए हुए है।

और दो दिन बाद ही वो सब आने वाले थे, तो दिव्या को बुलाकर हमारे घर ले आना था। दिव्या को बुलाने के लिए मै उसके घर गया।

मै बिना आवाज किए घर के अंदर जाकर दिव्या को डराना चाहता था, तो मै धीरे धीरे अंदर की ओर बढ रहा था। दिव्या के कमरे के बाहर पहुंचते ही, मुझे दिव्या की आवाज आने लगी।

शायद वो फोन पर किसी से बात कर रही थी। मै बिना दरवाजा खटखटाए दरवाजा धकेलकर कमरे के अंदर घुस गया।

अंदर जाकर देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई, दिव्या किसी से फोन पर बात करते हुए अपनी चुत में उंगली कर रही थी। दिव्या उस समय पूरी नंगी थी।

उसे इस हालत में देखकर मै एकदम से सकपका गया। मुझे कुछ समझ नही आ रहा था, कि अब क्या किया जाए। मुझे देखते ही दिव्या जोर से चिल्लाई, और पास में पडे हुए चादर को उसने अपने ऊपर ओढ लिया।

मै अभी भी वहीं पर खडा था। दिव्या ने पहले मुझे कमरे से बाहर जाने को कहा, मेरे बाहर आने पर उसने अपने कपडे पहन लिए।

कुछ देर बाद उसने मुझे अंदर बुला लिया, अंदर गया तो देखा, उसने बस एक झीना सा गाउन पहन लिया था। उस गाउन में से दिव्या के बदन को आराम से देखा जा सकता था।

उसने मुझे अंदर बुलाकर अपने पास बिठाया और बोलने लगी, “शुभम आज यहां पर तुमने जो भी देखा, कभी किसी को बोलना मत, वरना मै कहीं की नही रहूंगी।”

इस पर मैने उससे कहा, “मै किसी से कुछ नही कहूंगा, लेकिन तुम यह फोन पर किससे बात कर रही थी?”

तो दिव्या ने कहा, वो उसके बॉयफ्रेंड से बात कर रही थी। इसका मतलब वो दोनों सेक्स चैट कर रहे थे।

इस पर मैने दिव्या से कहा, “मै यह बात कभी किसी से नही कहूंगा, लेकिन तुम्हे अपने बॉयफ्रेंड को छोडना पडेगा।”

तो वो बोली, “शुभम तुम समझ नही रहे, हमारे शरीर की भी कुछ जरूरतें होती है, उसे पूरा करने के लिए ही मै उसके साथ हूं अभी।”

यह सुनकर मेरी तो लॉटरी ही निकल गई। फिर मैने उसे कहा, “दिव्या इसके लिए मेरे पास एक मस्त प्लान है, जिससे तुम्हारे शरीर की जरूरतें भी पूरी हो जाएगी। और बाहर किसी को पता भी नही चलेगा।”

यह सुनकर दिव्या की आंखों में एक अलग ही चमक सी आ गई। उसने बस हां कहकर मेरी तरफ देखने लगी।

तो मैने उसे कहा, “अगर पसंद ना आए, तो सीधा बोल देना। बुरा मत मानना।”

दिव्या ने भी हां कह दिया। तो मैने उससे कहा, “क्यों न हम दोनों एक-दूसरों की जरूरतों का खयाल रखें? इससे बात घर मे ही रहेगी।”

दिव्या ने इस बात पर कुछ नही कहा। उसने बस इतना कहा कि, “मै इस बात पर सोच कर बताऊंगी। अभी के लिए चलो, तुम्हारे घर चलते है।”

दिव्या को फ्रेश होना था, थोडी देर में वो फ्रेश हो गई, और फिर हम दोनों ही मेरे घर आ गए। थोडी ही देर में मां ने हम सबको खाना परोसा।

जब हम खाना खा रहे थे, तब दिव्या मेरी मां से बोली, “आंटी मेरे अभी पेपर चल रहे है, तो मुझे थोडा पढना है। इसलिए क्या मै रात में वहीं अपने घर सो सकती हूं?”

मां मना क्यों करती, वैसे भी पढाई का नाम सुनते ही उसे हां मिल गई। लेकिन मां ने हां के साथ उससे बोला कि, “रात को अकेले होने से अच्छा है, शुभम को भी अपने साथ ले जाओ।”

यह सुनकर मेरी तो लाटरी ही निकल गई। फिर खाना खाने के कुछ देर बाद, हम दोनों ही मेरे घर से निकल गए।

आधे रास्ते के बाद,दिव्या ने मुझसे पूछा, “तुम्हारे पास कंडोम है तो, अगर नही है, तो लेकर आना।”

दिव्या के मुंह से इतने साफ साफ शब्दों में यह सब सुनकर मै उत्तेजित होने लगा था।

दिव्या आगे निकल गई, और मैने मेडिकल से कंडोम ले लिया। जैसे ही मै मामा के घर पहुंचा, मैने दरवाजा अंदर से लगा लिया और दिव्या के कमरे की तरफ चलने लगा।

दिव्या कमरे में बैठी हुई अपने मोबाइल पर कुछ कर रही थी। मै कमरे में जाते ही उसने मोबाइल छोड दिया और मेरे पास आकर मेरे गले लग गई।

मैने भी उसे कसकर अपने सीने से चिपका लिया। उसके स्तन मेरे सीने में गड रहे थे। मैने उसके बालों में हाथ डालते हुए उसके सर को हल्का सा पीछे करके उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये।

कुछ देर तक उसके होंठ चूसने के बाद मैंने उसके कपडे उतारने शुरू कर दिए। जैसे ही मैने उसका टॉप उतार दिया, उसने अंदर से ब्रा नही पहनी थी, तो उसके नंगे चुचे मेरी आँखों के सामने आ गए।

उसकी चुचियां देखकर मैने उसकी चूचियों को अपने मुंह में भर लिया। अब मै उसकी चुचियां चूस रहा था। अब तक हम दोनों ही बिस्तर के पास खडे थे।

तो मैने उसे आराम से चूमते हुए ही पहले बिस्तर पर बिठा दिया और फिर अहिस्ता से उसे लिटाकर मै खुद उसके ऊपर आ गया।

थोडी देर उसके बूब्स चूसने के बाद, मैने अपना हाथ उसकी कमर पर ले जाते हुए उसकी जीन्स का बटन भी खोलने लगा।

लेकिन मुझसे बटन खुल नही रहा था, तो आखिर में मैने दिव्या की सहायता ले ली। बटन खुलते ही मैने उसकी जीन्स को नीचे खिसका दिया।

अब दिव्या की नंगी जांघे मेरी आँखों के सामने चमक रही थी। दिव्या की चुत बस अब पैंटी छिपा रही थी। मैने उसकी पैंटी को अपनी एक उंगली से थोडा साइड कर दिया, और उसकी चुत में एक उंगली घुसा दी।

तो दिव्या ने मुझसे कहा, “अब बाकी बातें बाद में करना, पहले लंड को मेरी चुत में डाल दो।अब और नही सहा जाता।”

तो मैने उठकर पहले तो अपने भी सारे कपडे उतार दिए।कपडे उतारने के बाद मैने अपने लंड पर कंडोम चढा लिया। फिर दिव्या के ऊपर आते हुए मैने उसकी पैंटी को भी निकाल फेंका।

अब हम दोनों नंगे थे, तो मै उसके ऊपर आकर अपने लंड को उसकी चुत पर रगडने लगा। फिर धीरे धीरे दबाव बनाकर मैने अपने लंड को उसकी चुत में डाल दिया और उसकी धकमपेल चुदाई करने लगा।

दिव्या भी कुछ ही देर में मजे से अपनी चुत चुदवाने लगी। दिव्या तो पहले से ही खेली हुई थी। उसकी चुत ने मेरे लंड को आसानी से अपने अंदर ले लिया।

उसको चोदने के बाद, मैने अपना वीर्य उसकी चुत के अंदर ही गिरा दिया।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी, हमे कमेंट करके बताइए। धन्यवाद।