मौसेरी बहन के साथ वो हसीन रात • Kamukta Sex Stories

मौसेरी बहन के साथ वो हसीन रात

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम नीरज श्रीवास है। मैं छत्तीसगढ़ के कोरबा का रहने वाला हूँ। यह मेरी पहली कहानी है इसलिए अगर कोई गलती हो जाये तो माफ कर दीजियेगा।
मैं बी कॉम का छात्र हूँ। मेरे परिवार में मेरे अलावा माँ, छोटा भाई और पापा हैं। ये बात तब की है जब मैं बी कॉम फर्स्ट इयर में था।

मेरी मौसी की बेटी श्रद्धा जो उस समय बारहवीं में थीं, वो हमारे यहाँ रहने आयी थीं। वो पढ़ने में ज्यादा अच्छी नहीं थी। मेरी मौसी ने उसे हमारे घर इसलिए भेजा था ताकि वो मेरे साथ पढ़े, क्योंकि मैं पढ़ने में अच्छा था।

हमारे घर में मैं और मेरी मौसेरी बहन आपस में दोस्तों की तरह रहते हैं और आपस में बेझिझक बाते करते हैं। लेकिन जब वो इस बार हमारे घर आयी तो मैंने देखा मेरी बहन कुछ उदास सी है।

शाम को मुझे किसी काम से बाहर जाना था तो मेरी माँ ने कहा- बेटा, श्रद्धा को भी अपने साथ ले जा!
मैंने मां को हाँ कहा।
जब वो तैयार हो कर आयी तो मेरी आँखें जैसे चमक गयी। उसके गोरे रंग पर लाल रंग की टॉप उसके दोनों स्तनों का साइज बता रहे थे। उसकी कमर का लहरदार पतलापन जैसे उँगलियों को सहज ही अपनी ओर खींचता था। नीचे पतली जाँघें … बस ऐसा लग रहा था कि कोई अप्सरा धरती पर उतर आयी है। मैं उसे बड़े प्यार से काफी देर तक देखता रहा. कुछ देर को मानो मैं भूल गया था कि मैं उसका भाई और वो मेरी बहन है।

उसने पास आकर कहा- क्या हुआ भाई, कभी खूबसूरत लड़की नहीं देखी क्या?
मेरा ध्यान उस समय भंग हुआ, मैंने कहा- यार श्रद्धा, आज तो तुम कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही हो।
उसने कहा- भईया, मेरी तारीफ बाद में कर लेना, पहले घूमने चलो।

हम दोनों घूम फिर कर रात को नौ बजे घर वापस आये। लेकिन मेरी माँ हमारे देर से आने के चलते नाराज़ थी।
हमने खाना खाया और मैं अपने रूम में आकर लेट गया था.
तभी श्रद्धा मेरे कमरे में आयी.
मैंने पूछा- श्रद्धा! क्या हुआ? नींद नहीं आ रही है?
उसने कहा- हाँ भैया, मुझे नींद नहीं आ रही है!

मेरा बैग मेरे बिस्तर पर रखा हुआ था, मैंने बैग को बिस्तर से हटाया और हम दोनों उस पर बैठ गये और बातें करने लगे।
मैंने जैसे ही उसके बायफ्रेंड होने के बारे में सवाल पूछा तो वो कुछ रोने जैसे हो गयी। उसने कहा- भईया, मैं उससे बहुत प्यार करती थी मगर वो एक दूसरी लड़की के चक्कर में मुझे धोखा दे गया।
तब मैंने उसे समझाया तो वो मेरे सीने से चिपककर रोने लगी। मेरी बहन के स्तनों का स्पर्श मेरे अंदर के शैतान को जगाने लगा। मगर मैंने यह सोच कर खुद को रोका कि यह लड़की मेरी बहन है, मुझे ऐसा नहीं सोचना चाहिए। ऐसा सोच कर मैंने अपनी कामवासना को दबा लिया.

मैंने उसे चुप कराया, फिर उसे मां के कमरे में जाने को कहा क्योंकि वो मां के साथ ही सोती थी. अब रात के बारह बजने को थे।
मैं लेटा ही था कि श्रद्धा वापस आ गयी, उसने कहा- भैया, मौसी दरवाजा नहीं खोल रही हैं।
मैंने कहा- देर हो गयी है ना … माँ गहरी नींद में सो चुकी होगी।

दूसरे रूम में मेरा भाई और पापा सो रहे थे थे तो मैंने उससे कहा कि वो आज रात मेरे कमरे में सो सकती हैं।
वो मान गयी, मेरा बेड सिंगल था तो बेड ज्यादा बड़ा नहीं था। उसने मेरी तरफ पीठ की और सोने लगी। मगर मेरा मन पता नहीं क्यों मचले जा रहा था। इतनी सेक्सी जवान लड़की मेरी बगल में सो रही है. मेरा लंड बार बार मुझे कुछ कर गुजरने को उकसा रहा था. लेकिन फिर भी मैं यही सोच रहा था कि ‘नहीं … ये मेरी बहन है. इसके लिए ऐसा सोचना गलत है.’

रात का एक बजने को था। मेरी बहन श्रद्धा मेरे साथ सो रही थी, मैंने भी करवट ली और श्रद्धा की तरफ पीठ कर सोने लगा।
तभी उसका हाथ मेरे पेट पर लगा तो मेरी बची खुची नींद उस कोमल हाथ के स्पर्श से उड़ गयी।

मैंने उसकी तरफ चेहरा किया, अब हमारे चेहरे एक दूसरे के सामने थे, अपनी बहन की गर्मं साँसें मैं अपने चेहरे पर महसूस कर सकता था।

अचानक मैंने सारी शर्म लिहाज़ और नैतिकता भूल कर उसके होंठों से अपने होंठ मिला दिये। तभी मैंने महसूस किया कि वो भी चुम्बन में मेरा साथ दे रही है।
फिर मैं सब कुछ भूल कर अपनी बहन को चूमने लगा. करीब दस मिनट तक उसके रसीले होंठों का रसपान करने के बाद मैं उसके चेहरे को चूमते हुए नीचे स्तनों को कपड़ों के ऊपर से ही दबाने लगा।

अब मेरा लंड उसकी जाँघ को छूने लगा। मैंने उसके टी शर्ट को ऊपर किया और ब्रा भी उतार दी। उसने हाथ से अपने सीने को ढकने की नाकाम कोशिश की। मैंने देखा कि उसके स्तनों के अंगूर भूरे थे। मैं कभी दायाँ तो कभी बायाँ स्तन चुसता कभी कभी काट देता और वो चिल्लाती। इस कामक्रीड़ा के आनंद में हम खोने लगे।

अब मैंने अपना हाथ उसकी लोवर के ऊपर रखा फिर लोवर के अंदर डाल कर उसकी पेंटी के उपर रखा। वो थोड़ी गीली थी। मैं उसे ऊपर से सहला रहा था. फिर मैंने अपना हाथ उसकी पेंटी के अंदर डाल कर उसकी चूत को रगड़ने लगा। मेरी बहन वासना से बेचैन होकर अपनी टाँगें फैला रही थी।

मैंने अब अपने सारे कपड़े उतार दिये। अब मेरा सात इंच का लंड हवा में लहरा रहा था। मैंने उसकी लोवर उतार कर अपनी बहन को भी नंगी कर दिया। लाजवश वो अब भी आँखें बंद किये हुए थी। मैंने उससे कहा- यार श्रद्धा, अब सब खुले आम होना है, शर्म हया भूल जाओ और खुल कर जवानी के इस खेल का मजा लो!
उसने आँखें खोली और मेरा लंड देखती रही।

मैंने उसे मेरा लंड चूसने को कहा। पहले तो उसने मना किया फिर मेरे जोर देने पर मेरी बहन मेरा लंड लोलीपॉप जैसा चूसने लगी। मैं उसके गले तक लंड पेल कर चोदने लगा। उसकी सांस रुक रही थी तो उसने मुझसे छूटने की कोशिश की, तभी मैंने उसको छोड़ा।
उसने कहा- तुम मेरी जान लेना चाहते हो क्या?
मैंने हँसते हुए कहा- नहीं बहना … तुम्हारी चूत!

फिर मैंने उसकी टाँगें फैलायी और अपनी बहन की चूत चाटने लगा। जवान चूत की गंध और रस लंड की प्यास बढ़ाते हैं। मैं और वो 69 की पोज में आ गये। फिर मैंने उसकी गांड के नीचे तकिया लगाया और चाटने लगा। उसने मेरे बाल पकड़े और अपनी चूत चटवाने लगी। फिर वो आह आहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… हह कर झड़ गयी।
मैं उसकी चूत से निकला सारा रस चाट गया।

मेरी बहन की चूत अभी गीली थी। मैं देर न करते हुए अपने लंड का मोटा शिखर उसकी चूत से रगड़ने लगा।
उसने कहा- भईया अब और नहीं सहा जा रहा, आप डाल दो मेरे अंदर इस चीज को।
मैंने उसे किस करते हुए अपना लंड चूत में पेल दिया।
सिर्फ थोड़ा सा लंड अंदर जाते ही वो चिल्लाने लगी, मगर वो कुछ बोलती इससे पहले मैंने अपना लंड और अंदर पेल दिया। मेरा आधा लंड मेरी बहन की चूत में घुस गया. मुझे ऐसा लग रहा था कि किसी भट्टी में लंड पेला हो!

अगला झटका मारते ही मेरा लंड चूत की गहराई में जैसे किसी दीवार से टकराया। श्रद्धा अभी कसमसा रही थी। मैं उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर धीरे धीरे चोद रहा था।
जब वो दोबारा गर्म हुई तो कमर चूतड़ हिला-हिला कर मेरा साथ देने लगी। मैं पूरा दम लगाकर उसे चोदने लगा.
फिर कुछ देर बाद वो झड़ने लगी। अब मैं भी झड़ने लगा, मैंने अपना लंड बाहर खींच कर अपना माल उसकी चूत के ऊपर छोड़ दिया।
फिर मैं वापस उसके साथ लेट गया।

उस रात हमने कुल तीन बार चुदाई की।

यह थी मेरी मौसी की बेटी की चुदाई की सच्ची कहानी। आपको कैसी लगी, मुझे मेल करके बतायें, मुझे आपके प्यार का इंतज़ार रहेगा।