meri or ajay ki kahani • Kamukta Sex Stories

मेरी अजय को लेकर स्वीकार्यता

मेरा नाम पूर्णा है मैं कोलकाता की रहने वाली हूं, मेरे माता पिता काफी समय पहले ही एक दूसरे से अलग हो गए थे और वह दोनों एक दूसरे के साथ नहीं रहते। मैं कुछ समय अपने पिताजी के साथ रहती हूं और कुछ समय अपनी मम्मी के साथ रहती हूं, वह दोनों ही एक अच्छी जॉब पर है। उन दोनों का प्यार मुझे कभी नहीं मिल पाया और मैं दोनों के प्यार से वंचित रह गई, मेरी उम्र 24 वर्ष है। मैंने जब से होश संभाला है तब से ही मैंने अपने माता पिता को झगड़ा करते हुए देखा था, उसके बाद वह दोनों एक दूसरे से अलग हो गए, मुझे इस बात का बहुत ज्यादा दुख हुआ। कुछ समय तक तो मैं अपने मामा के साथ रही लेकिन जब मेरी मम्मी मुझे अपने साथ ले गई तो मेरे पिताजी को बहुत आपत्ति हुई और वह कहने लगे कुछ दिन के लिए पूर्णा मेरे पास भी रहेगी और उसके बाद उन दोनों ने फैसला लिया कि मैं हम दोनों के साथ ही रहूंगी।

मैं एक दो महीना अपनी मम्मी के पास रहती हूं और एक दो महीने अपने पिताजी के पास रहती हूं लेकिन उन दोनों से मैं कभी भी ज्यादा बात नहीं करती थी और ना ही उन दोनों को लेकर मैं ज्यादा सोचती थी, मुझे भी अब आदत सी हो चुकी थी। एक बार कॉलेज में मेरी मुलाकात अजय के साथ हुई, अजय हरियाणा का रहने वाला है। अजय से मेरी मुलाकात मेरी सहेली ने करवाई क्योंकि वह अजय को पहले से ही पहचानती थी। अजय हमारे कॉलेज से पीएचडी कर रहा था, वह एक बहुत ही अच्छा लड़का है। मेरी जब अजय के साथ मुलाकात हुई तो मैं पहले अजय को ज्यादा नहीं समझ पाई क्योंकि मेरी उससे उतनी ज्यादा बात नहीं हो पाई लेकिन जब अजय और मेरी बात होने लगी तो धीरे धीरे मुझे भी अजय के बारे में पता चलने लगा था। अजय के पिताजी गांव में ही खेती करते हैं, वह वह लोग अभी तक गांव से जुड़े हुए हैं। मैंने अजय से कहा कि मैं आज तक कभी भी गांव में नहीं गई हूं क्या तुम मुझे अपने गांव लेकर चल सकते हो, अजय मुझे कहने लगा अभी तो मुझे प्रोजेक्ट सबमिट करवाना है उसके कुछ समय बाद मैं फ्री हो पाऊंगा तब तुम्हे मेरे साथ मेरे गाँव चलना होगा तो तुम चल लेना।

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अजय और मैं जब भी कॉलेज की कैंटीन में बैठे होते है तो हम दोनों ही एक दूसरे को समझने की कोशिश करते हैं। अजय ने एक दिन मेरे माता पिता के बारे में पूछ लिया, मैं अजय को अपने माता पिता के बारे में नहीं बताना चाहती थी लेकिन उस दिन जब उसने मुझसे पूछा तो मैंने उसे बताया कि मेरे माता-पिता एक साथ नहीं रहते है, मैं कुछ दिन अपने पिताजी के साथ उनके घर पर रहती हूं और कुछ दिन मैं अपनी मम्मी के साथ रहती हूं। जब मैंने यह बात अजय को बताई तो अजय कहने लगा तुमने तो अपने जीवन में बहुत ही संघर्ष किया है फिर भी तुम बहुत खुश रहती हो। मैंने अजय कहा कि अब मुझे आदत सी पड़ चुकी है, मुझे अपने माता पिता के साथ बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता लेकिन मैं फिर भी उन दोनों के साथ रह रही हूं। जब मेरी जॉब लग जाएगी तो मैं उसके बाद अपने माता-पिता के साथ नहीं रहूंगी क्योकि जिस प्रकार से वह दोनों झगड़ते हैं और एक दूसरे से बात नहीं करते, मैं कभी भी नहीं चाहती कि मेरा जिसके साथ भी रिलेशन हो, मैं उसके साथ इस प्रकार से झगड़ा करूं। अजय ने उस दिन मेरा हाथ पकड़ लिया और जब अजय ने मेरा हाथ पकड़ा तो मुझे ऐसा लगा जैसे अजय अपने दिल की बात मुझसे कहना चाहता हो। मैंने उस दिन तो अजय के साथ ज्यादा बात नहीं की, मैंने अजय को कहा कि मैं अभी जा रही हूं क्योंकि मुझे कहीं जाना है, मैं कैंटीन से उठ कर चली गयी। अजय ने मुझे जब शाम को फोन किया तो अजय मुझसे कहने लगा तुमने मेरी बात का जवाब नहीं दिया, मैंने अजय से पूछा तुम्हारी कौन सी बात का मैंने जवाब नहीं दिया, अजय कहने लगा मैंने तुम्हें अपने दिल की बात कही लेकिन तुमने उस बात का कुछ भी जवाब नहीं दिया। मैंने अजय से कहा तुमने मुझसे कब अपने दिल की बात कही, अजय कहने लगा मैंने जब तुम्हारा आज हाथ पकड़ा तो क्या तुम्हें कुछ समझ नहीं आया। मैं जानबूझकर अनजान बन रही थी लेकिन अजय ने मुझसे मेरे दिल की बात निकलवा ही ली और मैंने भी अजय को प्रपोज कर दिया।

जब अगले दिन हम दोनों कॉलेज में मिले तो अजय बहुत खुश था, मैं भी उसके साथ बहुत खुश थी। कुछ दिन तक तो हम दोनों कैंटीन में ही मिलते रहे और हम दोनों ही एक दूसरे से फोन पर बात करते रहते थे। मैंने अब अपना पूरा मन बना लिया था कि मैं अजय के साथ ही अपना जीवन बिताऊंगी इसलिए मैंने इस बारे में अपने माता पिता को बता दिया था, उन दोनों को भी अजय से कोई भी आपत्ति नहीं थी। यह सब इतनी जल्दी में हुआ कि मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। अजय ने भी उस दौरान अपना प्रोजेक्ट सबमिट कर दिया था और अजय मुझे कहने लगा मैं कुछ दिनों के लिए गांव जा रहा हूं यदि तुम्हें मेरे साथ चलना हो तो तुम मेरे गांव चल सकती हो, अजय और मैं उसके गांव चले गये। अजय ने भी अपने घरवालों को मेरे बारे में सब कुछ बता दिया, उन लोगों ने भी मुझे स्वीकार कर लिया था और यह मेरे लिए बड़ी खुशी की बात थी, मैं भी उनको दिल से अपना मानने लगी थी। उन लोगों के बीच में जिस प्रकार का प्रेम था वह मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने अजय से कहा तुम लोग सब एक साथ में कितने अच्छे से रहते हो और एक मेरे माता-पिता है वह दोनों हमेशा ही झगड़ते रहते हैं।

एक दिन मैं बड़े ही मूड में थी उस दिन मैंने अजय से कहा आज मुझे तुमसे प्यार करने का मन हो रहा है। हम दोनों के बीच पहली बार ऐसी बात हुई थी। मैं अजय के घर पर ही थी और हम दोनों एक ही कमरे में थे। अजय ने मेरे हाथों को पकड़ा और कहने लगा यह सब शादी के बाद करते हैं। मैंने उसे कहा मुझे तो शादी तुम्हारे साथ ही करनी है और तुम्हारे साथ ही मुझे सेक्स करना है। अजय ने भी मेरे हाथों को पकड़ लिया और जब अजय ने मेरे होठों को किस किया तो मैं भी अपने आप को रोक नहीं पाई और अजय मेरे होठों को बड़े अच्छे से किस कर रहा था। मैंने अजय से कहा तुम मेरे होठों का बड़े अच्छे से रसपान कर रहे हो। मैंने जब अपने कपड़े खोले तो अजय भी अपने आप को नहीं रोक पाया वह भी तैयार हो चुका था। जब मैंने उसकी पैंट से उसके लंड को बाहर निकाला तो मैंने देखा उसका लंड बहुत ही मोटा और बड़ा है। मैंने भी उसके कड़क लंड को अपने मुंह में लिया। मैंने अपने जीवन में पहली बार किसी के लंड को अपने मुंह में लिया था और यह मेरा पहला अनुभव था। अजय ने मेरी योनि को चाटना शुरू कर दिया था और काफी देर तक वह मेरी योनि का रसपान करता रहा। जब मेरी योनि से पानी बाहर निकल रहा था तो अजय भी पूरे मूड में हो चुका था और उसने जब मेरी योनि में अपने लंड को लगाया तो मेरी चूत से पानी बाहर निकालने लगा। अजय ने धीरे धीरे मेरी चूत मे अपने लंड को डाल दिया और जैसे ही वह अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा मुझे बड़ा दर्द महसूस होने लगा लेकिन मुझे उस दर्द में भी अलग ही एहसास लग रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था अजय जिस प्रकार से मुझे धक्के मार रहा था। मुझे दर्द हो रहा था मैंने अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया मै अजय का पूरा साथ दे रही थी। हम दोनों ने काफी देर ऐसे ही संभोग किया उसके बाद मैंने कुछ नया ट्राई करने की सोची तो मेरे लिए यह पहला ही समय था मै अजय के ऊपर लेट गई मैंने उसके लंड को अपनी चूत के अंदर डाल दिया। वह मुझे बड़ी तेज गति से चोद रहा था और मेरी नरम और मुलायम योनि से पानी बाहर की तरफ बड़ी तेज गति से निकल रहा था। मैंने भी कुछ देर बाद अजय के लंड से अपनी चूतडो को मिलाना शुरू कर दिया मेरी भी इच्छा पूरी होने लगी। अजय ने मुझे तेज गति से झटके दिए और जैसे ही अजय का वीर्य मेरी नरम और मुलायम चूत के अंदर गया तो मुझे बहुत राहत महसूस हुई। हम दोनों एक दूसरे को पकड़कर लेट गए मैंने जब अपनी योनि को अजय के लंड से बाहर निकाला तो उसका वीर्य मेरी योनि से टपक रहा था।