शादीशुदा जोड़े की संतानोत्पत्ति में मदद की- 3 • Kamukta Sex Stories

शादीशुदा जोड़े की संतानोत्पत्ति में मदद की- 3

मिया बीबी की चुदाई कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरी सलाह से मेरे सामने एक जोड़े ने सेक्स करके बच्चा पैदा करने की कोशिश की. वे इसमें सफल भी हुए.

दोस्तो, मुझे उम्मीद है कि अब तक की इस गरम सेक्स कहानी के पिछले भागों
प्यासी भाभी को चुदाई का मजा दिया
में आप लोगों को कामवासना का भरपूर आनन्द आया होगा.

अब आगे मिया बीबी की चुदाई कहानी:

कयामत की रात में हर लम्हा बदल गया
पति ने दिया वीर्य अन्दर तक.
मानो औरत का अंग अंग खिल गया.

दोस्तो, ऐसे ही अलग अलग अंदाज में मैंने चुदायी का खेल खेल कर मीनू की चूत के अन्दर काफी जगह खोल दी थी.
इन छह दिनों में मैंने मीनू को हर पोज में चोदा था. उसकी चूत के जलवे मैंने हर जगह से निचोड़ दिए थे.

अब आज से चार दिन की रातें सिर्फ अंकित की थीं जिससे वो बाप बन सके.

मुझे उम्मीद थी कि अब अंकित का वीर्य शुक्राणु छोड़ने में समर्थ हो गया होगा जिससे मीनू मां बन सके.

आज मीनू हुस्न की परी लग रही थी क्योंकि आज उसके लिए पहली अति उत्तेजना भरी रात होने वाली थी.

मैं मधु के सर की मालिश करके बाहर टहलने चला गया और मीनू सजने संवरने में लग गई.
उसने आज काली साड़ी पहनी थी. उसने अन्दर लाल जालीदार पैंटी और ब्रा पहनी और नॉर्मल सा मेकअप करके तैयार हो गई.

आज उसका पेट सुबह से ही गुड़-गुड़ कर रहा था जिसकी वजह उसका मूड बहुत जल्दी जल्दी बदल रहा था.

अंकित का कॉल आया- कहां हो?
तो मैंने दस मिनट में आने को कहा.

करीब पांच मिनट बाद मैं घर के अन्दर पहुंच गया.
मीनू अब मुझसे खुलकर बात करने लगी थी- क्यों आज का क्या मूड है … बच्चा अंकित का … या तुम्हारा?
मैं- इरादा तो मेरा ही देने का है, बोलो तो आज कंडोम की पर्त हटा दूं.

ये कह कर मैं मुस्करा दिया.

अंकित- मीनू लगता है, अब तुम मुझमें दिलचस्पी खो चुकी हो.
मीनू- अच्छा तुम ही बताओ, किसका लेना चाहिए … जिससे बच्चा हेल्थ में दमदार हो.

अंकित- इसमें पूछने की क्या बात है, मेरा ही लेना चाहिए.
मीनू अंकित की मूछों पर उंगली फिराती हुई उसका आधा होंठ भींच कर बोली- लगता है मेरे पतिदेव का प्यार आ ही गया मुझ पर … चलो अब निराशा तो हाथ नहीं लगेगी.

ये बोलकर उसने अंकित के लंड पर हाथ फिरा दिया.

अंकित भी जोश में था. उसने ब्लाउज में हाथ फंसा कर चूचों को भींच कर कहा- साली, आज तेरा सारा चुदक्कड़पना मैं निकाल ही दूंगा.
मैं- चलो आज का काम, इस काम की देवी को चूमने से शुरू करो.

मेरे कहते ही अंकित मीनू पर टूट पड़ा और उसने, उसके होंठ आगे से भींच लिए.
मीनू भी अपने चूची को रगड़ रगड़ कर अंकित का साथ दे रही थी.

यह नजारा देख कर मैं भी उठा और पूरा नंगा हो गया.
मीनू की साड़ी के पीछे से उसकी गांड में लंड ऊपर से ही फंसा दिया और उसकी गर्दन को व कान के पास चूमते हुए उसकी नाभि पर थूक मलने लगा.

मीनू जोर की सिसकारी लेते हुए अंकित के बाल खींचने लगी और उसकी छाती पर दांत गड़ाने लगी.
मैं उसकी साड़ी की लपेट को खोलने लगा और अंकित ऊपर बटन को, जिससे ब्लाउज अलग हो जाए.

तब मैं नीचे बैठ गया. उधर अंकित का लंड अब कड़क होकर मीनू की टुण्डी पर मारने लगा.
वो गर्म होने लगी.
नीचे से मैं उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही कुरेद रहा था.

आज अंकित से रुका नहीं जा रहा था. वो कह रहा था कि अब लंड फंसा कर चोद लेने दे.

मैंने अंकित को लंड पर एक लगाने के लिए एक जैल दिया ताकि वो सब्र कर सके और वो तुरन्त ही झड़े नहीं.

इतने में मैंने मीनू को उठा कर पलंग पर गिरा लिया और वो मेरी गर्दन पकड़ कर मेरा सर अपने चूचों में भींच कर झूम गई.
मैं भी उसके ऊपर गिर पड़ा.

अब वो मेरे बाल पकड़ कर मेरा सर अपने चूचों में रगड़ने लगी.
मैंने भी दांत गड़ा कर उसकी ब्रा की स्ट्रिप को तान दिया, तो वह टूट गई.

उधर नीचे अंकित बुरी तरह से पैरों से चुम्मी लेते हुए ऊपर की ओर बढ़ रहा था.
वो चूत के दाने को अपनी दो उंगलियों से मींज भी रहा था.

ऊपर मैंने मीनू की एक चूची पर दांत गड़ा कर अपने होंठ भींच दिए और उसी समय नीचे जांघों पर अंकित ने चूत में नाक फंसा कर दांत गाड़ दिए.

मीनू दो तरफा हमले से एकदम से उचक पड़ी.
वो अपनी आंखों में आंसू लेकर घुटी सी आवाज से सांसें फुलाने लगी.

अंकित ने दांतों में पैंटी की स्ट्रिप को जकड़ा और नीचे की ओर तान कर निकालने लगा तो मीनू अपने आप गांड उठा कर उसकी मदद करने लगी.

मैंने पैंटी की जाली में उंगलियों को घुसा कर तान दिया, जिससे पैंटी बीच से फ़ट गई.
अब वो नीचे की ओर आराम से खिंची चली आ रही थी.

मीनू नग्न हो चुकी थी और पूरी हुस्न की मल्लिका सी लग रही थी.

उसका हुस्न गजब का ऐसा निखर रहा था मानो आज जन्नत की हूर धरती पर उतर आयी हो.

हो गया था भंग अंकित का ध्यान,
मानो उसके लंड की ये परछाई हो.

ये देख के अंकित से रुका नहीं गया और उसने मीनू को अपने जिस्म से इस तरह जकड़ लिया मानो एक ही जिस्म हों.

मीनू की चूत तपने लगी थी और मोती जैसी बूंदें उसके नर्म होंठों से चिपके हुए बाहर की ओर निकल रहे थे.

अब चुत पर चढ़ाई का वक़्त आ चुका था तो मैंने अंकित को इशारा दे दिया.
वो उचक कर नीचे आ गया और सैट होने लगा.

मीनू हल्की सी मुस्कान के साथ बोली- मेरी जान आज निचोड़ ले मेरे यार … निचोड़ दे … बहुत खुजली हो रही है.

मैंने मीनू के नीचे तकिया लगाया और मैं उसके सिर के नीचे घुटनों को टेक कर बैठ गया. मैंने घुटनों के ऊपर मीनू का सर रखवाया और अपना लंड उसके सर पर रख कर साइड से अपने हाथ निकाल कर उसकी गांड को सपोर्ट दे दिया.

ऊपर बेड पर अंकित खड़ा था. उसने मीनू की टांगों को पूरा तान कर ऊंचा कर दिया. इससे मीनू की चूत का छेद बिल्कुल आसमान की ओर था.

अंकित ने बीच से टांग निकाल कर एक कंधे पर और एक छाती पर टिकाई और लंड को चूत के मुहाने पर रख कर कुछ देर रगड़ा.
फिर जैसे ही मैंने जोर से भींच कर मीनू को जकड़ा, उधर अंकित ने एक शॉट में ही पूरा लंड उतार दिया.

मीनू अपने पति के लंड से ही खलबला गई और ऊपर को उठ कर पूरा साथ देने लगी.

अंकित घुटनों को हल्का मोड़ कर चूत में लंड चला रहा था और वो नीचे से गांड उचका कर उसकी मदद कर रही थी.
मैं झुक कर मीनू के चूचों को जीभ से लबलबा रहा था.

ऐसे ही करीब बीस झटकों में अंकित और मीनू थकने लगे तो मैंने अंकित को नीचे बैठने को कहा.

उसने टांगों को ढील दे दी और मैंने भी मीनू की गांड छोड़ दी.
मीनू ने लंबी सांस ली.

इतने में अंकित बेड के कोने में आ गया.
पीछे से मैंने मीनू को गोद में भरा और उसकी चूत को हवा में कर दिया.

सट की अवाज के साथ लंड चूत को चीरते हुए उसकी अन्दर तक झटके मारने लगा और मैं उसकी चूत पर मालिश सी देने लगा.

लगभग दस मिनट की अलग अलग पोज में चुदाई के बाद अंकित अब बहना चाहता था.
उसने मुझसे कहा- अब नहीं रुका जा रहा है.

मैंने मीनू के पैरों को सीधे करवाया और ऊपर की तरफ हल्के से तान कर बहने की रज़ा दे दी.
उसने गांड को इतनी जोर से चूत की तरफ मारा कि उसके पसीने से छिपड़ छिपड़ की आवाज आने लगी.
इस बार उसने अपने पूरी जान से लंड को चूत के भीतर निचोड़ दिया.

अब मेरा लंड भी भूकंप मचा रहा था पर उसकी चूत में से आज अंकित का माल देख कर मीनू की आंखों में खुशी के आंसू थे और वो उस माल को उंगली पर रख कर चिपचिपाने लगी और अंकित के गले से लिपट गयी.

दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह बेतहाशा चूम रहे थे.

मैं अपना लंड हाथ में लिए बस हिला रहा था.
इतने में अंकित की नजर मुझ पर पड़ी और वो आकर हाथ को हटाने लगा.

उसने मीनू को लंड चूसने के लिए कहा.
कुछ देर की मशक्कत के बाद मेरा लंड लाल हो गया और नसें फूल गईं.

फिर पिचकारी के साथ पूरा माल मीनू की बिखरी हुई लिपस्टिक और नाक पर फैल गया.

चुदाई के बाद हम सब नंगे ही एक साथ बाथरूम में नहाने आने लगे.
पर मैंने मीनू को बाथरूम में आने से मना कर दिया.

मैंने उसे एक घंटा आराम करने को कहा.
वो समझ गयी कि किसलिए कहा है. वो जाकर सो गई.

हम लोग फ्रेश होकर बेड पर आ गए!

अंकित- भाई मजा आ गया, इससे पहले में कभी इतना नहीं झड़ा … वाकयी में डाइट लेने का असर मुझे छह दिन में ही दिखने लगा.
मीनू- मुझे तो उम्मीद ही नहीं थी कि ये इतनी देर चोद भी पाएंगे या नहीं. पर आज मुझे बहुत अच्छा लगा और मुझे तो ये सब तेल का कमाल लग रह है.

मैं- नहीं, ये सब दिमाग का खेल है. अंकित शांत था क्योंकि उसे पता था कि तुम उसकी हो. पर ज्वाला जली, जब उसको लगा कि अब हक तुम पर किसी और का भी है.
अंकित- नहीं भाई, ऐसी कोई बात नहीं है. मुझमें आज अलग ही फुर्ती थी, मैं खुद नहीं समझ पा रहा था.

मीनू- मैं कब नहाने जाऊं?
मैं- और रुको आधा घंटा, फिर गर्म पानी से नहाना और अगले पांच दिन तक गर्म पानी से ही नहाना है.

मैं अब अन्तर्वासना पर कहानी पढ़ने लगा और तेल की मालिश लंड पर करके सोने लगा.

फिर मीनू नहाकर कब आयी और कब अंकित बीच में आकर लेट गया, मुझे नहीं पता.

मीनू साइड में लेट गई थी.

हम सुबह उठे तो मधु बाहर काम कर रही थी.

मधु- जीजा जी, आप सब एक साथ सो गए थे क्या?
अंकित- हां वो हम लोग रात को देर तक बात कर रहे थे, तो साथ में ही सो गए थे. तेरा दर्द अब कैसा है?

मधु- अब तक तो एक बार भी नहीं उठा और मुझे अब कमजोरी भी नहीं लग रही है. मैं ठीक हूँ.
अंकित- अच्छा है … ये तो सब ठीक हो रहा है.

ऐसे ही दस दिन मैं वहां और रुका. सुबह शाम मधु की मालिश और रात को अंकित और मीनू की चुदायी में मदद करता.

इन दस दिनों में अंकित और मीनू एक दूसरे से इतने करीब आ गए थे कि अब ना अंकित और ना ही मीनू, किसी और के बारे में सोचते थे.
उनके बदलते रिश्तों में प्यार देख कर मुझे बहुत खुशी थी.

पर अंकित और मीनू चाहते थे कि अब हम तीन इस रिश्ते को बना कर रखें. जब जिसका मन करे, वो दिल की बात एक दूसरे को बताएं.

दस दिन और रुकने के बाद मैं वहां से चला आया.

चार दिन बाद मीनू को महावारी आनी थी, पर अगले आठ दिनों तक भी महावारी नहीं आयी मतलब अब अंकित का बच्चा मीनू की कोख में रुक चुका था.
वो दोनों बेहद खुश थे.
उन्होंने फोन करके खुशी जाहिर की.

मैं उनको बताता रहता था कि मीनू को सारी केयर कैसे करनी है.
वो दोनों उसी तरह करते थे.

अब मधु का दर्द ठीक हो चुका था और वो पढ़ने के लिए दिल्ली जा चुकी थी.

नौ महीने बाद मीनू को लड़का हुआ, जिसका उन्होंने मुझे खुल कर धन्यवाद किया और हमने फिर मिलने का प्लान बनाया

इस बार हम दोनों ने मीनू की चूत में जमकर मक्खन भरा, पर सब सावधानी और गोपनीयता को रखते हुए हुआ.

उम्मीद है सभी पाठकों को मेरी यादों के ये रसीले पल पसंद आए होंगे. आप लोगों ने इसे कैसे महसूस किया, इसके लिए कमेंट करें.

मेरे साथ रोमांच में जुड़े रहने का आपका बहुत आभार. आपका आगे भी प्यार मिला, तो अगले यादगार पलों को आपके समक्ष रखूंगा.

आपने मेरी मिया बीबी की चुदाई कहानी को कैसे महसूस किया, मुझे मेल या किसी पर भी मैसेज करके जरूर बताएं, मैं कोशिश करूंगा कि आप सभी के सवालों को अपने जवाबों से संतुष्ट कर सकूँ.
[email protected]
इसी से हैंगआउट पर भी सम्पर्क कर सकते हैं.