प्रीति ने बेशरमी के साथ ही तड़पते हुए कहा- ठीक है मेरे राजा मीठानंद.. पर अब तुम देर मत करो. जल्दी से मेरी चूत की तड़प को बुझा दो. आओ मेरे मीठे मीठानंद मेरे जिस्म की प्यास को बुझा दो.
यह सुनकर मीठानंद प्रीति के ऊपर चढ़ गए. जी भरकर प्रीति के होंठों को चूसा. उसकी ब्रा खोली और मम्मों को अपने मुँह में भर लिया. मम्मे चूसते चूसते मीठानंद दांतों से हल्का हल्का दबा भी रहे थे. प्रीति सिसकने के साथ ही आहें भी भर रही थी. मीठानंद अपने होंठों को प्रीति के नंगे बदन पर तेजी से फिराने लगे. प्रीति को नाभि पर आते ही जोर जोर से चूसने लगे. प्रीति की सिसकारियां बढ़ गईं. मीठानंद ने प्रीति की पैंटी को एक झटके में खोल दिया और उसकी मस्त और चिकनी बिना बालों की चूत पर अपने होंठों को रख दिया. मीठानंद ने तब तक चूत को चूसना जारी रखा, जब तक चूत में से पानी नहीं निकल गया.
मीठानंद का लौड़ा फिर अपने पूरे शवाब पर था. प्रीति ने अपनी टांगें फैला दीं, जिससे उसकी गीली चूत और फैल गई. मीठानंद अब समझ गए कि प्रीति की चूत में खुजली बढ़ गई है, जिसे उनका लौड़ा ही बुझा सकता है. मीठानंद फिर से प्रीति के ऊपर आ गए. अपना लौड़ा प्रीति की चूत पर सैट किया और एक ही झटके में पूरा का पूरा लौड़ा प्रीति की चूत में घुसा दिया. प्रीति की हल्की सी चीख निकली.
अब मीठानंद धीमी रफ्तार में चोदते हुए नीचे झुके और प्रीति के मम्मों को चूसने लगे. प्रीति अपने हाथ मीठानंद के नंगे बदन पर घुमाने लगी. मीठानंद ने प्रीति के रसीले लाल होंठों के बीच जीभ डाल दी. प्रीति जीभ को चूसने लगी. कुछ देर इसी तरह चुदाई चलती रही. मीठानंद धीरे से उठे और प्रीति की कमर को अपने हाथों से पकड़कर धक्कों की रफ़्तार तेज कर दी. प्रीति का पूरा बदन हिलने लगा. कमरे में भी फच फच की आवाज आने लगी. प्रीति दो बार झड़ चुकी थी. कुछ देर तक मीठानंद प्रीति को चोदते रहे और तेजी से एक दो धक्के मारकर अपना सारा माल प्रीति की चूत में डाल दिया. गर्म रस की फुहारों से प्रीति की चूत गीली हो गई. मीठानंद ठंडे पड़ गए और प्रीति के ऊपर लेट गये. प्रीति ने खुशी से उनका चेहरा चूम लिया.
कुछ देर दोनों ऐसे ही लेटे रहे. मीठानंद उठते हुए बोले- क्यों प्रीति, मजा आया या नहीं इस बूढ़े से चुदाई करवा कर?
प्रीति बोली- मीठानंद, आपने तो कमाल की चुदाई की है. मेरा अंग अंग खुश हो गया है. जी करता है कि बस आपसे चुदवाती ही रहूं. पर रात काफी हो गई है. अब मैं चलती हूँ. कल मिलती हूँ आपसे.
यह कहकर प्रीति ने प्यारा सा चुंबन मीठानंद को दिया और अपने कमरे में चली गई.