ऑफिस वाली भाभी की चुदासी चुत • Kamukta Sex Stories

ऑफिस वाली भाभी की चुदासी चुत

दोस्तो, मैं सोनू उर्फ़ सैंडी, गुजरात के सोमनाथ से हूँ. मेरी हाइट 5 फुट 7 इंच है और लंड का साइज 8 इंच है. मेरी बॉडी सिंगल है.

इस साईट पे यह मेरी तीसरी सेक्स कहानी है, अगर कहानी में कोई गलती हो जाए, तो प्लीज़ नजरअन्दाज कर दीजिएगा और अपने विचार जरूर भेजिएगा.
मेरी पिछली कहानी थी
ऑफिस की चुदक्कड़ देसी गर्ल की चूत चुदाई

मैं आप सबको बता दूँ कि यह कहानी कोई गप्प नहीं है, ये मैं खुद का ही अनुभव लिख रहा हूँ. मैंने आज तक तीन लड़कियों और चार औरतों को चोदा है. जबकि मैं अभी तक सिंगल हूँ. मेरे उन्हीं अनुभवों में से ही एक अनुभव को आज मैं सेक्स कहानी के रूप में लिख रहा हूँ.

यह घटना आज से 2 साल पुरानी है जब मैं अपने गांव से दूर जॉब कर रहा था. मैं उधर एक रूम पीजी पर किराये पर ले कर अपना काम चला रहा था. अकेला था सो अपने हाथ से अपने लौड़े को हिला कर पानी निकाल लेता था.

मेरे साथ जॉब करने के लिए एक भाभी ने भी अप्लाई किया होगा, तो उनकी जॉब भी मेरे साथ ही लग गई. भाभी जी नई नई जॉब में लगी थीं. शुरूआत में तो सब ठीक था, पर पता नहीं वो मेरी ओर और मैं उसकी और धीरे धीरे आकर्षित होने लगा. मुझे उसका फिगर बहुत अच्छा लगने लगा और उसको मेरा. उसके व्यवहार से मुझे अब लगने लगा कि वो मुझसे चुदवाने के मूड में आ गई थी, परंतु हम दोनों में से कोई भी अपनी ओर से पहल नहीं कर रहा था.

एक दिन आफिस में कुछ ज्यादा काम की वजह से हम दोनों को घर जाने में देर हो गई. मैंने उसे उसको घर पर छोड़ने के लिए बोला, तो वो मान गई. मेरे पास एक कार थी, सो मैं उसको अपनी कार में लेकर उसके घर पहुंचा.

उसे घर के बाहर ही छोड़ कर मैं जाने ही वाला था कि उसने मुझे रोकते हुए कहा कि अन्दर नहीं आओगे?
मैंने बोला- नहीं … आज देर हो गई है.
उसने बोला- अन्दर मेरे हस्बैंड नहीं हैं, वो कुछ दिनों के लिए बाहर गए हुए हैं. तुम आ जाओ, मुझे कोई दिक्कत नहीं है.

मैं उसके ऑफर को सुन कर पहले तो दंग रह गया … बाद में यह सोच कर कि हाथ लगी मुर्गी को ऐसे कैसे चला जाने दूँ … और बस उसके साथ अन्दर चला गया.

अब देखिए … उसकी एक बात से ही दोनों तरफ की फिल्म क्लियर हो गई थी. मैं पहले अन्दर आने को मना कर रहा था. मगर जब उसने पति के न होने का कहा तो मैं मान गया. मतलब मुझे उसका अकेला होना पसंद आ गया था. दूसरी तरफ उसने भी मुझे पति के न होने का कह कर मुझे अन्दर बुलाया, मतलब वो भी मुझे अकेले में मिलना चाहती थी. इस तरह से आधी से ज्यादा बात तो यहीं साफ़ हो गई थी.

खैर … मैं अन्दर घुस गया. अन्दर से देखा तो उसका घर बहुत अच्छी तरह से सजा हुआ था. उसने काफी मेहनत की होगी सजाने में. मैंने उसके घर की तारीफ़ की, तो उसने मेरी तारीफ़ से मुस्कुराकर ही जवाब में धन्यवाद दिया.
वो बोली- बैठो … क्या लोगे … चाय या कॉफ़ी?
मैं उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दिया.

उसने भी होंठों पर कटीली मुस्कान लाते हुए फिर कहा- हंस क्यों रहे हो … बताओ न क्या लोगे?
मैंने भी कह दिया- जो चाहे पिला दो?
वो आंखें झुका कर हंसते हुए ये कहते हुए अन्दर जाने लगी कि मैं चाय लाती हूँ.

वो थोड़ी देर में चाय बनाकर लायी और हम दोनों ने चाय पी. थोड़ी देर उधर इधर की बात के बाद में सीधे पॉइंट पे आना चाहता था. मैंने पूछ लिया कि पति के बिना रात को अकेले कैसे रह लेती हो?

मेरा आशय था कि अकेली औरत होने के कारण डर तो नहीं लगता, मगर जब आधी से ज्यादा फिल्म बन चुकी हो तब इसका मतलब भी दूसरा निकलता है.
मेरी बात पर वो बोली कि इसके अलावा कोई उपाय भी तो नहीं है.

अब मैंने जरा सी हवा देते हुए कहा- मैं कुछ मदद कर सकता हूँ आपकी?
वो भी इस आग में फूंक मारते हुए बोली- जैसी आपकी इच्छा … परंतु आपको तो देर हो रही थी न!

अब मैंने खुलना ही ठीक समझा, मैं बोला- जब भला ऐसी बला सामने हो तो देरी का क्या अचार डालना … फ़िक्र किस बात की.
मैंने झट से अपना फ़ोन उठाया और अपने पीजी वाली आंटी को बोल दिया कि आज रात दोस्तों के साथ रुकने वाला हूँ, सो आप मेरी राह न देखना.
आंटी ने हामी भर दी.

उसने मेरे फोन को सुना तो वो खिल उठी. मैंने भी अपने लंड पर हाथ फेर कर उसे देखा और कहा- अब ठीक है?
उसकी निगाह मेरे लंड पर गई और उसने मेरे पास आकर मेरे कान में सरगोशी से बोला कि तुम थोड़ी देर बैठो … मैं अभी आती हूँ.

उसके इस अंदाज से मेरे लंड में मानो आग सी लग गई. मेरे कान पर उसकी गरम सांसें मुझे भड़का गई थीं.

वो झट से अन्दर गई और एक ब्लू कलर की झीनी सी नाइटी पहन कर आ गई. उसकी इस नाइटी के अन्दर का सारा सिनेमा दिख रहा था. वो इठलाते हुए मेरे करीब आई … और आते ही मेरी गोद में बैठ गई. मैंने भी देर न करते हुए उसके बूब्स दबाने चालू कर दिए.

पहले मैंने उसके मम्मों को धीरे धीरे सहलाया और उसके बाद जोर जोर से दबाना चालू किया. उसने मेरी तरफ घूम कर मेरे होंठों को अपने होंठों में ले लिया और चूसने लगी. उसकी हरकतों को देख कर मुझे समझ आ गया कि साली एक नंबर की चुदासी है. हम दोनों चूमा चाटी में लगे रहे और अपनी उत्तेजना को चुदाई की हद तक ले आए.

उसने मेरे एक एक करके सारे कपड़े उतार दिए, तो मैं भला कैसे पीछे रहता मैंने भी उसकी नाइटी उतार कर फेंक दी. उसने अन्दर कुछ भी नहीं पहना था. अब हम दोनों एकदम नंगे एक दूसरे की बांहों में थे. उसने मेरा आधा खड़ा हुआ हथियार अपने हाथ में लिया और धीरे धीरे सहलाने लगी. मैं भी उसकी चुत को अपनी उंगलियों से सहलाने लगा.

वो अति उत्तेजित होने लगी थी, उसने नीचे बैठते हुए मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया.

वाह क्या मस्त मजा था … उसके मुँह में लंड लेने से मेरी तो बांछें खिल गई थीं. दोस्तों जब लड़की लंड चूसती है ना … तो इसका मजा ही कुछ और ही होता है. चूत में तो लंड को अन्दर खुद मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन मुँह में लंड की सेवा, लड़की की जुबान करती है … आह … कैसी लपर लपर करके लंड को चारों तरफ से सहलाते हुए मजा देती है … इस मजा को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है. कभी लंड चुसवा कर देखिएगा, फिर समझ आ जाएगा.

उसने धीरे धीरे मस्ती से चूस कर मेरे लंड को लोहे की रॉड जैसा कर दिया. इसके बाद उसने लंड मुँह से निकाला और किसी कामुक रंडी की तरह मेरी तरफ अपनी नशीली आँखों से देख कर अपनी चूत पर खुद का हाथ फेरा.

मुझे समझ आ गया. अब बारी मेरी थी. मैंने उसको सीधा करके लिटाया और उसकी चूत को अपनी जीभ से चीरने लगा. अपनी चूत में मेरी नुकीली और खुरदुरी जीभ का अहसास पाते ही वो उछलने लगी. मैंने उसके दाने को अपने होंठों से पकड़ कर खींचा तो समझो बिलबिला उठी. वो अब मेरी इस हरकत से और ज्यादा तड़पने लगी. बस दो ही मिनट में उसकी चूत में आग बरसने लगी.

वो अब बड़बड़ाने लगी कि जल्दी करो प्लीज़ … अब डाल भी दो.

मैंने कंडोम की कमी का अहसास दिलाया तो उसने अपने गद्दे के नीचे इशारा किया. मैंने हाथ डाला तो कंडोम का पैकेट मिल गया. मैंने जल्दी से पैकेट फाड़ा और अपने लौड़े पर कंडोम लगाके कवर चढ़ा दिया. इसके बाद सुपारे को उसकी चुत पे सैट कर दिया. उसकी तरफ देखते हुए मैं धीरे धीरे लंड को चूत के अन्दर करने लगा. वो भी अपनी गांड उठा कर मेरा लंड एक बार में ही पूरा अन्दर लेने के लिए मचल रही थी. मैंने भी देर न करते हुए पूरा का पूरा लंड अन्दर पेल दिया. मेरे लंड घुसने के साथ ही उसकी एक मीठी सी आह निकली और दो पल में ही उसकी चूत ने मेरे लंड को लील लिया और फांकों से चबाते हुए लंड से लड़ने लगी.

उसकी मस्त आँखों को देख कर मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी. दस मिनट के बाद मैंने पोजीशन चेंज की और उसको मैंने अपने लंड के ऊपर ले लिया.

अब वो और ज्यादा जोश में आ गई थी. वो अपनी चूचियों को उछालते हुए लंड पर कूदने लगी थी. साथ ही वो अपने मुँह से अलग अलग तरह की आवाजें निकाल रही थी और चुदाई का पूरा मजा ले रही थी. उसे देख कर मैं भी उसकी हिलती चूचियों को दबोच कर मसलता हुआ, पूरा मजा ले रहा था.

मैं इस बात से बड़ा संतुष्ट था कि वो मेरे लंड से मजे ले रही है.

दोस्तो, एक बात कहना चाहता हूँ कि जब तक चुदाई में लड़की खुल कर मजा न ले, तब तक चुदाई अधूरी ही रहती है.

खैर … 15 मिनट की धकापेल चुदाई के बाद वो झड़ गई और मेरे सीने पर गिर गई.

मैंने उसको अपने ऊपर से कुछ इस तरह से नीचे लिया कि मेरा लंड उसकी चूत में फंसा रहा. उसके ऊपर मैंने फिर से ताल ठोकना शुरू हो कर दिया. वो भी फिर से जाग गई … और लगभग 10 मिनट की गरम लड़ाई में हम दोनों एक साथ झड़ गए.

मैं कुछ देर यूं ही उसके ऊपर लदा रहा, फिर हट कर कंडोम निकाल के साफ करने के लिए बाथरूम में गया. वापस आकर उसके पास लेट गया और आराम करने लगा.

वो भी बाथरूम से आके रसोई में चली गई. वो दूध ले आई थी. हम दोनों ने एक ही गिलास दूध पिया.

इसके बाद हम दोनों ने फिर से एक राउंड लिया और फिर खाना खाया.

वो पहली चुदाई से लेके पूरी रात और सुबह तक नंगी ही रही और मैं भी यूं ही नंगा बना रहा. हम दोनों ने उस रात में पूरे 5 राउंड लिए थे और चुदाई का पूरा मजा लिया था.

उसने बाद में बताया कि उसका पति चुदाई में इतना लंबा नहीं टिक पाता है उसे कभी बीवी के झड़ने की परवाह नहीं रहती.
यह सुन कर मुझे अच्छा लगा कि मैं उसकी आशा पर खरा उतरा.

इस हिंदी सेक्स कहानी की रसीली घटना पर अपने विचार प्लीज भेजना न भूलें.