padosan ladki ko ghar pe choda • Kamukta Sex Stories

पड़ोसन लड़की को पढ़ाई बहाने के घर बुला कर चोदा

padosan ladki ko ghar pe choda दोस्तो, मैं हरियाणा के पानीपत जिले से समीर (20 वर्ष), मैं आपको बता दूँ कि मैं 6 फ़ुट का एक भरे हुए एक गठीले जिस्म तथा मस्त 7 इंच लम्बे व 3 इंच मोटे लंड का मालिक हूँ.

हमारे पड़ोस में महक नाम की एक लड़की रहती थी. मेरी पड़ोसन महक एक 19 वर्ष की बहुत ही खूबसूरत लड़की है, उसका फ़िगर 30-28-32 का है. गोरा रंग, नीली आँखें.. बस जो भी उसे देखे, देखता ही रह जाए.

यह बात आज से कुछ समय पूर्व की है, जब मैं बारहवीं कक्षा में था और महक ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ रही थी. मेरा बारहवीं कक्षा का परिणाम बहुत ही अच्छा आया था. हमारी जून महीने में एक महीने की छुट्टियां थीं. मेरी माँ ओर मेरी बहनें मेरे मामा जी के यहाँ गई थीं और मेरे पिता जी ज्यादातर काम के सिलसिले में घर से बाहर ही रहते थे. पिताजी महीने में एकाध बार ही घर आ पाते थे. अब मैं घर में अकेला था.

एक शाम को जब मैं बाहर निकला तो सड़क पर मुझे महक मिली. मैंने उसे हाय बोला तो उसकी मुस्कराहट से पता चला कि वह मेरे घर ही आ रही थी. इस समय वो बहुत ही मस्त माल लग रही थी. उसने उस समय ब्लैक कलर की जींस व ब्लू कलर का टॉप पहना था. वह सच में बहुत ही सेक्सी लग रही थी. मैं उसे लगातार देखे जा रहा था और अपनी सुध बुध खो बैठा था.

तभी वह मेरे पास आई और बोली- मुझे गणित के कुछ सवाल समझ नहीं आ रहे हैं.. क्या आप मुझे समझा सकते हैं.
मैं इस वक्त घर में अकेला था तो मैंने उसे अपने घर बुला लिया.
उसने मना कर दिया और कहा कि तुम मेरे घर पर आ जाओ.
मैंने पूछा- ओके कब आऊं?
उसने कहा- जब भी तुम्हें वक्त हो.
मैं उस समय भी खाली था, तो मैंने पूछा- अभी आ जाऊं?
उसने कहा- हां आ जाओ.

मैं उसी के साथ चला गया, वहाँ गया तो देखा कि उसकी दो बुआ व उनके बच्चे आए हुए थे. मैं उसे पढ़ाने बैठा तो बच्चे काफी शोर कर रहे थे, जिस वजह से पढ़ाई नहीं हो पा रही थी.

मैं वहां से उठकर जाने लगा, तभी उसकी माँ ने महक से कहा कि यदि तुझे पढ़ना है तो तू समीर के घर पर चली जा.

उसका घर मेरे घर के पड़ोस में ही है, तो उसने अपनी माँ से कहा कि ठीक है.. और मुझसे बोली- तुम चलो, मैं अभी कुछ काम करके आती हूँ.
मैंने घर आते समय चौराहे की दुकान से एक पेप्सी की बोतल और खाने के लिए चिप्स ले आया क्योंकि मुझे पता था कि उसे पेप्सी बहुत पसन्द है.

कुछ देर बाद वह आई और बोली कि घर के सभी लोग कहां गए हैं?
मैंने बताया, फ़िर मैंने उसे पेप्सी ऑफ़र की, तो उसने पहले तो बनावटी सा ना किया. फ़िर एक बार दोबारा कहने से उसने एक ग्लास उठाया और कुछ चिप्स ले लिए. कुछ देर इधर उधर की बातों के बाद मैं उससे सटकर बैठ गया और उसे गणित समझाना शुरू किया. कुछ सवाल समझ कर वह चली गई और अगले दिन फ़िर आने के लिए कहकर गई.

ऐसे ही तीन दिन चलता रहा. वह सुबह शाम दोनों समय मेरे घर आने लगी. हम दोनों पूरी तरह खुल चुके थे. चौथे दिन वह आई तो बात करते वक्त मैंने अपना हाथ अचानक उसके कंधे पर रख दिया, उसने कुछ प्रतिक्रिया नहीं की. मैं अन्दर से डर भी रहा था और खुश भी हो रहा था. धीरे-धीरे हाथ उसके कंधे पर से कमर तक ले गया.

अब भी उसने कुछ विरोध नहीं किया बल्कि मेरा दूसरा हाथ अपने हाथ में ले लिया. फिर उसने दोनों हाथों से मेरे उस हाथ को पकड़ लिया. मेरी भी हिम्मत अब तक बढ़ चुकी थी. उसकी साँसें तेज होने लगीं, हम दोनों ही मदहोश होने लगे. पर तभी उसने अपने आपको सम्भाला और दूर हो गई.

मैं भी दूर हो गया, मैं कोई भी जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. फ़िर मैं उसे पढ़ाने लगा. कुछ देर बाद वह चली गई और जाते हुए उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कराहट थी. उसके जाने के बाद मैं दो बार उसके नाम की मुठ मार चुका था और तब भी अपने आपको शान्त नहीं कर पा रहा था. फ़िर मैंने एक बार और मुठ मारी और बहुत मुश्किल से खुद को शान्त कर पाया.

शाम को वो दोबारा आई, अब तक मैं ये तो समझ ही चुका था कि उसे भी ये पसन्द है. उसके आते ही मैंने दरवाजा बन्द किया और एक हाथ से उसका हाथ पकड़ कर दूसरा हाथ उसकी कमर पर रखा और उसके गाल पर एक किस कर दिया. उसने भी मुझे मना नहीं किया तो मैंने उसे खींच कर अपने सीने से लगा लिया. उसने भी अपनी बांहों में मुझे लपेट लिया.

मैं उसे चूमता हुआ अपने कमरे में लेकर गया और उसे बिस्तर पर लिटा कर पागलों की तरह चूमने लगा. मैं कभी उसके माथे पर चूमता, कभी होंठों पर.. कभी गालों पर.. कभी छाती पर.. कभी गर्दन पर चूमता रहा.

वो भी अब तक गर्म हो चुकी थी. अब मैंने अपने दोनों हाथ उसके मम्मों पर रखे और उसके मस्त चूचे दबाने लगा. उसके मुँह से भी ‘उउहहह आहहह..’ की आवाजें निकल रही थीं.

तभी अचानक मेरा मोबाइल बजा, किसी अन्जान नम्बर से काल आई थी. फ़ोन उठाने पर पता चला कि महक की माँ का फ़ोन था.
मैंने महक से उनकी बात करवा दी. महक ने भी कह दिया कि आज देर हो जाएगी.

मेरे गाँव में मेरी छवि एक सीधे लड़के की एकदम साफ़ थी. आज से पहले मैंने गाँव की किसी भी लड़की को इस नजर से नहीं देखा था. उसकी माँ मुझसे बोली कि रात को पढ़ने के बाद माही को घर छोड़ देना.
महक का घर का नाम माही था.

मैंने ओके कहा और फ़ोन काट दिया. हम लोग फ़िर से शुरू हो गए. अब मैं अपने एक हाथ से उसकी गांड और दूसरे हाथ से उसके मम्मों को सहला रहा था. उसके मुँह से लगातार ‘उउउहहह आहहह ईइइ..’ की आवाजें निकल रही थीं. मैंने अपना एक हाथ उसकी टी-शर्ट के अन्दर डाला और उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मों को दबाने लगा. उसने भी मेरा भरपूर साथ दिया और ऐसे इजहार किया जैसे वो अपने कपड़ों से मुक्ति पाना चाहती हो. मैं उसकी टी-शर्ट उतारने लगा, पहले तो वह शर्मा रही थी, पर थोड़ा कहने के बाद मान गई.

मैंने उसकी टी-शर्ट उतारी और ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मों को चूसने लगा. साथ ही अपने हाथों से जींस के ऊपर से ही उसकी गांड और चूत को सहलाने लगा. अब मैंने एक हाथ से उसकी जींस का बटन खोला और उसे ढीला कर दिया. फिर पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा. उसकी पैन्टी उसके काम रस से पूरी तरह भीग चुकी थी. मैंने उसकी जींस को उतार कर साइड में फेंक दिया और पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत चाटने लगा.

मैं अपने जीवन में पहली बार किसी का कामरस चाट रहा था, उसके कामरस से एक मीठी सी खुशबू आ रही थी, जो मुझे और पागल कर रही थी.

अब उसने मेरे भी कपड़े उतारने शुरू कर दिए. मैं नॉर्मली घर में पजामा व टी-शर्ट ही पहनता हूँ. उसने मेरा पजामा व टी-शर्ट उतार दिया और अन्डरवियर के अन्दर हाथ घुसाकर लंड को सहलाने लगी. मेरा लंड रॉड की तरह टाईट और गर्म हो चुका था.

अब मैंने अपना अन्डरवियर उतारा और अपने लंड को आजाद कर दिया. मेरा लंड गुस्से में आए हुए किसी सांप की तरह फुंफकार रहा था.

मैंने उसकी पैंटी व ब्रा भी उतार दी थी. वो मेरे लंड को अपने हाथ से सहला रही थी और उसको बड़े प्यार से देख रही थी. मैंने उससे लंड मुँह में लेने को कहा, वो कहने लगी कि पहले ऐसा कभी नहीं किया है.
मेरे समझाने पर उसने लंड मुँह में लिया और जल्द ही वो मेरे लंड को किसी कुल्फी की तरह चूसने लगी.

लंड चूसे जाने से मैं तो जैसे जन्नत में ही पहुँच गया था. अब मैंने उसके मुँह से लंड निकाला और उसको चुदाई की पोजीशन में लिटा दिया.

उसने भी अपनी चूत खोल दी. शायद उसकी चुदास भड़क उठी थी और वो आज अपना सर्वश्व लुटाने को तैयार थी. मैंने उसकी गुलाबी चूत के छेद पर लंड का सुपारा रखा और एक जोरदार धक्का लगा दिया. लेकिन चूत का छेद छोटा होने की वजह से लंड फ़िसल गया.

मैंने फ़िर कोशिश की लेकिन लंड अन्दर नहीं जा पाया. माही हंसने लगी, मैंने उससे कहा- हंस मत पगली, गुस्सा आ जाएगा.
वो बोली- तुम अनाड़ी हो तो किसी से पूछ लो.

उसकी बात सुनकर मैंने अपने एक दोस्त को फ़ोन किया, उसको चुदाई का काफी अनुभव है. मैंने उससे जानकारी की तो उसने कहा कि वैसलीन लगा ले.

मैंने झट से अपनी ड्रेसिंग टेबल से वैसलीन की डिब्बी उठाई और और उसकी चूत और मेरे लंड पर बहुत सी वैसलीन लगा दी. इसके बाद मैंने उसकी चूत पर लंड रखा और उसको भी लंड पकड़ कर रखने को कहा.

वो भी लंड लेने के लिए मरी जा रही थी, सो उसने भी अपनी चुत को फैला कर लंड पकड़ लिया.
हम दोनों ने एक दूसरे की आँखों में देखा और धक्का देने की सहमति हो गई. मैंने एक जोरदार धक्का लगा दिया. अब की बार लंड फ़क की आवज के साथ डेढ इंच अन्दर चला गया.

लंड घुसते ही उसके मुँह से एक जोरदार चीख निकली और वह बिन पानी की मछली की तरह तड़फ़ने लगी, उसकी आँखों में आंसू आने लगे. वो छटपटाहट से भरी आवाज में गिड़गिड़ाने लगी- उई माँ मर गई मेरी फट गई.. आह.. प्लीज़ छोड़ दो मुझे.. मैं मर जाऊंगी.

लेकिन मैं हवस में अंधा हो चुका था. मैंने उसकी एक ना सुनी और लंड फंसाए कुछ देर रुका रहा उसको चूमता और सहलाता रहा.

उसके शान्त होने पर मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया. इस बार आधा लंड अन्दर हो गया. उसकी चूत से खून निकलने लगा. वो बुक्का फाड़ कर रोने लगी. मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह धर दिया और उसको चुप कर दिया. उसके हाथ पाँव अब भी मुझे दूर करने के लिए पूरी कोशिश कर रहे थे. मैं उसको किसी तरह सम्भाले हुए बस यूं ही कुछ देर तक शान्त रहा.

फ़िर दो मिनट बाद वो कुछ शान्त हुई और मैंने अपने आधे घुसे लंड को ही उसकी चुत में अन्दर बाहर करना शुरू किया. धीरे-धीरे लंड ने जगह बना ली और उसे भी मजा आने लगा. अगले दो मिनट बाद उसके मुँह से फ़िर से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाजें निकलने लगीं. मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया और उसके मुँह को दबाया ताकि चिल्ला न दे, लेकिन इस बार उसे इतना दर्द नहीं हुआ, जितना पहले हुआ था. अब वो अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी.

इस तरह करीब मैंने दस मिनट तक उसकी चूत चुदाई की. वो अब मस्त हो चुकी थी और लंड के स्वाद से अपनी चुत को मजा दिला रही थी. इसके बाद मैंने उसे सोफ़ा पर लिटा लिया और उसकी टांगें अपने कन्धों पर रख कर कुछ मिनट तक उसे धकापेल चोदा और उसके अन्दर ही झड़ गया. अब तक वो भी दो बार झड़ चुकी थी.

पहली चुदाई के बाद हम दोनों काफी थक गए थे इसलिए कुछ देर यूं ही शिथिल पड़े रहे. कुछ देर बाद फिर से चुदाई का बवंडर उठा और फिर से चुत को लंड की तलब लगी.

इस तरह उस दिन मैंने उसे तीन बार चोदा ओर फ़िर वो जाने के लिए कहने लगी. लेकिन उससे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था. मुझे उसको उसके घर छोड़ने भी जाना था तो मैंने बाहर जाकर देखा तो सुनसान हो गया था. फिर मैंने पास वाले मेडीकल स्टोर से एक गर्भनिरोधक और दर्दनिरोधक गोली लाकर दी. कुछ देर बाद मैं उसे सहारा देकर उसके घर छोड़ कर आया.

इसके बाद एक महीना लगातार चुदाई का खेल चला. इसी दौरान मैंने उसकी गांड भी मारी. आपको माही की गांड चुदाई की कहानी में अगले सेक्स स्टोरी में बताऊंगा

दोस्तो, इस चुदाई की कहानी में सभी नाम कल्पनिक हैं, लेकिन कहानी असली है.