पैसों के लिए चुदी • Kamukta Sex Stories

पैसों के लिए चुदी

नमस्कार दोस्तों मै रमेश आज आपके सामने अपनी एक कहानी प्रस्तुत करने जा रहा हूं। सबसे पहले मै आप लोगों को अपने बारे में बता देता हूं। मेरा नाम रमेश है, मै मध्यप्रदेश का रहनेवाला हूं। मेरी उम्र ३७ साल है, मेरी शादी हो चुकी है, और मेरे दो बच्चे भी है। मेरी बीवी का नाम सुरभि है, और उसके साथ मेरा जीवन सुखद चल रहा है। हम दोनों ही अपने जीवन मे खुश है। इस कहानी में पढिए, कैसे मेरे पडोस वाली एक लडकी ने पैसों के लिए मुझसे अपने शारीरिक संबंध बनाए। उसे पैसों की जरूरत ने इस रास्ते पर लाकर खडा कर दिया था।
यह कहानी मेरी और मेरे एक पडोस की लडकी की है, जो अक्सर मेरी बीवी से कोचिंग लेने के लिए आया करती थी। तो यह कहानी शुरू हुई जब मेरी बीवी अपने मायके गई हुई थी। जब भी वो मायके जाती है, तब उसकी जगह मै कोचिंग लेता हूं। कोचिंग के लिए सिर्फ हमारे मोहल्ले के ही बच्चे आते थे, बारहवीं तक मेरी बीवी सबको पढा सकती थी। तो बीवी के मायके जाने के बाद, चार बजे से बच्चे आना शुरू हुए, पहले तो दसवीं तक के बच्चे आए, और पांच बजे चले गए। पांच बजे से सात तक ग्यारहवीं और बारहवीं के बच्चों का समय था।
जैसे ही पांच बजे, एक लडकी आ गई, मुझे लगा और भी बच्चे होंगे, तो मै उनके आने का इंतजार करने लगा। तो दस मिनट बाद उसने मुझसे कहा, “अब और कोई नही आएगा, पडोस वाला सुनील था लेकिन वह कभी कभार ही आता है।”
तब जाकर मैने उस लडकी पे ध्यान दिया, उसे देखकर ऐसा लगता था जैसे भगवान ने बहुत नाजुक हाथों से उसे तराशा हो। उसके शरीर के हर एक अंग का कटाव एकदम सही था। वो बस बारहवी में थी, लेकिन उसके शरीर को देखकर यह किसी भी तरह से नही लगता था। उसने अपना नाम सुरेखा बताया।
शुरू में तो मेरे मन मे उसके प्रति कोई गलत विचार नही आया था। लेकिन जब मै पढा रहा था, तब उसने मुझसे कुछ सवाल पूछे। सवाल पूछते समय वो कुछ ज्यादा ही नीचे झुक गई थी, जिस वजह से मुझे उसके चुचे दिखाई दिए। दूध से गोरा रंग था उसके चूचियों का, जिसे देखकर किसी की भी नियत बिगड जाए। और वही हुआ मेरे साथ भी, उसके चुचे देखने के बाद धीरे धीरे मै उसकी ओर आकर्षित होने लगा था। मै उसे अपने पास बुलाने के बहाने ढूंढने लगा, और उसे छूने का एक भी मौका मैने छोडा नही होगा। अब मेरे अंदर का शैतान जाग रहा था, जो सुरेखा को हवस भरी नजरों से देख रहा था।
जैसे तैसे करके वो दिन चला गया, और अगले दिन भी मुझे ही सबको पढाना था। तो फिर से पांच बजते ही सुरेखा आ गई, और मै उसे पढाने लगा, बीच बीच मे मै उसे समझाने के बहाने से छू भी लेता था। शायद वो भी मेरे इशारे समझ रही थी, लेकिन कुछ बोल नही रही थी। मैने फिर सोचा कि, ऐसे तो बात नही बनेगी। इसलिए मैने सुरेखा को बोला, “आज की पढाई खत्म, आज कुछ एक-दूसरे के बारे में जान लेते है।”
सुरेखा ने भी अपनी सहमती दर्शाई तो मैने उसके ऐसे ही इधर उधर की बातें करना शुरू कर दिया। फिर मैने उससे उसके बॉयफ्रेंड के बारे में पूछा, तो उसने कहा, “आज तक तो मेरा कोई बॉयफ्रेंड नही बना। सारे लडके एक जैसे ही होते है, मेरी सहेलियों को बहुत बार धोखा मिला है।”
फिर मैने टॉपिक बदलते हुए उसे अपने विचार सामने रखने के लिए बोला, तो वो मुझे अपने विचार बताने लगी। फिर कुछ देर तक बातें करने के बाद, मुझसे वो थोडा खुल गई। तब जाकर मुझे लगा कि, अब इस पर किस्मत आजमाई जा सकती है। मै उसके पास जाकर मैने उसका हाथ अपने हाथ मे लिया, और उसके हाथ पर एक चुम्बन दिया। पहले तो वो शर्मा गई, लेकिन फिर मेरी तरफ देखकर हंसने लगी। इसका मतलब उसकी तरफ से भी हां थी। तो मैने उसे उठाकर अपने बाहों में भर लिया, और कसकर अपने गले से लगा लिया। अब उसकी चुचियां मेरी छाती में गड रही थी।
कुछ देर तक ऐसे ही उसे अपनी बाहों में लेकर रहने के बाद, मैने उसके सर को उठाकर उसके लबों को चूमना चाहा। लेकिन फिर वो एक झटके से दूर हट गई, और मेरी तरफ देखकर हंसने लगी। वो ऐसे हंस रही थी, जैसे मुझे चिढा रही हो। फिर मैने उसका हाथ पकडकर उसे अपने पास खींच लिया, और फिर से उसे बाहों में लेते हुए, उसके सर को ऊपर करके उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए। उसके होंठों का वो स्पर्श, उसके होंठ बहुत ही मुलायम थे, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मक्खन हो। अब मै उसके होठों को चूसे जा रहा था। थोडी देर तक उसके होठों को चूसने के बर्फ उसने कहा, “आज इतना ही, अब समय हो गया है। मै चलती हूं।”
वो जैसे ही निकलने को हुई, मैने उससे कहा, “कल पूरी तरह से तैयार होकर आना।”
इतना कहकर उसकी तरफ देखते हुए मैने उसे आंख मार दी।

अब मुझे इंतजार था, अगले दिन का। एक कुंवारी चुत फाडने का मौका जो मुझे मिल रहा था। मैने अगले दिन दसवीं तक के बच्चों को दस मिनट पहले ही छोड दिया, और अब सुरेखा के आने का इंतजार करने लगा था। ठीक पांच बजे सुरेखा मेरे घर आ गई। सुरेखा के घर मे आते ही मै दरवाजे के पास गया और घर का दरवाजा इस तरह से बंद किया कि, अगर कोई दरवाजा खोलना चाहे, तो आराम से खुले, लेकिन आवाज भी आए दरवाजा खोलने की। अगर कोई आए, तो हमे आवाज से पता चले कि कोई आ रहा है।
दरवाजा बंद करने के बाद मैने सुरेखा को वहीं आंगन में खडे खडे अपनी बाहों में ले लिया। सुरेखा ने भी अपनी बाहें फैलाकर मेरा स्वागत किया। फिर मै उसे उठाकर अंदर कमरे में ले गया। अपने बेडरूम में जाने के बाद, मैने उसे नीचे उतारा। फिर मै बिस्तर पर बैठ गया, और सुरेखा का हाथ पकडकर उसे भी अपने पास खींच लिया। एक ही झटके में सुरेखा मेरे ऊपर आ गिरी, तो मैंने उसे उसके हाथों से पकडते हुए उसके माथे पर चूमना चाहा। लेकिन तभी वो मुझसे अलग होते हुए बोली, “सर, मै कुछ बताना चाहती हूं।”
तो मैने उसे अपने बगल में बिठाया, और वो बोलने लगी, “अभी मुझे पैसों की जरूरत है, इसलिए मै यह आपके साथ करने को तैयार हुई। आप ही पहले आदमी हो जो मुझे छू रहा है। आप मेरी ओर आकर्षित थे, तो मुझे यही सही लगा। बाकी आप बताइए, आपको क्या लगता है?”
कुंवारी चुत बहुत मुश्किल से मिलती है, और यहाँ इतनी आसानी से मिल रही थी, तो मै कैसे मना कर सकता था। थोडी देर सोचने के बाद फिर मैने कहा, “ठीक है, तुम्हे कितने पैसे चाहिए, मुझे बताओ मै तुम्हारी सहायता करूंगा।”
उसके कहे अनुसार मैने पहले ही दो हजार निकालकर उसके हाथ मे थमा दिए। तो वो भी खुश हो गई, और पैसे अपनी जेब मे रखने के बाद मेरे गले लग गई। मैने भी उसे अपनी बाहों में जकड लिया, जिससे उसकी चुचियां मेरी छाती में गडने लगी थी। अब मैने उसके मुंह को हल्का ऊपर की ओर उठाते हुए उसके होठों पर अपने होंठ रखकर उन्हें चूसने में लग गया। उसके होठों में कुछ जादू सा था, एक तो मक्खन से मुलायम होंठ ऊपर से इतने रसीले थे कि, एक बार चूमने के बाद छोडने का मन ही नही करेगा।

मै उसे बाहों में लेकर उसके होंठ चुम रहा था, वो भी मेरा साथ दे रही थी। फिर मैने धीरे से अपने हाथों को उसके बदन पर घुमाना चालू कर दिया। सुरेखा ने भी इस बात का विरोध नही किया, तो अगले ही पल मैने अपना एक हाथ उसके चूचियों पर रख दिया। और दूसरा हाथ उसके गले के पास रखकर उसे बिस्तर पर लिटाने लगा। थोडी ही देर में वो बिस्तर पर लेट चुकी थी और मै उसके बगल में बैठा हुआ था।
अब मै उसके बगल में बैठे बैठे ही उसके उरोजों को मसल रहा था। वो भी पूरी मस्ती के साथ मजे ले रही थी। मै बीच बीच मे अपने हाथों से उसके निप्पल को भी मसल देता था। अब तक हम दोनों ही अपने पूरे कपडे पहने हुए ही थे। मैने कपडों के ऊपर से ही उसकी एक चूची को अपने मुंह मे लेने की कोशिश की, लेकिन उसमें मै नाकामयाब रहा।
आगे की कहानी अगले भाग में लिखूंगा। आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, कमेंट में बताइए। धन्यवाद।