पटियाला में कड़क भाभी की चुदाई • Kamukta Sex Stories

पटियाला में कड़क भाभी की चुदाई

पंजाबी चूत की सेक्स कहानी मेरे पति ने मुझे बताई कि कैसे पटियाला में एक पंजाबन भाभी ने उन्हें अपना नंगा बदन दिखाकर अपनी प्यासी चूत का शिकार बनाया था.

प्रिय पाठको, मेरी कहानियों को आपने भरपूर प्यार दिया है उसके लिए आपका शुक्रिया।
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काफी समय के बाद कहानी लिखी है।
यह कहानी मेरे पति रवि की है और शादी के पहले की है।
मुझे उम्मीद है इसको भी आप पसंद करेंगे।

पिछले कई सप्ताह से मीना भाभी अजब गजब काम कर रहीं थीं।
आज सुबह वो एक बड़ा शीशा लगवा रहीं थीं।
बेतुकी जगह थी तो मैंने भाभी से पूछा- यहां शीशा लगवाने की क्या जरूरत है?
वो बोलीं- यहां रोशनी रहती है; अंदर कमरे में लाइट जलानी पड़ती है।

मुझे पटियाला आए हुए एक महीना हो गया था।
किसी के जरिए मीना भाभी के घर में एक कमरा किराए पर मिला।

नीचे के बाकी कमरे बंद थे। भाभी ऊपर के हिस्से में रहती थीं।
घर काफी हवादार था आंगन में जाल पड़ा था जिससे नीचे के हिस्से में हवा, रोशनी काफी रहती थी।

उनके पति सुबह पांच बजे काम पर निकल जाते थे। दोपहर लौटते और हर शाम मित्र मंडली के बीच बिताते थे।
दोनों के कोई बच्चे नहीं थे।

मेरी नौकरी शाम की थी, अक्सर देर रात लौटता था।
सुबह जब आंख खुलती थी तो ऊपर से भाभी की ही आवाज आती रहती थी।
बीच बीच में वो चलती फिरती भी दिखती थीं।

लेकिन बाहर शीशा लगवाना मेरी समझ से बाहर था।
अगले दिन सुबह जल्दी उठा लेकिन सोने का नाटक करता रहा।
दरअसल मुझे देखना था कि शीशे का क्या इस्तेमाल होना है।

मेरी निगाह शीशे पर ही टिकी थी जो मेरे कमरे से साफ दिख रहा था।

थोड़ी देर में मीना भाभी नहा कर निकली और शीशे के सामने खड़ी हो गईं।
उनके शरीर पर एक तौलिया लिपटा हुआ था जिससे उनके शरीर का बीच का हिस्सा छिपा हुआ था।

उनकी दूधिया टांगें देखकर मेरे भीतर सनसनी होने लगी।

थोड़ी देर बाद उनका तौलिया उतर चुका था।
भाभी के मखमली बदन का पिछवाड़ा साफ दिख रहा था।
उनकी उठी हुई गांड ने मेरा लन्ड खड़ा कर दिया था।

थोड़ी देर में भाभी के हाथ अपनी चूची पर जम गए थे।
मुझे दिखा तो कुछ नहीं लेकिन अंदाज लड़ गया था कि वो अपनी चूचियों को मसल रहीं हैं।

इसके बाद वो अंदर कमरे में चली गईं।

मैं एक घंटे बाद अपने कमरे से बाहर आया और ऐसे दिखाया मानो अभी सोकर उठा हूं।
ऊपर से भाभी की आवाज आई- क्या हुआ? आज जल्दी कैसे उठ गए?

मैंने कहा- जल्दी नहीं, देखो लो मैं तो अपने समय पर उठा हूं।

भाभी ने मुस्करा कर कहा- जब उठ जाते हो तो अंदर लेटे क्यों रहते हो?
“नहीं भाभी, ऐसा नहीं है!” ऐसा कहकर मैं अपने कमरे में घुस गया।

मैं काफी हैरान था; क्या भाभी ने मुझे देख लिया था? क्या मेरी चोरी पकड़ी गई?
ऐसे कई सवाल थे जो सुलझने बाकी थे।

अगले दिन किराया देने मैं ऊपर गया तो जानबूझ कर शीशे के पास गया।
शीशा देखते ही मेरी धड़कन बढ़ गयी क्योंकि उसमें मेरे कमरे के भीतर का पूरा नजारा दिख रहा था।

मैं सकपका कर पीछे घूमा तो भाभी मुस्करा रही थी।
तो मैं हड़बड़ा कर नीचे उतर आया।

भाभी की मुस्कराहट से साफ हो गया था कि उन्होंने भी शीशे में मुझे देख लिया था।
मैं शर्म से पानी पानी हो रहा था और भाभी थी कि मुझे छेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ रही थी।

आज छुट्टी का दिन था; सोचा था देर तक आराम करूंगा लेकिन सुबह ही आंख खुल गई।
मेरी आंख फिर शीशे पर जम गई थी।

थोड़ी देर में भाभी फिर नहा कर निकली; लेकिन आज वो गाउन पहनकर ही शीशे के सामने आई।

मुझे एक बड़ा झटका सा लगा; मन को मायूसी मिली।
भाभी की जवानी की जवानी मेरे दिलो दिमाग पर छा गई थी।

मेरे मन से भाभी का ख्याल निकल नहीं पा रहा था।
कब मैंने पैंट उतार दी, पता ही नहीं चला।
नीचे अंडरवियर पहना नहीं था तो अधनंगा हो गया था।

मैं मोबाइल पर वीडियो देखते हुए अपने लन्ड को छेड़ने लगा।
मेरा लन्ड भी मेरी तरह ही मायूस था।

अचानक मेरे कमरे के दरवाजे पर कड़क आवाज सुनाई दी- ये क्या हो रहा है?

मैं बुरी तरह से हड़बड़ा कर खड़ा हो गया।
दरवाजे पर मीना भाभी खड़ी थी।
मेरी सांस ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे।

“वो … भाभी … वो …”
मुझसे कुछ बोलते नहीं बन रहा था।

भाभी एक कदम आगे बढ़ी और मुस्करा कर बोली- क्या हुआ? खड़ा नहीं हो रहा है। कोई बीमारी तो नहीं है?
“नहीं भाभी, कोई बीमारी नहीं है। मैं तो वो कपड़े बदल रहा था।”

भाभी मुस्करा कर बोली- कपड़े … और वो भी लेटे लेटे बदल रहे थे? भई क्या बात है। हम भी देखें इसको कोई बीमारी तो नहीं है।

तभी भाभी ने आगे बढ़कर मेरा लन्ड पकड़ लिया।
उनके लन्ड पकड़ते ही उसमें जान आने लगी थी।

भाभी कहने लगी- काम तो कर रहा है, इसको चार्जिंग की जरूरत है।

और भाभी नीचे की तरफ़ झुकी तो मुझे पसीना आने लगा।
लेकिन उन्होंने कुछ किया नहीं और खड़ी हो गईं।
कहने लगीं- झुकने में गाउन फंस रहा है।

आगे ही पल उन्होंने गाउन की डोरी खोल कर उसे उतार दिया।
उनकी चूचियां मक्खन जैसी नजर आ रहीं थी जिसे छू लो तो गंदी हो जाने का खतरा था।

मैं आंखें फाड़ फाड़ कर देख रहा था। भाभी का तराशा हुआ बदन मुझे मदहोश कर रहा था।

भाभी मुस्करा कर बोली- जी भरकर देख लो। लेकिन पहले मुझे तुम्हारा औजार रिचार्ज करना है।
फिर से भाभी ने मेरा लन्ड पकड़ लिया।

मेरे अंदर भाभी का नशा चढ़ने लगा था।

भाभी ने झुक कर मेरे लन्ड पर अपनी जीभ फिराई।
मेरे मुंह से आह निकल पड़ी।

मैंने कहा- भाभी मत करो!
भाभी बोली- बस जल्दी ही रिचार्ज हो जाएगा।
अब उन्होंने मेरा लन्ड धीरे धीरे पीना शुरू किया।

मैं थोड़ा पीछे हटा तो उन्होंने मेरी गांड को कस कर दबोच लिया और एक झटके मेरा पूरा लन्ड उनके मुंह के भीतर था।
भाभी के मुंह की गर्मी से मेरा लन्ड फनफना उठा।

शायद भाभी को कई दिनों बाद लन्ड पीने को मिला था।
वो अपनी भूख मिटने में लगी थी।
मेरे मुंह से सिसकारी तेज हो गई थी।

अब भाभी लन्ड पीना बंद करके मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और पागलों की तरह मुझे चूमने लगीं।
उसकी मखमली चूचियां मेरे सीने से रगड़ रहीं थीं।

हम दोनों चिपके हुए थे और मेरा तना हुआ फौलादी लन्ड भाभी की बंद चूत को टक्कर मारने लगा।

भाभी की सांस तेज हो चली थी। उन्होंने अपनी चूची मेरे मुंह में दे दी।
मुझे जन्नत का सुख मिल रहा था।

भाभी ने दूसरी चूची मेरे हाथ में दी और अपनी उखड़ी आवाज में बोली- कस कर मसलों मेरे दूध को! कितना भी चीखूँ … लेकिन तुम मत छोड़ना। आज मेरी प्यास बुझा दो।

उनका इशारा काफी था।
मैंने पूरा जोर लगाकर उसकी दोनों चूचियों को मसल दिया।

थोड़ी ही देर में भाभी दर्द से तड़फने लगी लेकिन मैंने अपना काम नहीं रोका।

अब शायद ज्यादा ही मसलाई हो गई थी।
भाभी बोली- कुछ भी कर लो लेकिन मेरा दूध छोड़ दे।

मैंने कहा- ठीक है भाभी … लेकिन आंगन में तेरे को चोदूंगा।
भाभी बोली- ठीक है … लेकिन पहले अपना लन्ड मेरी चूत में डालकर मुझे गोदी में उठा और आंगन तक ले चल।

भाभी के इतना बोलते ही मैंने एक झटके में अपना लन्ड उनकी चूत में डाल दिया।
उनकी एक जोरदार चीख निकली और मैं उनको गोदी में उठा कर आंगन में ले आया।

अगले दस मिनट तक खुले आसमान के नीचे मीना भाभी की गुलाबी चूत से फच फच की आवाज निकलती रही।

तो मेरे प्यारे पाठको, आपको मेरे पतिदेव की शादी से पहले की मस्त कहानी कैसी लगी?
आपकी रेनू भाभी!