ज़ोहार ने अपने सेक्स की प्यास बाप से मिताई – 1 • Kamukta Sex Stories

ज़ोहार ने अपने सेक्स की प्यास बाप से मिताई – 1

मैं ज़ोहरा, आगे 20 साल. मैं अपने मा-बाप की अकेली औलाद हूँ. हम गाओं में रहते तह. मेरे पापा खेती बाड़ी करते हैं. जब मैं छोटी थी तो पापा ने मुझे गाओं के स्कूल में डाल दिया. वो स्कूल 12त तक था. 12त के बाद मैने पापा से कहा की मैं आयेज पड़ना चाहती हूँ पर हमारे गाओं में कोई कॉलेज नहीं था इसलिए मुझे शहर आना पड़ा.

शहर आकर मेरा अड्मिशन एक गर्ल्स कॉलेज मैं हो गया और मैं शहर में ही एक गर्ल्स हॉस्टिल में रहने लगी. पापा ज़्यादा पड़े-लिखे नहीं हैं इसलिए उन्होने मुझे कहा था की पड़ाई के मामले में मैं जैसे ठीक समझू करलूँ. शहर आ कर मैं तो हक्की-बक्की रह गयी. शहर की लड़कियों के कपड़े देख कर मुझे लगा की मुझे वापस गाओं चले जाना चाहिए…

कहीं मैं शहर के माहौल में बिगड़ ना जाऊं. लेकिन फिर सोचा के मुझे तो पड़ाई से मतलब हैं नकी माहौल से. पापा कभी शहर नहीं आए तह. मेरा अड्मिशन करने भी मैं अपनी स्कूल की मेडम के साथ आई थी. अगर पापा शहर आते और यहाँ की लड़कियों के कपड़े देखते तो शायद मुझे यहाँ कभी ना पड़ने देते. हमारे गाओं में लड़कियाँ सिर्फ़ सलवार सूट ही पहेंटी थी और वो भी काफ़ी लूस. शहर में तो किसी लड़की को लूस का मतलब ही नःन पता था.

जिसे देखो टाइट जीन्स, टाइट त-शर्ट, स्लीव्ले शर्ट, स्कर्ट, और अगर सलवार कमीज़ तो वो भी बहुत टाइट. यहाँ तक की हमारे कॉलेज की टीचर्स भी ब्लाउस पहेनटी तो डीप कट और कुछ टीचर्स तो सारी नेवेल के नीचे बाँधती थी. लेकिन मैं तो वही लूस सलवार कमीज़ पहेनटी थी. शहर मैं जहाँ देखो दीवारों पर अडल्ट फ़िल्मो के पोस्टर लगे होते तह जिसमे हीरो-हेरोयिन नंगे होकर प्यार कर रहे होते तह.

हमारे हॉस्टिल की लॉबी में एक त.व. भी था. क्यूंकी हमारे गाओं में त.व. नहीं था इसलिया मुझे त.व. चलना नहीं आता था लेकिन हॉस्टिल में एक लड़की ने मुझे सीखा दिया. त.व. पर आड्स, फ़िल्मे और गाने देख कर मैं हेरान रह गयी. मुझे लगा कितनी गंदगी है शहर में. इन सब चीज़ों ने मेरे अंदर एक अजीब सी हलचल मचा डी थी. रोज़ रात को सोते वक़्त मैं यह सोचती थी की शहर में इतना ननगपन क्यूँ है. एक दिन हॉस्टिल के त.व. पर मैं अकेली ही एक फिल्म देख रही थी.

फिल्म में लड़का लड़की के होतों पर किस करता है. मैने सोचा क्या होतों पर भी किस होती है. फिर लड़का लड़की के मौत में अपनी जीभ डाल देता है और दोनो एक दूसरे की जीभ चाट-टे हैं. यह सब देख कर मुझे कुछ होने लगा और मैने त.व. बंद कर दिया. लेकिन सोचा देखती हूँ क्या-क्या होता है सो टीवी फिर से ओं कर दिया.

अब लड़का लड़की की शर्ट ऊपर करके उसके पेट पर किस कर रहा होता, फिर वो लड़की की शर्ट उतार कर उसके ब्रेस्ट दबाने और चूसने लगता है, फिर लड़की की जीन्स निकलता ही, फिर कच्ची(पनटी) और फिर उसके टाँगों के बीच में चाट-ने लगता है. फिर वो अपनी पंत उतार कर अपना लंड लड़की की छूट मैं डाल कर आयेज-पीछे करने लगता है. यह सब देख कर मेरी हालत खराब हो गयी और मैं टीवी बंद करके सोने चली गयी. ऐसी फिल्म रोज़ आती थी और मीयन रोज़ ही देखती थी.

मैने नोटीस किया की यह सब देखने में मुझे मज़ा आता है और सोचने लगी की असली में सेक्स करने में कितना मज़ा आता होगा. अब मुझे पता चला की शहर की लड़कियाँ एरॉटिक कपड़े क्यों पहेंटी हैं…असल में उन्हे सेक्स में मज़ा आता है और वो उससे बुरा नहीं मानती. हमारे कॉलेज की कुछ छूतियाँ हुईं तो मैं गाओं चली आई. पापा मम्मी मुझे देख कर बहुत खुश हुए.

कुछ देर तक मेरी पड़ाई के बारे में पूच कर पापा खेत में चले गये और मैं मम्मी से बातें करती रही. डुफेर हुई तो मम्मी ने कहा : मम : ज़ोहरा, मैं तेरे पापा को खेत में रोटी देने जेया रही हूँ मैं : लाओ मम्मी, मैं दे आती हूँ, बहुत दीनो से अपने खेत भी नहीं देखे, खेतों की भी बहुत याद आती है मम : ठीक है, तू ही दे आ, पहले भी तो टू ही जाती थी मैं पापा का रोटी का तिफ्फ़िं लेकर खेत में चालदी.

पापा खेत में सिर्फ़ लूँगी पहेनटे तह. पापा को मैने पहेले भी ऐसे देखा था लेकिन आज पता नहीं मुझे अंदर से कुछ हो रहा था. पापा की अची-ख़ासी मसल्स थी और चेस्ट चौड़ी. पापा चेरा मासूम था. पापा ने लूँगी अपनी नेवेल के नीचे बाँदी हुई थी और उनका पूरा बदन पसीने से भरा था. पापा ज़मीन में फावड़ा(टूल तो दिग गरौंग) चला रहे तह. मैं : पापा पापा : अर्रे ज़ोहरा, तू मैं : पापा रोटी लाई हूँ पापा : अपनी मम्मी को ही आने देती, टू सफ़र करके आई है, तक गयी होगी मैं : नहीं तो फिर पापा रोटी खाने लगे.

मैं पापा के बदन को देख रही थी. पहली बार मुझे ेशसास हुआ की मेरे पापा कितने मस्क्युलर हैं, कितने चौड़ी चेस्ट है और चेस्ट पे बाल कितने अच्छे लगते हैं और नेवेल भी प्यारी है. मैं सोचने लगी यह मुझे क्या हो गया है, भला कोई बेटी अपने पापा को इश्स आंगल से देखती है, पर क्या करूँ, कंट्रोल नहीं होता. जब पापा रोटी खा चुके तो मैं खेत से वापस आते वक़्त यह ही सोचती रही की यह मुझे क्या हो गया है, मेरा दिल कुछ कर्मा चाहता, पर क्या कर्मा चाहता है मैं यह ना समझ पाई.

रात को हम लोग ज़मीन पर ही चादर भिछा कर सोते तह. मेरी आँखों के सामने बार बार पापा की बॉडी आ रही थी. मैं पापा और मम्मी के बीच सोती थी, अभी मैं उनके लिए बची थी. रात को सोते वक़्त मुझे लगा कोई मेरे स्टान्नो (ब्रेस्ट) पर हाथ फेर रहा है. फिर धीरे धीरे वो हाथ मेरे स्टान्नो को दबाने लगे. मुझे भी मज़ा आने लगा. फिर वो हाथ मेरे टाँगों (लेग्स) के बीच में रब करने लगे, मुझे लगा की यह मेरे पापा ही हैं..मैं उनकी छाती पर हाथ फेरने लगी और उनकी लूँगी उतारने लगी..उन्होने मेरी सलवार निकालडी..फिर मेरी कच्ची (पनटी) …और मेरी छूट को जैसे ही उन्होने किस किया … मेरी आँख खुल गाईए……देखा तो यह मेरा सपना था..पापा तो एक तरफ सो रहे तह…

लेकिन मेरी टाँगों के बीच में सच में आग लगी हुई थी. क्या एक बेटी अपने बाप से सेक्स का सपना भी देख सकती है ? एक तरफ तो मुझे गिल्टी फील हो रही थी तो दूसरी तरफ मुझे मज़ा भी आ रहा था. खेर, अगले दिन डुफेर को मैं फिर पापा को खेत पे खाना देने गयी. पापा : ले आहयी खाना मैं : हन पापा, चलो काम चोरो और पहले खा लो पापा खाने लगे मैं : पापा, मेरे कॉलेज में सब लड़कियाँ नये नये कपड़े पहें कर आती हैं, और मैं वोही पुराने पापा : तो बेटी नये कपड़े सिलवालो मैं : गाओं से हर बार सिलवती हूँ, इस बार शहर से सिलवलून ? पापा : क्यों ? मैं : शहर में कपड़ो की क्वालिटी गाओं से अच्छी है और पैसों का कोई ख़ास फराक नहीं है, मेरी कॉलेज की सहेलियाँ वहीं से सिलवती हैं पापा : ठीक है, जाते वक़्त मुझसे पैसे लेती जाना और सिलवालेना लेकिन जब अगली बार गाओं आ तो नये कपड़े अपनी मा को दिखना ज़रूर मैं : ठीक है.. अगले दिन मैने शहर वापस जाना था. पापा ने मुझे पैसे दे दिए तह.

जब मैं चलने लगी तो उस वक़्त पापा खेत में तह. मैं : मम्मी, मैं जाने से पहले पापा से खेत पर मिल के आती हूँ मम : कोई बात नहीं बेटी, उन्हे पता तो है ही के तूने जाना है मैं : कोई बात नहीन, बस एक मिनिट में आती हूँ मैं खेत में पापा से मिलने चली आई. पापा आस यूषुयल सिर्फ़ लूँगी में तह मैं : पापा पापा : अर्रे ज़ोहरा मैं : पापा मैं जेया रही हूँ मैं पापा से लिपट गयी और एमोशनल होकर बोली मैं : पापा मुझे आपकी बहुत याद आती है पापा : बेटी याद तो हूमें भी बहुत आती है तुम्हारी मैं पापा के नंगे बदन से लिपटी हुई थी…पापा की पीठ पर हाथ फेर रही थी..मेरे स्टअंन पापा की चेस्ट के टच में तह..

पापा : बेटी मेरे पसीने से तेरे कपड़े कहराब हो जाएँगे मैं पापा से और कूस के लिपट गयी और हल्के हल्के अपने ब्रेस्ट पापा की चेस्ट से रगड़ने लगी मैं : पापा अगर मुझे आपकी बहुत याद आए तो मैं क्या किया करूँ ? इश्स रगदाई में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था…पापा क्या समझते…वो बहुत भोले तह पापा : जब भी तुम्हे बहुत याद आए तो कुछ डिंनो के लिए गाओं आ जाया करो अब मैं पापा से अलग हुई लेकिन अपने हाथ मैने पापा की चेस्ट पर फेरने लगी मैं : जल्द ही हमारी कॉलेज की कुछ और छूतियाँ होंगी तो मैं आ जाओंगी……

.अच्छा तो अब चलती हूँ पापा : अच्छा बेटी….खुश रहो खुश तो मैं अपनी तामाना पूरी करने पर ही हूँगी…मैने दिल में सोचा शहर आकर भी मैं पापा के जिस्म को ना भुला पे. इतनी बार तो पापा से सपने में सेक्स करते हुए मेरी छूट गीले हो जाती थी मैने फ़ैसला कर लिया की मेरी प्यास को मेरे पापा ही बुझाएँगे मैने अगले दिन लेडी टेलर से सूट सिलवाए..मैने कमीज़ को टाइट सिलवाया और सलवार को भी…मैने कमीज़ को काफ़ी डीप-कट सिलवाया और सामने कुछ बटन रखवाए….

फिर मैने एक शॉप पर जाकर एक स्कर्ट , टाइट और छोटा टॉप और एक मॅक्सी (फुल्ली कवर्ड निघट्य) ली. मुझे यह पता था की कुछ डिंनो बाद मम्मी अपने मायके चली जाएँगी और दो वीक्स से पहले नहीं आएँगी. मैने कॉलेज से दो हफ्तों की लीव ली और और चालदी गाओं……… आज मैने अपना पुराना गाओं वाला कमीज़-सलवार पहेना था इन केस मम्मी ना गयी हो तो….शाम को गाओं पहुँची तो घर में कोई नहीं था. मैं खेत की तरफ चालदी. अब खेत की फसल मेरी हाइट से ऊँची हो गयी थी इसलिए कोई खेत में आसानी से दिखता नहीं था…मैने सोचा यह भी तो अच्छा ही है इतनी ऊँची फसल में मैने पापा को ढूंड ही लिया मैं : पापा…मैं आ गयी मैं पापा से जाकर लिपट गयी….और हन..पापा सिर्फ़ लूँगी में तह. पापा : अर्रे बेटी, तू कब आई मैं : अभी अभी, पहले घर गयी थी तो वहाँ कोई ना था मैं अपने ब्रेस्ट पापा की चेस्ट से रगड़ने लगी….मज़ा आ रहा था पापा : तेरी मम्मी अपने मायके गयी है….

मैं : कब गयी मम्मी पापा : आज सुबेह ही तो…उससे पता होता की टोने आना है तो रुक जाती इसीलिए तो मैं शाम को आई हूँ….तुम क्या जानो. मैं पापा को और कूस के लिपट गयी पापा : ज़ोहरा तुम तो कुछ ज़्यादा ही उदास रहने लगी हो मैने सोचा सब कुछ अभी करने से काम बिगड़ सकता है….आख़िर एक बाप अपनी बेटी को इतनी आसानी से नही छोड़ेगा…मुझे अपने पापा के डंडे को अपनी छूट की तरफ धीरे धीरे आकर्षित कर्मा होगा. मैं अलग हुई मैं : हन पापा, घर की याद कुछ ज़्यादा ही आने लगी है…खेर, मैं घर चलती हूँ आप जल्दी आ जाना पापा : ठीक है.. घर आ कर मैं प्लान सोचने लगी. मुझे पता था की अगर मैं एक दूं से ओपन हो गयी तो बात बुगड़ सकती है….मैं चाहती थी के पापा खुद ही बेबुस हो जाए और उन्हे लगे की इश्स काम के वो खुद भी रेस्पॉन्सिबल हैं. मैने सोचा सारा काम कल से शुरू किया जाए. रात को हौं बाप-बेटी एक साथ तो सोए लेकिन मैने कुछ नहीं किया…और पापा ने क्या कर्मा था, उनके लिए तो मैं बेटी के अलावा और कुछ ना थी. मैं रात को भी वही पुराने सलवार-कमीज़ में सोई. अगले दिन सुबेह मैने पापा के लिए नाश्ता बनाया मैं : पापा मैं डुफेर को खेत पर रोटी ले आऊँगी पापा : अच्छा.. पापा के जाने के बाद मैं नहाई और अपना शहर में सिलवाया हुआ टाइट , डीप-कट सूट पहना. डुफेर हुई तो पापा का खाना खेत पर लेकर चालदी…मैं तो एग्ज़ाइट्मेंट से मेरीयी जेया रही थी. मेरे डीप-कट कमीज़ में से मेरे उभार (ब्रेस्ट) काफ़ी एक्सपोज़्ड तह…बटन खोलने की देर थी की उभार सॉफ दिखते…ब्रा तो आज मैने पहनी ही नहीं थी. मैं : पापा पापा :ज़ोहरा, ले आई रोटी मेरा सूट फ्लोरोस्सेंट ग्रीन कलर का था…

जब पापा ने मुझे देखा तो वो थोड़े हएरआन से हुए…आख़िर अपनी बेटी के उभारों की झलक पहली बार मिली थी मैं : चलो पहले खा लो पापा : तूने खा लिया ? मैं : मुझे अभी भूक नहीं है पापा रोटी खाने लगे मैं : पापा, आपने मेरा सूट नहीं देखा पापा : हन, रंग अच्छा है…पर क्या यह तोड़ा टाइट और छोटा नहीं है.. मैं : छोटा…कहाँ से ? पापा : सामने से.. मैं : सामने से ? कहाँ सामने से ? पापा : सामने से…मेरा मतलब है…छाती से.. मैं : श..छाती से, नहीं तो, यह तो शहर में आम है पापा : क्या तुम्हे कॉलेज में ऐसे सूट पहेने देते है मैं : सब ऐसे पहेनटे हैं……बल्कि यह तो कुछ भी नहीं.. पापा : कोई मुझे बता रहा था की शहर का माहौल ऐसा ही है मैं : हन वो तो है…लेकिन मुझे तो अपने पर कंट्रोल है पापा : अच्छी बात है बेटी….तुझे अपने आप को ऐसे माहौल से बचा के रखना छाईए पापा ने रोटी खा ली तो मैं घर जाने के लिए चली, दो टीन कदम पर ही मैने पेर (फुट) मुड़ने (स्प्रेन) का भाना किया और गिर गयी मैं : ऊओह……पापा.. पापा भागते हुए आए पापा : क्या हुआ बेटी ?

मैं : पापा..पेर मूड (स्प्रेन) गया..बहुत दर्द हो रही है पापा ने मेरा सॅंडल निकाला और देखने लगे पापा : कहाँ से मुड़ा है…कहाँ दर्द हो रही है ? मैं : ऊहह..पापा….बहुत दर्द हो रही है पापा : चल घर चल….कोई दावा लगा ले…चल बेटी खड़ी हो मैं जैसे ही खड़ी हो कर तोड़ा चलने की कोशिश की तो फिरसे गिर गयी पापा : अर्रे, क्या हुआ बेटी…चला नहीं जेया रहा मैं : नहीं पापा…चलने में तो और भी दुख़्ता है पापा : बेटी, थोड़ी कोशिश कर, घर जेया कर दावा लगा कर ही दर्द ख़तम होगा, घर तो जान ही है, हेना….

मैं फिरसे उठी , तोड़ा चली पर फिर गिर पड़ी मैं : नहीं पापा, मुझसे बिल्कुल नहीं चला जेया रहा पापा : फिर तो तुझे उठा के ही ले जाना पड़ेगा यही तो मैं चाहती थी…पापा मुझे उठाएं…उनका एक हाथ मेरी टाँगों के नीचे और दूसरा हाथ मेरी पीठ के नीचे…और मैं उनके नंगे जिस्म से चिपकी हुई… जब पापा मुझे उठा रहे तह तो मैने जल्दी से अपने सूट के सामने के बटन खोल दिए…और मेरे आधे से ज़्यादा उभार बाहर आ गये.. अब मैं पापा की गोड में थी और मेरी छाती खुला दरबार बनी हुई थी मैं : पापा बहुत दर्द हो रही है पापा ने मेरी तरफ देखा तो उनकी आइज़ पहले वहीं गयी तो मैं चाहती थी……

मेरे उभारों को देखते हुए बोले पापा : बस बेटी घर चल के सब ठीक हो जाएगा मैने झूट-मूट में आँखें बंद करलीन और देखा की पापा रुक-रुक कर मेरी गोलाइयाँ (ब्रेस्ट) देख रहे हैं……..किसी बाप के सामने उसकी बेटी की आधी छाती नंगी हो तो वो बेचारा खुल के देख भी नहीं सकता…… पापा ने मुझे उठा रखा था, इसलिए मेरी हिप्स पापा की पेनिस की हाइट पर थी….सडन्ली मुझे हिप्स पर कुछ हार्ड फील हुआ….मैं समझ गयी यह क्या….मेरे पापा का लॉरा…….आज बाप बेटी कितने पास होकर भी कितने डोर तह….डंडे और छेड़ में मुश्किल से चार इंच का फासला था घर पहुँचते ही पापा ने मुझे लिटा दिया……मेरी आँखें बंद थी… .पर छाती तो खुली थी पापा : बेटी घर आ गया है

मैं : पापा, कुछ करो ना..दर्द हो रहा है पापा : अलमारी में दावा रखी है…मैं लता हूँ पापा डिस्प्रिन की गोली लाए और साथ में पानी. पानी पीते वक़्त मैने जान-मूझ कर पानी अपने ब्रेस्ट पर गिरने दिया….अब मेरे आधे नंगे उभारों पर पानी था. मैने गोली ले ली और फिरसे आँखें बंद करके लेट गयी….पापा बार बार मेरे उभारों को देख रहे तह….जवान बेटी के गीले उभार….बाप करे तो क्या करे.मैने सोचा इतना काफ़ी है अभी के लिए मैं : पापा, आपको जाना है तो जाओ, खेत में काम पूरा कर आओ, अब दर्द में पहले से फराक है पापा : ठीक है….मैं जल्द ही काम करके आता हूँ मैने सोचा काम करके आता हूँ या काम करने आता हू……. रात को पापा आए तो मैं तोड़ा चलने लगी थी पापा : बेटी फराक पड़ा ? मैं : हन पापा, तोड़ा तोड़ा फिर हुँने रोटी खाई………… अब मेरा जलवा दिखाने का टाइम आ गया था…मैने शहर से ली हुई मॅक्सी (फुल्ली कवर्ड निघट्य) पहेनी…..इस मॅक्सी का अड्वॅंटेज यह था की यह बिना कुछ एक्सपोज़ किए भी सब कुछ एक्सपोज़ कर सकती थी….मैने लिपस्टिक और रूज़ भी लगा लिया……..मॅक्सी पहें के मैं पापा के सामने आई तो पापा मुझे देख कर थोड़े हएरआन और थोड़े खुश बही. हएरआन इसलिए की उन्होने पहली बार ऐसी ड्रेस देखी थी और खुश इसलिए की उनकी बेटी सनडर लग रही थी मैं : पापा, मैने यह शहर से यह कपड़े भी लिए हैं..कैसे हैं ?

पापा : अच्छे हैं, पर इसमे नींद आ जाएगी ? मैं : और क्या, शहर में तो लड़कियाँ और औरतें रात को यही पहन कर सोती हैं पापा : अच्छा ज़मीन पे बिस्तर लग चक्का था…..मैं पापा के पास जेया कर बैठ गयी मैं : पापा, जो दावा आपने शाम को डी थी वो बहुत पुरानी हो चुकी है ऑरा उसका असर नहीं होगा पापा : अच्छा..मुझे तो पता ही नहीं था… मैं : धीरे धीरे दर्द बाद रहा है हमारे गाओं में दर्द के लिए सरसों का गरम तेल लगते तह……मुझे पता था की पापा मुझे तेल लगाने के लिए ज़रूर कहेंगे…नहीं कहेंगे तो मैं खुद केहदूँगी……तेल से ही तो सारा रास्ता खुलेगा पापा : फिर एक काम कर, सरसों का गरम तेल लगा ले ओह एस… पापा : तू मत उठ, मैं तेल गरम करके लता हूँ पापा तेल ले आए पापा : ले बेटी, लगा ले मैं : लाओ मैने मॅक्सी थोड़ी सी ऊपर की और हाथों से तोड़ा तोड़ा तेल लगाने लगी मैं : ऊऊऊ…..आआआअ…

पापा : क्या हुआ ? मैं : तेल लगाने पे और दर्द होता है……मैं नहीं लगती पापा : दर्द होना मतलब इसका असर हो रहा है….लगले बेटी…तभी ठीक होगा मैने तोड़ा सा तेल और लगाया मैं : ऊऊओ…..मुझसे नहीं लगेगा पापा : इश्स वक़्त तेरी मम्मी को यहाँ होना चिए था….ला मैं लगता हूँ मैने थोड़ी सी मॅक्सी ऊपर करली…….पापा मुझे पेर पे तेल लगाने लगे मैं : ऊऊहह…..एयेए…मार गयी…. पापा : तेल से तो अच्छे से अच्छा दर्द ठीक हो जात है… मैं : ऊऊहह…पापा…दर्द पूरी टाँग में आ रहा है मैं लेट गयी और मॅक्सी और ऊपर कर ली……मैने अपनी दूसरी टाँग थोड़ी ऊपर कर ली सो तट पापा को मॅक्सी के अंदर का सीन दिख सके…….पापा तोड़ा शर्मा रहे तह और तोड़ा घबरा रहे तह मैं : पापा, तोड़ा तेल . पे भी .…… मैने अपनी . खोल डी और दोनो . (.) ऊपर की तरह कर दिए . की पापा को मेरी टाँगों के बीच में से मेरी . (.) कच्ची (पनटी) . लगे……. अब पापा की . मेरी टाँगों के बीच में से मेरी कच्ची पर थी