मेरा नाम सुखविंदर सिंह है, मैं उत्तर भारत पंजाब में लुधियाना जिले के एक गांव से हूँ. मेरी उम्र 29 साल है, मैं फुटबाल का एक अच्छा प्लेयर हूँ. हर रोज खेल कूद करने के कारण तगड़ी बॉडी और मजबूत स्टेमिना है. मेरा रंग गोरा है, कद 5 फीट 10 इंच है और मेरे लंड का साईज नार्मल 6 इंच है.. लेकिन मेरा लंड काफी मोटा है.
यह मेरी पहली और सच्ची चोदन स्टोरी है अगर कोई गलती दिखे तो माफ कर देना.
मेरे घर में मैं और मेरी मां हैं, पिता जी मौत कुछ वर्ष पहले हो गई थी. मैं एक लिमिटेड कंपनी में अच्छी सेलरी पे काम करता हूँ. मां को पिता जी के डिपार्टमेंट से फैमिली पैंशन मिलती है. गांव में जमीन है, जिसका ठेका देने से पैसा आ जाता है. कुल मिला के सब कुछ मस्त है.
वैसे तो कालेज टाइम मैंने बहुत सी लड़कियों को चोदा है. लेकिन अनजान लड़की से यह मेरा पहला मौक़ा था. जैसा कि मैंने पहले ही बताया मैं फ़ुटबाल का प्लेयर हूँ.. जिस वजह से अक्सर ही मैं घर से दूर दूर खेलने और घूमने जाता रहता हूँ.
मैं पिछले साल देहरादून खेलने जा रहा था. लुधियाना से देहरादून के लिए एक ही ट्रेन है, वो भी रात को सवा एक बजे जाती है. मैं 12:30 पर रेलवे स्टेशन पहुंच गया. प्लेटफार्म पे मैं ट्रेन का इंतजार कर रहा तो सामने से मेरे को एक बहुत ही सुन्दर लड़की आती दिखाई दी. मैं तो उसको देखता ही रह गया.. क्या माल थी वो.. उसके चूचे बहुत बड़े थे, जो मुझे सबसे ज्यादा पसंद हैं.
ट्रेन अपने समय पे आ गई, मैं ट्रेन में चढ़ गया. मेरे पास स्लीपर कलास के 2 टिकट थे. एक मेरा था और एक मेरे दोस्त का था, जो अक्सर मेरे साथ ही खेलता है. लेकिन इस बार किसी काम की वजह से वो नहीं आ पाया. हमने टिकट पहले ही बुक की हुई थी. जिस वजह से मेरे पास 2 टिकट थे.
मैंने अपनी सीट ढूंढी, एक पे अपनी चादर बिछाई और दूसरी सीट जो सामने वाली थी, उस पे अपना सामान रखा और लेट के मोबाइल पे गाने सुनने लगा.
इतने में टी टी आ गया उसने टिकट चैक करी और मेरे से दूसरे टिकट के बारे में पूछा, तो मैंने बता दिया कि वो सीट खाली है.
टी टी सुन कर चला गया, मैं भी लाईट ऑफ़ करके लेट गया.
थोड़े टाइम बाद लाईट जली तो मैं देखता ही रह गया. टी टी के साथ वही स्टेशन वाली लड़की खड़ी थी. टी टी ने मेरे को बोला कि अपना सामान सीट से उठा लीजिए. इस लड़की को यह सीट दे दो.
मेरी तो जैसे मुँह मांगी मुराद पूरी हो गई. टी टी उस लड़की को सीट दिला कर चला गया. उस लड़की ने मुझे थैंक्स बोला और अपना सामान रखा. जब वो लड़की अपना सामान सीट के नीचे रख रही थी, तो उसकी गोल गांड बिल्कुल मेरे चेहरे के सामने थी. उसकी गांड.. हाय रब्बा.. इतनी बड़ी और गोल थी कि मेरा दिल करने लगा कि इस अभी पीछे से पकड़ लूं. पर सिवाए देखने के कुछ नहीं कर सकता था.
उसने अपना सामान सीट के नीचे रखा और लाईट आफ करके अपनी सीट पर लेट गई. मैं भी सो गया.
सुबह 5 बजे के करीब मेरी आंख खुली तो लाईट जल रही थी. मैं मूतने के लिए अपनी सीट पर उठ कर बैठा था, तो मेरी निगाह उस लड़की की कमर पर गई. सोने की वजह से उसकी टी-शर्ट कमर से ऊपर हो गई थी. उसकी नंगी दूध जैसी कमर और पैंटी की इलास्टिक साफ़ दिखाई दे रही थी. जिसे देखकर मेरा तो लंड खड़ा हो गया.
कब वो जाग गई और अपना मुँह घुमा कर मेरे को देखने लगी, मुझे पता ही चला. जब हमारी निगाह मिलीं, तो फिर मैं दूसरी तरफ देखने लगा. उसने अपने कपड़े सही किये और सीधी लेट गई. मेरा भी लंड खड़ा हो गया था, जो उसने भी देख लिया था. मैंने लंड को अपनी लोअर में एडजस्ट किया और बाथरूम में चला गया.
सुबह मूत और उसकी नंगी कमर की वजह से मेरा लौड़ा एकदम टाईट था. मैंने पेशाब किया, लेकिन मेरा लंड तब भी बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था. मैंने उस लड़की की गांड को याद कर के मुठ मारी.. और आकर अपनी सीट पर लेट गया. वो भी अब सीधी लेटी हुई थी. हमारी निगाहें आपस में काफी बार मिलीं. वो बहुत गौर से मेरी ओर देख रही. लेकिन ना अभी तक उसने मुझे कुछ बोला था.. ना ही मैंने.
साढ़े सात बज चुके थे, अब गाड़ी हरिद्वार पहुंच गई थी, तकरीबन सभी यात्री भी उतर चुके थे.
यह ट्रेन हरिद्वार जाकर एकदम खाली सी हो जाती है. हमारे आसपास के सभी यात्री उतर चुके थे. वो लड़की भी फ्रेश होने बाथरूम की ओर चली गयी. मैंने भी मिडल बर्थ वाली सीट को सीधा किया और खिड़की में बैठ कर बाहर का नजारा देखने लगा. इतने में वो भी आ गई और अपनी सीट भी सीधी करने लगी. उससे वो सीट सीधी नहीं हो रही थी तो मैंने बिना कहे ही उसकी सीट सैट करने में मदद कर दी.
अब वो मेरे बिल्कुल सामने बैठ गई और फिर उसने ही पहल की.. उसने पूछा- आप कहां जा रहे हो?
मैंने जवाब दिया कि देहरादून तो उसने भी बताया कि उसका नाम सारंगी है और वो देहरादून जा रही है.
मैंने भी उसको अपना नाम बताया. उसने बताया कि वो लुधियाना अपने किसी रिश्तेदार के घर फंक्शन में गई थी. उसने बताया कि किसी काम की वजह से उसके पति नहीं गए थे, जिस कारण वो अकेली ही गई थी.
पति का नाम सुन के मैं तो हैरान हो गया. क्योंकि मैं तो उसे कुंवारी ही समझ रहा था. वो किसी भी तरफ से मैरिड नहीं लगती थी. जब मैंने उसे यह बात कही तो वो शरमा गई. उसने बताया कि उसकी आयु 26 साल है और अभी 6 महीने पहले ही उसकी शादी हुई है.
इतने में चाय वाला आ गया. वो चाय लेने लगी तो मैंने चाय वाले को वापस भेज दिया. वो कहने लगी कि मुझको चाय पीनी थी.
फिर मैंने अपने बैग से दूध का भरा थरमस निकाला, जो मेरी मां अक्सर जब मैं बाहर जाता हूँ, तो मेरे साथ रख देती हैं और साथ ही मां के हाथ के बने परांठे और अचार भी निकाला, जो मां ने साथ भेजा था. ये सब उसने बहुत पसंद किया. खाने के बाद हम अच्छे दोस्त की तरह बातें करने लगे.
बातों बातों में उसने पूछा- कोई गर्लफ्रेंड है?
तो मैंने झूठ बोल दिया कि अब कोई नहीं है. कॉलेज टाइम में बहुत थीं.
वो बोली कि तुम झूठ बोल रहे हो, लेकिन फिर मान गई. जब मैंने उससे उसकी लाईफ के बारे में पूछा तो वो थोड़ी चुप हो गई. जब मैंने दोबारा पूछा, तो उसने बताया कि उसका पति उसे ज्यादा टाईम नहीं देता. हमेशा अपने काम की वजह से बाहर ही रहता. वो घर में अपने सास ससुर के साथ बोर होती रहती है.
इतने में देहरादून आ गया तो हमने अपना अपना सामान पैक किया और उतरने के लिए तैयार हो गए.
जाते टाईम उसने मुझे टूर्नामेंट के लिए बेस्ट आफ लक बोला और मेरा नंबर भी मांग लिया. मैंने उसको अपना नंबर दे दिया. उसने उसी टाईम मेरे मोबाइल पे मिस कॉल कर दी और बाय बोल कर चली गई. मैंने भी अपना सामान उठाया और जहां मेरे को रुकना था, वहां चला गया. रूम पे जा के मैं नहाया और खाना खा कर बेड पर लेट गया. मैं सारंगी के बारे में सोच ही रहा था कि उसकी कॉल आ गई.
हम काफी टाईम इधर उधर की बातें करते रहे. फोन पर वो काफी खुल के बात कर रही थी. बातों बातों में बात सेक्स तक पहुंच गई. उसने थोड़ा उदास हो कर बताया कि उसके पति बेड पर इतने अच्छे नहीं हैं.
अब मेरे को बात बढ़ाने का मौका मिल गया. बातों से वो काफी खेली खाई लग रही थी. हमने तकरीबन एक डेढ़ घन्टे फोन पे बात की. मैंने उससे उसका साईज पूछा तो उसने 34डी-30-38 बताया. उसकी गांड बहुत बड़ी थी. बात फोन सेक्स तक पहुंच गई. फिर उसने शाम को स्टेडियम मिलने का बोल के फोन रख दिया और मैं भी सो गया.
एक घन्टे बाद उठा, नहा धो के चाय पी. अपनी किट पैक की और स्टेडियम की ओर चल दिय़ा. मेरे पहुँचाने तक बाकी पूरी टीम भी पहुंच गई थी.
थोड़े टाइम में मैच शुरू हो गया. लेकिन सारंगी अभी तक नहीं आई थी. मेरा ध्यान मैच में कम और गेट की तरफ ज्यादा था. थोड़े समय में वो भी आ गई और जिस साईड मैं खेल रहा था, वो उसी साईड लाईन के पास आ के बैठ गई. उसके साथ उसकी एक फ्रेंड भी आई थी. सारंगी ने आज टाईट जीन्स और सफेद रंग की टी-शर्ट पहनी थी. जिसमें उसके चूचे और भी बड़े दिख रहे थे. मैच खत्म हुआ, मैंने भी कपड़े चेंज किये. पूरी टीम से जाने की इजाजत ली.. और जल्दी जल्दी बाहर आ गया, क्योंकि बाहर सारंगी मेरी प्रतीक्षा कर रही थी.
वो मुझे पास ही एक रेस्टोरेंट में ले गई. हमने थोड़ा बहुत खाया पिया. ज्यादा बात भी नहीं हुई. क्योंकि उसकी फ्रेंड साथ थी.
फिर वो भी अपने घर चली गयी. मैं भी अपनी जगह पर आ गया.
देहरादून जाकर जिस जगह मैं रुकता हूं, वो एक धार्मिक जगह है. उधर मेरी काफी पुरानी जान पहचान है, जिस वजह से मेरे को जाते ही एक बढ़िया कमरा मिल जाता है जिस पर मेरा कोई खर्चा भी नहीं होता. मैं वहां आ कर नहाया, लंगर छका और अपने रूम में जा के लेट गया. अपना फोन चैक किया, तो व्हाट्सैप पर सारंगी के काफ़ी मैसेज आए हुए थे. ज्यादातर में उसकी फोटोज थीं. जिसमें वो बहुत ही सुन्दर दिख रही थी.
मैंने उसकी फोटो की तारीफ की.. तो उसका फोन आ गया. उसने बताया कि उसका पति बाहर किसी काम से गया हुआ है और उसके ससुर गांव गए हुए हैं. घर में वो और उसकी सास अकेली ही थी.
फोन पर बात करते टाईम वो काफी रोमांटिक लग रही थी. बात करते करते मैंने उससे बोला कि मिलने का दिल कर रहा है.
वो तो जैसे इस बात को तैयार ही बैठी थी. उसने तुरंत हामी भर दी, बोली कि घर आ जाओ. मेरे भी सिर पर कामवासना सवार हो चुकी थी. मैं भी उसी टाईम ऑटो पकड़ के उनके इलाके की ओर चल पड़ा.
लगभग 20 मिनट मैं वहां पहुंच गया. उधर पहुंच कर मैंने उसको कॉल की, तो फोन पर ही घर का पता समझा रही थी. मैं धीरे धीरे उनके घर के पास पहुंच गया. वो गेट के पास ही खड़ी थी. उसने बिना आवाज के गेट खोला और चुपचाप मुझे ऊपर जाने का इशारा किया और खुद वो रसोई में चली गई.
कुछ पलों में ही वो भी ऊपर आ गई और मुझे अपने रूम में ले गई.
रूम में एसी चल रहा था. बहुत ही शानदार बेड था. एक बहुत ही सुन्दर और बड़ा अटैच बाथरूम था. उसके हाथ में एक बड़ा ग्लास दूध का था, जो वो मेरे लिए लेकर आई थी. मैंने दूध एक ही घूंट में पी लिया.
अब मैं उसकी तरफ बढ़ा, उसने एक लोअर और टी-शर्ट पहनी थी, जिसमें से उसका कामुक शरीर और भी उभर कर दिख रहा था. मैं उसको पकड़ के किस करने लगा. उसने मुझे रोका कमरे का लॉक लगाया, बड़ी लाईट ऑफ़ की और छोटा बल्ब जला दिया. मैंने उसे पकड़ कर बेड पे गिराया और उसके ऊपर चढ़ के किस करने लगा. वो भी इतनी जोर से किस कर रही थी जैसे खा ही जाएगी. हमने कम से कम 10 मिनट तक लिप किस किया.
इसके बीच ही मैंने उसके पूरे शरीर का जायजा भी अपने हाथों से लिया. अब मैं उसके चूचे, जो कि बहुत बड़े थे, को अपने हाथों से कपड़ों के ऊपर से ही दबा रहा था. जिससे उसको काफी मज़ा आ रहा था. वो काफ़ी आवाजें निकाल रही थी.
मैंने उसको चुप रहने को कहा, तो वो बोली कि उसने अपनी सास को पहले ही नींद की गोलियां दे कर सुला दिया है. और वैसे भी वो ऊपर नहीं आती हैं.
यह सुन कर मैं बिंदास हो गया. मैंने उसकी टी-शर्ट उतारी. उसने नीचे ब्लैक ब्रा पहनी हुई थी. जिसमें से उसके चूचे बाहर आने को मचल रहे थे. मैं उसके चूचों पर टूट पड़ा, एक को दबाने लगा और दूसरे को चूसने लगा. उसने खुद ही ब्रा उतार दी. उसके मम्मे एकदम पहाड़ी की चोटी की तरह खड़े थे. इतने सख्त और गोल मम्मे मैंने आज तक किसी के नहीं देखे थे. मैं उसके एक चूचे को चूसने लग गया और दूसरे को हाथ से दबाने लगा. चूचे चूसते चूसते मैं उसके ऊपर आ गया और एक हाथ नीचे ले जा के लोअर के ऊपर से ही उसकी फुद्दी को मसलने लगा.
उसकी फुद्दी पूरी गीली हो चुकी थी. फुद्दी के पानी से उसकी लोअर पूरी भीग चुकी थी. मैंने अपना हाथ लोअर के बीच डाल दिया. उसकी फुद्दी एकदम क्लीन शेव थी, जैसे आज ही साफ़ की हो. पूछने पर उसने बताया कि अभी थोड़ी देर पहले ही तुम्हारे लिए झांटें साफ़ की हैं.
मैंने उसकी लोअर एक ही झटके से उतार उसने अन्दर पैंटी नहीं पहनी थी. अब वो पूरी तरह से नंगी थी और मेरे से लिपटी हुई थी. मैंने वी पहले उसकी मोटी जाँघों को सहलाया और फिर अपना हाथ उसकी फुद्दी पर ले गया. वो अपने मुँह से सिसकारियां निकाल रही थी. मैंने एक उंगली उसकी फुद्दी मैं डाली तो वो मजे से उछलने लगी. उसने भी मेरे लोअर के ऊपर से ही मेरे लौड़े को पकड़ लिया, लौड़ा पकड़ कर बोली- वाह… इतना मोटा.. आज पूरा मजा आयेगा.
मेरे पूछने पर उसने यह भी बताया कि उसके पति का तो पतला सा है और उनका काम भी जल्दी हो जाता है.
बातों बातों में उसने मुझे भी नंगा कर दिया और मेरे को बेड पे लिटा कर मेरा लौड़ा चूसने लगी. मेरे को लंड चुसवाने और फुद्दी चूसने का बहुत ज्यादा शौक है. मैंने भी उसको 69 पोजीशन में किया और उसकी फुद्दी चाटने लगा.
अब वो मेरे ऊपर उल्टी लेटी हुई थी. मेरा लंड उसके मुँह में था और उसकी फुद्दी मेरे मुँह में थी. उसने बताया कि उसके पति को लंड चुसवाना और फुद्दी चूसना बिल्कुल भी पसंद नहीं है.
वो बहुत मजे से लौड़ा चूसने में लगी थी. इधर मैं भी उसकी फुद्दी को कभी जीभ से अन्दर तक चाटता और कभी उसकी फुद्दी के होंठों को दांतों से काटता. जिसकी वजह से उसकी कामुक सिसकारियों की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थीं. वो लौड़े को मुँह से निकाल के जोर जोर से मादक सिसकारियां ले रही थी. फिर थोड़ी देर में बहुत जोर से मेरे मुँह में ही झड़ गई. उसका पूरा पानी मेरे मुँह में आ गया. जिसका टेस्ट कुछ खट्टा, कुछ मीठा था, जो मुझे बहुत पसंद है. मैं मजे से उसकी फुद्दी का पूरा पानी चाट गया.
अब वो थोड़ी ढीली पड़ गई और मेरे ऊपर से हट के मेरे बगल में लेट गई. पर मेरा अभी बाकी था, तो मैं उसे कहां छोड़ने वाला था. मैं उसके ऊपर आ गया उसके होंठों को चूसने लगा और उसके चूचों से खेलने लगा. इससे वो फिर गर्म हो गई और मेरे लंड पकड़ कर अपनी फुद्दी पे रगड़ते हुए कहने लगी- अब और मत तड़पाओ.. जल्दी से डाल दो अपना मूसल मेरी फुद्दी में.
उसने लंड पकड़ कर फुद्दी पर सैट किया तो मैंने भी जोरदार धक्का मार के लंड पूरा एक ही झटके में अन्दर कर दिया. उसके मुँह से एक जोर से चीख निकली. लेकिन उसके होंठ मेरे मुँह में थे तो आवाज बाहर नहीं आई. उसकी आँखों से पानी आ गया. मैं थोड़ी देर वैसे ही उसके ऊपर लेटे रहा.
थोड़ी देर बाद वो सामान्य हुई और मुझे डांटने लगी कि कोई इतनी जोर से भी कोई धक्का मारता है. फिर वो खुद ही नीचे से हिलने लगी और मुझे धक्के मारने के लिए कहने लगी. मैं ऊपर से धक्के मारने लगा. उसे मजा आने लगा और वो आंख बंद कर के उस पल का मजा लेने लगी. पहले मैं धीरे-धीरे कर रहा था. फिर मैंने धक्कों की गति बढ़ा दी.
सारंगी एक बार फिर झड़ गई और निढाल सी हो गई. वो मुझे छोड़ने के लिए बोलने लगी.. लेकिन मैं भी उसके ऊपर वैसे ही लेट कर मम्मे चूसने लगा.
वो 5 मिनटों में फिर मेरा साथ देने लगी.
मैंने लंड बाहर निकाला और उससे चूसने को बोला, तो वो मना करने लगी कि इसे पहले साफ करो. लेकिन थोड़ा जोर देने पर अपने ही कामरस से गीले हुऐ लंड को मजे से चूसने लगी और कहने लगी कि यह तो और भी टेस्टी हो गया.
थोड़ी देर सकिंग करने के बाद वो लंड पे बैठ के उछलने लगी. जब वो ऊपर नीचे हो रही थी, तो उसके चूचे और भी ज्यादा उछल रहे थे. मैं उसके उछलते मम्मों को जोर जोर से दबाने लगा.
सारंगी अब थोड़ी थक सी गई थी. उसकी उछलने की स्पीड कम हो गई. मैंने उसे अब घोड़ी बनने को कहा.. जो मेरी सबसे पसंदीदा पोजीशन है.
वो झट से घोड़ी बन गई. मैंने पीछे से लंड डाला और लगा जोर जोर से पेलने. आप सभी को तो पता ही है कि फ़ुटबाल वालों की टांगों में कितनी ताकत और स्पीड होती है. सारंगी अब बस बस करने लगी.. क्योंकि वो पहले ही 2 बार झड़ चुकी थी. लेकिन मेरा अभी बाकी था. मैं अपनी पूरी ताकत और स्पीड से उसे चोद रहा था. अब तो यह हाल हो चुका था कि सारंगी लंड निकालने के लिए आगे को भागने लगी. लेकिन मैंने भी उसकी कमर को अपनी मजबूत पकड़ से थाम रखा था. मेरा काम भी होने वाले वाला था.. तो मेरी स्पीड बहुत ज्यादा बढ़ गई थी.
सारंगी का अब बुरा हाल हो चुका था. जब मेरा काम हुआ तो धक्के इतनी जोर से लगे कि सारंगी बेहोश सी हो कर नीचे गिर गई और मैं उसके ऊपर … मैंने अपने माल से उसकी फुद्दी भर दी और उसके ऊपर ही लेट गया. दस मिनट के बाद हमें होश आया.
सारंगी भी उठी और लड़खड़ाती हुई बाथरूम में चली गई.
करीब 5 मिनट के बाद वो वापस आई और मेरे से लिपट गई. मेरे से पूछने लगी कि इतनी स्पीड और इतने माल का क्या राज है? जब कि उसके पति इतनी स्पीड के कभी आस पास भी नहीं पहुंचा.. और जितने माल से आप ने मेरी चूत भर दी.. उनका तो 5 बार में भी इतना इकठ्ठा करके पूरा नहीं हो सकता है.
मैंने उसे बताया कि इतनी स्पीड और ताकत ग्राउंड में हर रोज़ की गई मेहनत से आई.. जहां तक इतने माल का सवाल है, वो मैं हर काफी ज्यादा मात्रा में दूध और काजू बादाम खाता हूँ. जिससे माल गाढ़ा और ज्यादा बनता है.
उस रात को हमने एक बार और जोरदार चुदाई की और मैंने एक बार उसकी गांड भी मारी.
फिर सुबह 5 बजे वहां से निकलने लगा तो उसने अलमारी से 4000 रुपये निकाले और वो मुझे देने लगी. मैंने बहुत मना किया, लेकिन वो नहीं मानी और जिद से मेरी जेब में डाल दिए.
फिर मैं रूम में आकर सो गया.
मेरी आंख 12 बजे तब खुली, जब सारंगी का फोन आया. उसने भी बताया कि उसका थकान से बुरा हाल है. वो बेड पे ही लेटी हुई है. हमने थोड़ी देर बात की. फिर मैं फ्रेश होकर खाना खाकर फिर लेट गया. क्योंकि 4 बजे फिर मैच था. मैं 3 बजे उठा, नहा धो कर ग्राउंड की ओर चल दिय़ा.
रास्ते में सारंगी का फोन आया कि कहां हो?
मैंने उसे बताया कि 10 मिनट में ग्राउंड पहुंच रहा हूँ.
उसने ‘ठीक है..’ बोल के फोन काट दिया. जब मैं ग्राउंड पहुंचा तो गेट पे सारंगी और उसकी फ्रेंड मेरा इंतजार कर रहे थे. सारंगी ने मुझे एक डिब्बा पकड़ाया.
वो बोली- ये गिफ्ट मेरी तरफ से.. रात का गिफ्ट.
वो दोनों हंसने लगी.
उसकी सहेली भी मेरी ओर देख के हंस रही थी, बोली- सुना है कि जनाब में बहुत ताकत है.
अब मुझे पक्का हो गया कि सारंगी ने अपनी फ्रेंड सभी कुछ बता दिया है.
फिर वो दोनों वहां से जल्दी जल्दी चली गईं. क्योंकि आज सारंगी का पति घर आने वाला था. मैं ग्राउंड के अन्दर गया. वो डिब्बा खोल के देखा तो खुश हो गया. उसमें एडिडास कंपनी के बहुत महंगे फ़ुटबाल बूट थे.
तभी सारंगी का फोन आया. वो पूछने लगी कि गिफ्ट कैसा है?
मैंने उसे थैंक्स कहा और बताया कि ये बूट मुझे बहुत पसंद हैं. मैं भी यह बूट लेना चाहता था. लेकिन ज्यादा महंगे होने के कारण छोड़ देता था.
फिर मैंने उसे थैंक्स बोल के फोन काट दिया. उस दिन मैं वही बूट डाल के खेला और 2 गोल दागे. फिर मैं उसी रात को ट्रेन से घर आ गया. क्योंकि सुबह मुझे भी आफिस जाना था.
फिर तो मैं जब भी देहरादून जाता था.. तो मेरी एक रात पक्की सारंगी या फिर उसकी फ्रेंड के साथ होती थी. उसने अपनी 3 और सहेलियों को मुझसे चुदवाया है. उसकी हर सहेली मेरी चुदाई से खुश थी.
मेरी यह चोदन स्टोरी आपको कैसी लगी. मेरी ईमेल आईडी पर जरूर बताना.